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17 मई 2021

Updated on 17-05-2021 03:08 PM
⛅ दिन - सोमवार
⛅ विक्रम संवत - 2078 (गुजरात - 2077)
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म 
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - शुक्ल 
⛅ तिथि - पंचमी सुबह 11:34 तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 01:22 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅ योग - गण्ड 18 मई रात्रि 02:50 तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅ राहुकाल - सुबह 07:39 से सुबह 09:18 तक
⛅ सूर्योदय - 06:01 
⛅ सूर्यास्त - 19:09 
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ *व्रत पर्व विवरण - आज सोमवार, वैशाख शुक्ल पञ्चमी/षष्ठी तिथि है  आज पुनर्वसु/ पुष्य नक्षत्र, "आनन्द" नाम संवत् 2078 है I
👉 आज आद्य गुरु शंकराचार्य जी, सूरदास जी, मलूकदास जी, रामानुजाचार्य जी की जयन्ती है।
👉 गुरु दीक्षा देने के बाद गुरु ने आद्य गुरु शंकराचार्य का नाम भगवत् पूज्यपादाचार्य रखा था।
👉 कृष्ण भक्त सूरदास जी ने श्रीमद्भागवत की कथा को पदों में गाया है। इसमें सवा लाख पद बताए जाते हैं, वर्तमान में बहुत थोड़े पद मिलते हैं। 
👉 रामानुजाचार्य जी "श्री सम्प्रदाय" के संस्थापक थे।
👉 पञ्चक शब्द को लेकर हर किसी के मन में घबराहट उत्पन्न होती है।
👉 पञ्चक यानि 5 नक्षत्र - धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र को पञ्चक कहते हैं।
👉 पञ्चक विवाह, मुण्डन, गृह आरम्भ, गृह प्रवेश, वधू गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत संस्कार, रक्षाबंधन, भाई दूज आदि पर्व में अति शुभ और कार्य सिद्धि वाले माने जाते हैं।
👉 पञ्चक में लकड़ी सम्बंधी कोई कार्य, दाह संस्कार, स्तम्भ रोपण, ताम्बा, पीतल, लकड़ी का संचय, दुकान, मकान या झोपड़ी आदि में लकड़ी की छत डालना, चारपाई, खाट, चटाई आदि बुनना, रुई की गादी, रजाई, तकिया भरवाना आदि कार्य निषेध माने गए हैं।
👉 पञ्चक में अंत्येष्टि के समय विद्वान ब्राह्मण से पञ्चक शान्ति का विधान कराना चाहिए।
💥 विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌷 पापनाशिनी, पुण्यप्रदायिनी गंगा 🌷
➡ 18 मई 2021 मंगलवार  को श्री गंगा सप्तमी (गंगा जयंती) है ।
🙏🏻 जैसे मंत्रों में ॐकार, स्त्रियों में गौरीदेवी, तत्त्वों में गुरुतत्त्व और विद्याओं में आत्मविद्या उत्तम है, उसी प्रकार सम्पूर्ण तीर्थों में गंगातीर्थ विशेष माना गया है। गंगाजी की वंदना करते हुए कहा गया हैः
🌷 संसारविषनाशिन्यै जीवनायै नमोऽस्तु ते।
तापत्रितयसंहन्त्र्यै प्राणेश्यै ते नमो नमः।।
🙏🏻 'देवी गंगे ! आप संसाररूपी विष का नाश करने वाली हैं । आप जीवनरूपा है। आप आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक तीनों प्रकार के तापों का संहार करने वाली तथा प्राणों की स्वामिनी हैं । आपको बार-बार नमस्कार है।'(स्कंद पुराण, काशी खं.पू. 27.160)
🙏🏻 जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन 'गंगा दशहरा' (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है। इन दिनों में गंगा जी में गोता मारने से विशेष सात्त्विकता, प्रसन्नता और पुण्यलाभ होता है। वैशाख, कार्तिक और माघ मास की पूर्णिमा, माघ मास की अमावस्या तथा कृष्णपक्षीय अष्टमी तिथि को गंगास्नान करने से भी विशेष पुण्यलाभ होता है।
🌷 गंगा स्नान का फल 🌷
🙏🏻 "जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है ।" (पद्म पुराण , उत्तर खंड)

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