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19 दिसम्बर 2020

Updated on 19-12-2020 12:01 PM
दिन - शनिवार               ऋतु - हेमंत
विक्रम संवत - 2077
शक संवत - 1942
अयन - दक्षिणायन
मास - मार्गशीर्ष
पक्ष - शुक्ल 
तिथि - पंचमी दोपहर 02:14 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र - धनिष्ठा रात्रि 07:40 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग - हर्षण दोपहर 12:47 तक तत्पश्चात वज्र
राहुकाल - सुबह 09:53 से दोपहर 11:15 तक
सूर्योदय - 07:11      सूर्यास्त - 18:00 
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण - स्कंद षष्ठी
विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
 घातक रोगों से मुक्ति पाने का उपाय 
आज ~ 20 दिसम्बर 2020 रविवार को (दोपहर 02:54 से 21 दिसम्बर सूर्योदय तक) रविवारी सप्तमी है।
रविवार सप्तमी के दिन बिना नमक का भोजन करें। बड़ दादा के १०८ फेरे लें । सूर्य भगवान का पूजन करें, अर्घ्य दें व भोग दिखाएँ, दान करें । तिल के तेल का दिया सूर्य भगवान को दिखाएँ ये मंत्र बोलें :-
"जपा कुसुम संकाशं काश्य पेयम महा द्युतिम । तमो अरिम सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मी दिवाकर ।।"
नोट : घर में कोई बीमार रहता हो या घातक बीमारी हो तो परिवार का सदस्य ये विधि करें तो बीमारी दूर होगी । 
 मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि 
सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं। इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है।
(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय (10)
रविवार सप्तमी 
रविवार सप्तमी के दिन जप/ध्यान करने का वैसा ही हजारों गुना फल होता है जैसा की सूर्य/चन्द्र ग्रहण में जप/ध्यान करने से होता  है।रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे , तो उसकी घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं , अगर बीमार व्यक्ति न कर सकता हो तो कोई और बीमार व्यक्ति के लिए यह व्रत करे | इस दिन सूर्यदेव का पूजन करना चाहिये |
सूर्य भगवान पूजन विधि 
1) सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया जला कर दिखाएँ , आरती करें |
2) जल में थोड़े चावल ,शक्कर , गुड , लाल फूल या लाल कुम कुम मिला कर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें |
सूर्य भगवान अर्घ्य मंत्र 
1. ॐ मित्राय नमः।
2. ॐ रवये नमः।
3. ॐ सूर्याय नमः।
4. ॐ भानवे नमः।
5. ॐ खगाय नमः।
6. ॐ पूष्णे नमः।
7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
8. ॐ मरीचये नमः।
9. ॐ आदित्याय नमः।
10. ॐ सवित्रे नमः।
11. ॐ अर्काय नमः।
12. ॐ भास्कराय नमः।
13. ॐ श्रीसवितृ-सूर्यनारायणाय नमः।
सूर्य देव को अर्घ्य किस प्रकार दें? क्या हैं लाभ?

विश्व में सूर्य को प्रत्यक्ष देव कहा जाता है क्योंकि हर कोई इनके साक्षात दर्शन कर सकता है। सूर्य सभी ग्रहों के राजा हैं। ज्योतिष में जिस प्रकार माता और मन के कारक चन्द्रमा हैं उसी प्रकार पिता और आत्मा का कारक सूर्य हैं। वेदों और उपनिषदों से लेकर हिन्दू-धर्म से संबंधित सभी धार्मिक ग्रंथों में भगवान सूर्य के महिमा का का वर्णन मिलता है। यदि कारोबार में या नौकरी में परेशानी हो रही हो तो सूर्य की उपासना से लाभ मिलता है। स्वास्थ्य लाभ के लिए भी सूर्य की उपासना करनी चाहिए। किसी भी प्रकार के चर्म रोग हो तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करने से शीघ्र ही लाभ मिलता है। सूर्य देव को जल अर्पण करने से भगवान आपको दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, धन, उत्कृष्ट संतान, मित्र, मान-सम्मान, यश, सौभाग्य और विद्या प्रदान करते हैं। रविवार का दिन सूर्य देव की पूजा स्तुति को समर्पित माना जाता है। आप अपनी इच्छाएं और मनोकामनाएं पूरी करने के लिए रविवार का व्रत कर सकते हैं। सूर्य देव का व्रत सबसे श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि यह व्रत सुख और शांति देता है।

कैसे दें सूर्य को अर्घ्य और क्या हैं नियम?

-प्रतिदिन प्रात:काल तांबे के लोटे में जल लेकर और उसमें लाल फूल, चावल डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। 

-सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर ही होना चाहिए। अगर कभी पूर्व दिशा की ओर सूर्य नजर ना आएं तब ऐसी स्थिति में उसी दिशा की ओर मुख करके ही जल अर्घ्य दे दें।

-स्नान के प्रश्चात सूर्यनारायण को तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करें।

-संध्या के समय फिर से सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। 

-सूर्य के मंत्रों का शुद्ध अंतःकरण से जाप करें। 

-आदित्य हृदय का नियमित पाठ करेंगे तो विशेष लाभ होगा।

-स्वास्थ्य लाभ चाहते हैं और नेत्र रोग से बचना चाहते हैं तो 'नेत्रोपनिषद्' का प्रतिदिन पाठ करें। 

-संभव हो तो रविवार को तेल और नमक नहीं खाना चाहिए तथा एक समय ही भोजन करें।

-आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में शुद्ध जल लेकर ही अर्घ्य देना चाहिए।

-जल में मिश्री भी मिलानी चाहिए क्योंकि मान्यता है कि सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के दूषित मंगल का उपचार होता है।

-अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का पाठ करें-

-'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। 

अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।' (11 बार) 

-' ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। 

मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा: ।।' (3 बार)  

सूर्य को अर्घ्य देने से होने वाले लाभ

-जीवन धन धान्य से भरपूर होता है और वित्तीय संकट खत्म होते हैं।

-जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं।

-ग्रह दोष के नकारात्मक प्रभाव खत्म होने लगते हैं।

-जीवन में सुख शांति का वास होता है।

-कौशल में निखार आता है और नौकरी तथा व्यापार में तरक्की होने लगती है।


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