*⛅नक्षत्र - श्रवण दोपहर 02:44 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*⛅योग - वरियान दोपहर 03:20 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - शाम 05:12 से 06:38 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:10*
*⛅सूर्यास्त - 06:38*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:29 से 06:19 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:18 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - दर्श अमावस्या, छत्रपति शिवाजी जयंती (दि.अ), द्वापरयुगादि तिथि, वसंत ऋतु प्रारम्भ*
*⛅विशेष - चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🌹 महाशिवरात्रि पारणा (व्रत तोड़ना) : 19 फरवरी सुबह सूर्योदय के बाद किया जायेगा ।*
*🌹 शिवरात्रि चतुर्थ प्रहर शिव पूजन के बाद सूर्योदय पहले स्नान से निवृत हो कर व जप-ध्यान का नियम करके, सूर्य भगवान को अर्घ्य देना चाहिए ।*
*🌹 उसके बाद नींबू को गुनगुने पानी मे मिलाकर नींबू पानी पिएं ।*
*🌹 आधा-एक घण्टे के बाद मूंग का पानी पियें, कुछ समय के बाद मूंग खाएं ।*
*🌹 मूंग खाने के एक-डेढ़ घण्टे के बाद सामान्य भोजन ले सकते है ।*
*🌹 पूरे दिन गुनगुना पानी ही पियें तो अच्छा होगा, कोई भी भारी चीज न खाएं, पूरा दिन मूँग ही खाएं तो अति उत्तम होगा ।*
*🔸अमावस्या🔸*
*🔹समय अवधि : 19 फरवरी शाम 04:18 से 20 फरवरी दोपहर 12:35 तक है ।*
*🌹 सोमवती अमावस्या - 20 फरवरी 2023 🌹*
*🔹 पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर 12:35 तक*
*इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है ।*
*🔹अमावस्या विशेष🔹*
*🌹1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*
*🌹2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*
*🌹4. अमावस्या के दिन खेती का काम न करें, न मजदूर से करवाएं ।*
*🌹5. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।*
*🔸19 फरवरी 2023 - वसंत ऋतु प्रारम्भ🔸*
*🔸खानपान का ध्यान विशेष वसंत ऋतु का है संदेश...*
*🔹आहार : इस ऋतु में देर से पचनेवाले, शीतल पदार्थ, दिन में सोना, स्निग्ध अर्थात् घी-तेल में बने तथा अम्ल व मधुर रसप्रधान पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि ये सभी कफवर्धक हैं ।*
*(अष्टांगहृदय : 3.26)*
*🔹वसंत में मिठाई, सूखा मेवा, खट्टे-मीठे फल, दही, आइसक्रीम तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन वर्जित है । इन दिनों में शीघ्र पचनेवाले, अल्प तेल व घी में बने, तीखे, कड़वे, कसैले, उष्ण पदार्थों जैसे - लाई, मुरमुरे, जौ, भुने हुए चने, पुराना गेहूँ, चना, मूँग, अदरक, सोंठ, अजवायन, हल्दी, पीपरामूल, काली मिर्च, हींग; सूरन, सहजन की फली, करेला, मेथी, ताजी मूली, तिल का तेल, शहद, गोमूत्र आदि कफनाशक पदार्थों का सेवन करें । भरपेट भोजन न करें । नमक का कम उपयोग तथा 15 दिनों में एक कड़क उपवास स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।*
*🔹विहार : सूर्योदय से पूर्व उठना, व्यायाम, दौड़, तेज चलना, आसन व प्राणायाम (विशेषकर सूर्यभेदी) लाभदायी हैं । तिल के तेल से मालिश कर सप्तधान्य उबटन से स्नान करना स्वास्थ्य की कुंजी है ।*
*🔸वसंत ऋतु के विशेष प्रयोग🔸*
*🔹5 ग्राम रात को भिगोयी हुई मेथी सुबह चबाकर पानी पीने से पेट की गैस दूर होती है ।*
*🔹 10 ग्राम घी में 15 ग्राम गुड़ मिलाकर लेने से सूखी खाँसी में राहत मिलती है ।*
*🔹10 ग्राम शहद, 2 ग्राम सोंठ व 1 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम चाटने से बलगमी खाँसी दूर होती है ।*
*🔸सावधानी : मुँह में कफ आने पर तुरंत बाहर निकाल दें । कफ बढ़ने पर गजकरणी, जलनेति का प्रयोग करें (पढ़ें आश्रम की पुस्तक ‘योगासन’) ।*