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18 दिसम्बर 2020

Updated on 18-12-2020 01:08 PM
दिन - शुक्रवार                   ऋतु - हेमंत
विक्रम संवत - 2077      
शक संवत - 1942
अयन - दक्षिणायन           
मास - मार्गशीर्ष
पक्ष - शुक्ल
तिथि - चतुर्थी दोपहर 02:22 तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र - श्रवण रात्रि 07:04 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग - व्याघात दोपहर 02:08 तक तत्पश्चात हर्षण
राहुकाल - दोपहर 11:14 से दोपहर 12:36 तक*
सूर्योदय - 07:11                   सूर्यास्त - 17:59 
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में 
व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी
विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
काम धंधे में सफलता न मिलती हो तो 
काम धंधे में सफलता न मिलती हो तो 21 बार ये गीता का आखरी श्लोक बोलें ...
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः 
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।78।। 
21 बार न बोल सकें तो कम से कम १ बार तो बोलें और शांत हो जाएँ । 
वास्तु शास्त्र 
घर में सुख और समृद्धि बनी रहे, इसके लिए पुराने समय से ही कई परंपराएं प्रचलित हैं। ये परंपराएं अलग-अलग वस्तुओं और कार्यों से जुड़ी हैं। सभी के घरों में कुछ न कुछ वस्तुएं टूटी-फूटी होती है, बेकार होती है, फिर भी किसी कोने में पड़ी रहती हैं। 7 वस्तुएं ऐसी बताई गई हैं जो टूटी-फूटी अवस्था में घर में नहीं रखना चाहिए।
यदि ये चीजें घर में होती हैं तो इनका नकारात्मक असर परिवार के सभी सदस्यों पर होता है। जिससे मानसिक तनाव बढ़ता है और कार्यों में गति नहीं बन पाती है। इसी वजह से धन संबंधी कार्यों में भी असफलता के योग बनते हैं। घर में दरिद्रता का आगमन हो सकता है। यहां जानिए ये 7 चीजें कौन-कौन सी हैं...
वास्तु अनुसार घर में नहीं रखनी चाहिए ये 7 टूटी-फूटी चीजें, बढ़ती है नकारात्मक ऊर्जा ।
1. बर्तन
कई लोग घर में टूटे-फूटे बर्तन भी रखे रहते हैं जो कि अशुभ प्रभाव देते हैं। शास्त्रों के अनुसार घर में टूटे-फूटे बर्तन नहीं रखना चाहिए। यदि ऐसे बर्तन घर में रखे जाते हैं तो इससे महालक्ष्मी असप्रसन्न होती हैं और दरिद्रता का प्रवेश हमारे घर में हो सकता है। टूटे-फूटे और बेकार बर्तन घर में जगह भी घेरते हैं, इससे वास्तु दोष भी उत्पन्न होता है। वास्तु दोष उत्पन्न होने पर नकारात्मक फल मिलने लगते हैं।
2. दर्पण
टूटा हुआ दर्पण रखना वास्तु के अनुसार एक बड़ा दोष है। इस दोष के कारण घर में नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है और परिवार के सदस्यों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
3. पलंग
वैवाहिक जीवन में सुख-शांति के लिए जरूरी है कि पति-पत्नी का पलंग टूटा हुआ बिल्कुल न हो। यदि पलंग ठीक नहीं होगा तो पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में परेशानियां आने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं।
4. घड़ी 
*खराब घड़ी घर में नहीं रखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि घड़ियों की स्थिति से हमारे घर-परिवार की उन्नति निर्धारित होती है। यदि घड़ी सही नहीं होगी परिवार के सदस्य कार्य पूर्ण करने में बाधाओं का सामना करेंगे और काम निश्चित  समय में पूर्ण नहीं हो पाएगा।
5. तस्वीर 
यदि घर में कोई टूटी हुई तस्वीर हो तो उसे भी घर से हटा देना चाहिए। वास्तु के अनुसार यह भी वास्तु दोष उत्पन्न करती है।
6. दरवाजा
यदि घर का मुख्य दरवाजा या अन्य कोई दरवाजा कहीं से टूट रहा हो तो उसे तुरंत ठीक करवा लेना चाहिए। दरवाजे में टूट-फूट अशुभ मानी गई है। इनसे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है और वास्तु दोष उत्पन्न होता है।
7. फर्नीचर
घर का फर्नीचर भी एकदम सही हालत में होना चाहिए। वास्तु के अनुसार फर्नीचर की टूट-फूट का भी बुरा असर हमारे जीवन पर होता है।
वास्तु दोष उत्पन्न होने पर घर-परिवार के सदस्यों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जिस घर में वास्तु दोष होते हैं, वहां पैसों की कमी बनी रहती है। अत: इन दोषों का निवारण तुरंत ही कर लेना चाहिए।

