⛅ नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह तक 06:53 तत्पश्चात पुष्य
⛅ योग - धृति शाम 07:44 तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहुकाल - शाम 03:49 से शाम 05:24 तक
⛅ सूर्योदय - 06:17
⛅ सूर्यास्त - 18:58
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण - दुर्गाष्टमी, अशोकाष्टमी, भवानी प्राकट्य
💥 विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
💥 अष्टमी तिथि और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
ससुराल में तकलीफ हो तो
जिनको शादी के बाद कठिनाई आती है... ससुराल में ....उनको चैत्र मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को – ॐ ह्रीं गौरिये नम: | ॐ ह्रीं गौरिये नम: | का जप करे | और प्रार्थना करे "की शिवजी की अति प्रिय हो माँ... हमारे परिवार में ये समस्या न रहें | "आपके परिचितों में किसी को भी बेटी, बहन शादी के बाद दिक्कते आती हो तो आप इनको बता दें | ऐसा करें बेटी न कर पाये तो बाप तो करे, भाई करें, बहन करें की मेरी बेटी, बहन को ऐसी तकलीफ न हो ऐसा संकल्प करें, नाम और गोत्र का उच्चारण करके | नवरात्रि की अष्टमी यानी आठवें दिन माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं । इससे घर में सुख समृद्धि आती है ।
नवरात्रि की नवमी तिथि यानी अंतिम दिन माता दुर्गा को विभिन्न प्रकार के अनाज का भोग लगाएं ।इससे वैभव व यश मिलता है ।
चैत्र नवरात्रि - मन की शांति मिलती है मां महागौरी की पूजा से
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। मां महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि का आठवां दिन हमारे शरीर का सोम चक्रजागृत करने का दिन है। सोमचक्र ललाट में स्थित होता है। श्री महागौरी की आराधना से सोमचक्र जागृत हो जाता है और इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही, इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।
सुख-समृद्धि के लिए करें मां सिद्धिदात्री की पूजा
चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। अंतिम दिन भक्तों को पूजा के समय अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र, जो कि हमारे कपाल के मध्य स्थित होता है, वहां लगाना चाहिए। ऐसा करने पर देवी की कृपा से इस चक्र से संबंधित शक्तियां स्वत: ही भक्त को प्राप्त हो जाती हैं। सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।