चंबल रिवरफ्रंट के नीचे दबी 16वीं शताब्दी की प्रतिमाएं, उद्घाटन से पहले मचा बवाल
Updated on
17-06-2023 06:44 PM
कोटा : राजस्थान में कांग्रेस की भगवान से क्या दुश्मनी हो गई ?। कुछ ऐसे ही सवाल सोशल मीडिया पर पूछे जा रहे हैं। मामला कोटा स्थित चंबल रिवर फ्रंट का है, जिसका जुलाई में गहलोत सरकार की ओर से उद्घाटन किया जाना है। दरअसल, 1200 करोड़ की लागत से बनाए रिवरफ्रंट के नीचे 16वीं शताब्दी की भगवान की प्रतिमाएं जमीदोज हो गई है। इस खुलासे से प्रशासन की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। साथ ही गहलोत सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। लोगों का कहना है कि गहलोत सरकार की इस लापरवाही के चलते अब रिवरफ्रंट पर भगवान के दर्शन नहीं होंगे। दर्शन हो तो अब सिर्फ सरकार की ओर से1200 करोड़ रुपए खर्च करके बनाए गए चंबल रिवर फ्रंट के ही हो।
बता दें कि कोटा बैराज से लेकर नयापुरा पुल तक चंबल नदी के दोनों किनारों पर दीवार खड़ी करके रिवर फ्रंट बनाया है। नौकायन के लिए चंबल में दीवार खड़ी करके एनिकट बना दिया, लेकिन इस सौंदर्यकरण और डवलपमेंट के बीच जो कुछ हुआ, उससे आम लोगों से लेकर संत समाज नाराज है। रिवर फ्रंट बना तो उसकी नींव यानी फाउंडेशन में कुन्हाड़ी छोर पर बटक के बालाजी मंदिर के नीचे चंबल किनारे स्थित विशाल चट्टानों की कराईयों में 16वीं शताब्दी से मौजूद भगवान महादेव का शिवलिंग, भगवान गणेश की प्रतिमा, भगवान ब्रम्हा की प्रतिमा, भगवान हनुमान और नंदी की प्रतिमाएं मिट्टी कंक्रीट से दबा दी गई। यहां भगवान विष्णु के दशवतार की भी प्रतिमा थी, वो भी दब गई है। इस लापरवाही के चलते अब कलात्मक प्रतिमाएं दुनिया की दृष्टि से दूर हो गई है। जबकि , रिवरफ्रंट को देखने आने विजिटर्स इन 16वीं शताब्दी की प्रतिमाओं के दर्शन कर सकते थे।
सरकार पर लगाए जा रहे हैं गंभीर आरोप
रिवर फ्रंट के डवलपमेंट के दौरान यहां बालाजी मंदिर में लगी भगवान की कई प्रतिमाओं के दबने से गहलोत सरकार की घेराबंदी शुरू हो गई है। यह तक आरोप लगा जा रहे है कि जान बूझकर यहां भगवान की प्रतिमाओं के साथ खिलवाड़ किया गया। सरकार यह नहीं चाहती थी लोग रिवर फ्रंट पर भगवान की प्रतिमाओं के दर्शन करें। इस पूरे मामले में कोटा में लोग विपक्ष को भी घेर रही है। लोगों का कहना है कि बीजेपी जो सनातन धर्म की रक्षा और मंदिरों की सुरक्षा का खुद को ठेकेदार बताती है। वह इस पूरे मसले पर आज तक मौन है। इस पूरे घटनाक्रम का जिम्मेदार लोग गहलोत सरकार के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को मान रहे हैं।
पायलट खेमे के नेता ने उठाया पूरा मामला
रिवर फ्रंट के नीचे 16 वीं शताब्दी की प्रतिमाएं की घटना के संबंध में जानकारी मिलने के बाद यहां कांग्रेस नेता ने ही इसका विरोध जताया है। गहलोत सरकार और प्रशासन की इस लापरवाही के बाद इसके खिलाफ कांग्रेस का पायलट खेमा खड़ा हुआ है। पायलट खेमे के नेता क्रांति तिवारी ने इस पूरे मसले को उठाया। सोशल मीडिया पर जनसमर्थन जुटाया। क्रांति तिवारी की ओर से पूरे मामले को उठाने के बाद गहलोत सरकार जागी है। चुनावी साल में बड़ा भारी नुकसान ना हो जाए। लिहाजा आनन फानन में भगवान महादेव, गणेश, ब्रह्मा, हनुमान, नंदी और अन्य प्रतिमाओं को मजदूरों से उस जगह से निकलवाया जा रहा है। जहां पर मिट्टी कंक्रीट से उन्हें दफन कर दिया गया था।
पिछले 1 सप्ताह से ज्यादा समय से पानी के पंप सेट यहां पर लगा रखे हैं। क्योंकि लगातार पानी आ रहा है। एक वक्त था कि यह प्रतिमाएं चंबल नदी के पानी से करीब 5 से 10 फीट हाइट पर थी लेकिन आज चंबल के पानी के लेवल से ये प्रतिमाएं नीचे चली गई है। फिलहाल इन प्रतिमाओं को निकालने का काम जारी है। ज्यादातर प्रतिमाएं निकाल ली गई है। लेकिन , अभी भी बटक के बालाजी मंदिर के नीचे चट्टानों की कराइयों में 16वीं शताब्दी से कान्हा कराई वाली जगह पर मौजूद दशावतार अभी भी दफन है।
कलात्मक और ऐताहासिक तौर पर भी महत्वपूर्ण प्रतिमाएं
अगर उनके लिए किसी ने संघर्ष नहीं किया तो यह तय मान लीजिए वह कभी किसी को नजर नहीं आएंगे।लेकिन हमारे पास आज से तीन साल पुरानी तस्वीरें हैं जो आप देखें, किस तरह का नजारा यहां पर हुआ करता था। यह तस्वीरें तब की है, जब रिवरफ्रंट यहां नहीं बना था सिर्फ रिवर फ्रंट की नींव की शुरुआत हुई थी। आज के 100 साल पहले रियासत काल के समय यह स्थान किस तरह का था। उस वक्त की कुछ फोटो भी हम आपको दिखा रहे हैं। सरकार की ओर से इस स्थान के मूल स्वरूप में किए गए बदलाव के बाद लोग यहां गहलोत सरकार और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को सद्बुद्धि मिलने की कामना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि ये प्राचीन प्रतिमाओं ना सिर्फ कलात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। वहीं आस्था का प्रतीक भी है। ऐसे में इन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
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