देवर्षि नारद ने एक बार धन की देवी लक्ष्मी से पूछा कि आप हमेशा श्री हरि विष्णु के चरण क्यों दबाती रहती हैं?
इस पर लक्ष्मी जी ने कहा कि ग्रहों के प्रभाव से कोई अछूता नहीं रहता, वह चाहे मनुष्य हो या फिर देवी-देवता। महिला के " हाथ में देवगुरु बृहस्पति वास करते हैं और पुरुष के पैरों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य। जब महिला पुरुष के चरण दबाती है, तो देव और दानव के मिलन से धनलाभ का योग बनता है। इसलिए मैं हमेशा अपने स्वामी के चरण दबाती हूं।
भगवान विष्णु ने उन्हें अपने पुरुषार्थ के बल पर ही वश में कर रखा है। लक्ष्मी उन्हीं के वश में रहती है जो हमेशा सभी के कल्याण का भाव रखता हैं। विष्णु के पास जो लक्ष्मी हैं वह धन और सम्पत्ति है। भगवान श्री हरि उसका उचित उपयोग जानते हैं। इसी वजह से महालक्ष्मी श्री विष्णु के पैरों में उनकी दासी बन कर रहती हैं।
वहीं एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार,
अलक्ष्मी अपनी बहन लक्ष्मी से बेहद ईर्ष्या रखती हैं। वह बिल्कुल भी आकर्षक नहीं हैं, उनकी आंखें भड़कीली, बाल फैले हुए और बड़े-बड़े दांत हैं। यहां तक कि जब भी देवी लक्ष्मी अपने पति के साथ होती हैं, अलक्ष्मी वहां भी उन दोनों के साथ पहुंच जाती थीं।
अपनी बहन का ये बर्ताव देवी लक्ष्मी को बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने अलक्ष्मी से कहा कि तुम मुझे और मेरे पति को अकेला क्यों नहीं छोड़ देती। इस पर अलक्ष्मी ने कहा कि कोई मेरी आराधना नहीं करता, मेरा पति भी नहीं है, इसलिए तुम जहां जाओगी, मैं तुम्हारे साथ रहूंगी।
इस पर देवी लक्ष्मी क्रोधित हो गईं और आवेग में उन्होंने अलक्ष्मी को श्राप दिया कि मृत्यु के देवता तुम्हारे पति हैं और जहां भी गंदगी, ईर्ष्या, लालच, आलस, रोष होगा, तुम वहीं रहोगी।
इस प्रकार भगवान विष्णु और अपने पति के चरणों में बैठकर माता लक्ष्मी उनके चरणों की गंदगी को दूर करती हैं, ताकि अलक्ष्मी उनके निकट न आ सकें। इस तरह वे पति को पराई स्त्री से दूर रखने की हर संभव कोशिश कर रही हैं।
सौभाग्य और दुर्भाग्य एक साथ चलते हैं। जब आपके ऊपर सौभाग्य की वर्षा होती है, तब दुर्भाग्य वहीं पास में खड़ा अपने लिए मौका तलाशता है। अलक्ष्मी भी कुछ इसी तरह घर के बाहर बैठकर लक्ष्मी के जाने का इंतजार करती हैं।
जहां भी गंदगी मौजूद होती है, वहां लालच, ईर्ष्या, पति-पत्नी के झगड़े, अश्लीलता, क्लेश और कलह का वातावरण बन जाता है। यह निशानी है कि घर में अलक्ष्मी का प्रवेश हो चुका है। अलक्ष्मी को दूर रखने और लक्ष्मी को आमंत्रित करने के लिए हिन्दू धर्म से जुड़े प्रत्येक घर में सफाई के साथ-साथ नित्य पूजा-पाठ किया जाता है ताकि घर के लोगों को नकारात्मक ऊर्जा से बचाया जा सके। श्री विष्णु भगवान एवं लक्ष्मी जी का सच्चे मन से जो भी ध्यान लगावे उसका बेड़ा पार है !!
जय लक्ष्मी नारायण जी
डॉ0 विजय शंकर मिश्र

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