⛅ योग - प्रीति विष्कम्भ शाम 04:16 तक तत्पश्चात आयुष्मान्
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:39 से दोपहर 02:14 तक
⛅ सूर्योदय - 06:21
⛅ सूर्यास्त - 18:56
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण - हरिद्वार कुंभ स्नान तीसरा शाही (मुख) स्नान, संक्रांति (पुण्यकाल सूर्योदय से दोपहर 12:40 तक)
💥 विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
संक्रांति
➡ 14 अप्रैल 2021 बुधवार को संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर 02:40 तक)
इसमें किया गया जप, ध्यान, दान व पुण्यकर्म अक्षय होता है ।
चैत्र नवरात्रि
चैत्र मास के नवरात्रि का आरंभ 13 अप्रैल, मंगलवार से हो गया है। मान्यता है कि नवरात्रि में रोज देवी को अलग-अलग भोग लगाने से तथा बाद में इन चीजों का दान करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
नवरात्रि की द्वितीया तिथि यानी दूसरे दिन माता दुर्गा को शक्कर का भोग लगाएं ।इससे उम्र लंबी होती है ।
चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक वासंतिक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार वासंतिक नवरात्रि का प्रारंभ 13 अप्रैल, मंगलवार से हो गया है, धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि में हर तिथि पर माता के एक विशेष रूप का पूजन करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।
तप की शक्ति का प्रतीक है मां ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि की द्वितीया तिथि पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही, सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती है कि जीवन में बिना तपस्या अर्थात कठोर परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है। बिना श्रम के सफलता प्राप्त करना ईश्वर के प्रबंधन के विपरीत है। अत: ब्रह्मशक्ति अर्थात समझने व तप करने की शक्ति हेतु इस दिन शक्ति का स्मरण करें। योगशास्त्र में यह शक्ति स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होती है। अत: समस्त ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र में करने से यह शक्ति बलवान होती है एवं सर्वत्र सिद्धि व विजय प्राप्त होती है।