*⛅तिथि - अमावस्या सुबह 09:41 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी रात्रि 11:11 तक तत्पश्चात*
*⛅योग - विष्कम्भ दोपहर 01:01 तक तत्पश्चात प्रीति*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:15 से 03:50 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:15*
*⛅सूर्यास्त - 07:02*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से 05:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 से 01:01 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - वैशाखी अमावस्या*
*⛅विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹अमावस्या - 20 अप्रैल 2023🔹*
*🌹1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*
*🌹2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*
🔹ग्रीष्मकालीन समस्याओं व गर्मी से बचने हेतु🔹*
*(ग्रीष्म ऋतू : 20 अप्रैल से 21 जून तक )*
*🔹१] ग्रीष्म ऋतू में खान-पान सुपाच्य हो, थोडा कम हो, पानी पीना अधिक हो और रात्रि को जल्दी शयन करें । भोर (प्रात:काल) में नहा-धो लें ताकि गर्मी निकल जाय । नहाने में मुलतानी मिट्टी का उपयोग कर सकते हैं ।*
*🔹२] बायें नथुने से श्वास लें, ६० से ९० सेकंड श्वास अंदर रोककर गुरुमंत्र या भगवन्नाम का मानसिक जप करें और दायें नथुने से धीरे-धीरे छोड़े । ऐसा ३ से ५ बार करें । इससे कैसी भी गर्मी हो, आँखे जलती हों, चिडचिडा स्वभाव हो, फोड़े-फुंसियाँ हो उनमे आराम हो जायेगा । रात को सोते समय थोडा-सा त्रिफला चूर्ण फाँक लेवें ।*
*🔹३] गर्मी के दिनों में गर्मी से बचने के लिए लोग ठंडाइयाँ पीते हैं । बाजारू पेय पदार्थ, ठंडाइयाँ पीने की अपेक्षा नींबू की शिकंजी बहुत अच्छी है । दही सीधा खान स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं हैं, उसमें पानी डाल के छाछ बनाकर जीरा, मिश्री आदि डाल के उपयोग करना हितकारी होता है ।*
*🔹४] जिसके शरीर में बहुत गर्मी होती हो, आँखे जलती हो उसको दायी करवट लेकर थोडा सोना चाहिए, इससे शरीर की गर्मी कम हो जायेगी । और जिसका शरीर ठंडा पड जाता हो और ढीला हो उसको बायीं करवट सोना चाहिए, इससे सस्फूर्ति आ जायेगी ।*
*🔹५] पित्त की तकलीफ है तो पानी-प्रयोग करें (अर्थात रात का रखा हुआ आधा से डेढ़ गिलास आणि सुबह सूर्योदय से पूर्व पिया करें ) । दूसरा, आँवले का मुरब्बा लें अथवा आँवला रस व घृतकुमारी रस (Aloe Vera Juice)मिलाकर बना पेय पियें । इससे पित्त-शमन होता है ।*
*🔹६] वातदोष हो तो आधा चम्मच आँवला पावडर, १ चम्मच घी और १ चम्मच मिश्री मिला के सुबह खाली पेट लेने से वातदोष दूर होते है ।*
*🔹७] इस मौसम में तली हुई चीजें नहीं खानी चाहिए । लाल मिर्च, अदरक, खट्टी लस्सी या दही बहुत नुकसान करते हैं । इस मौसम में तो खीर खाओ ।*
*🔹८] जिसको भी गर्मी हो, आँखे जलती हो वह मुलतानी मिट्टी लगा के थोड़ी देर बैठे और फिर स्नान कर ले तो शरीर की गर्मी निकल जायेगी, सिरदर्द दूर होगा ।*
*९] पीपल के पेड़ में पित्त-शमन का सामर्थ्य होता है । इसके कोमल पत्तों यानी कोपलों का बना १० ग्राम मुरब्बा खा ले । कैसी भी गर्मी हो, शांत हो जायेगी ।*
*🔹मुरब्बा बनाने की विधि : पीपल के २५० ग्राम लाल कोमल पत्तों को पानी से धोकर उबाल लें । फिर पीसकर उसमें समभाग मिश्री व देशी गाय का ५० ग्राम घी मिला के धीमी आँच पर सेंक लें । गाढ़ा होने पर जब घी छोड़ने लगे तब नीचे उतार के ठंडा करके किसी साफ़ बर्तन (काँच की बनी बरनी उत्तम है ) में सुरक्षित रख लें ।*
*🔹सेवन विधि : १०-१० ग्राम सुबह-शाम दूध से लें ।*
*🔹१०] जिसको गर्मी लगे वह तरबूज अच्छी तरह से खाये । फोड़े-फुंसी हो गये हों तो पालक, गाजर, कडकी का रस और नारियल पानी के उपयोग में लाने से फोड़े-फुंसी ठीक हो जाते हैं ।*
*🔹११] जो नगें सिर धूप में घूमते हैं उनकी आँखे कमजोर हो जाती है, बुढ़ापा और बहरापन जल्दी आ जाता है । धुप में नंगे पैर और नंगे सिर कभी नही घूमना चाहिए । जो तीर्थयात्रा करने जाते हैं उन्हें भी नंगे पैर नहीं घूमना चाहिए ।*
*🔹१२] घमौरियाँ हों तो : नीम के १० ग्राम फूल व थोड़ी मिश्री पीसकर पानी में मिला के खाली पेट पी लें । इससे घमौरियाँ शीघ्र गायब हो जायेंगी । नारियल तेल में नींबू रस मिलाकर लगाने से घमौरियाँ गायब हो जाती हैं ।*
*🔹१३] पलाश के पुष्पों के ५० ग्राम काढ़े में थोड़ी मिश्री मिलाकर पीने से गर्मी भाग जाती हैं ।*