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13 नवंबर 2022

Updated on 13-11-2022 12:18 PM
दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमंत*
*⛅मास - मार्गशीर्ष ( गुजरात एवं महाराष्ट्र में कार्तिक मास )*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - पंचमी रात्रि 12:51 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - आर्द्रा सुबह 10:18 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*⛅योग - साध्य रात्रि 10:51 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल - शाम 04:33  से 05:56 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:52*
*⛅सूर्यास्त - 05:56*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:08 से 06:00 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:58 से 12:50 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड : 27.29-34)*

*🔹दीपक की दिशा🔹*

*👉 दीपक अपने से दक्षिण दिशा की तरफ रखने से प्राण हानि होती है ।*

*👉 दीपक अपने से नैऋत्य दिशा की तरफ रखने से विस्मृति कारक उर्जा बनती है ।*

*👉 दीपक अपने से पश्चिम दिशा की तरफ रखने से शांतिदायक होता है ।*

*👉 दीपक अपने से वायव्य दिशा की तरफ रखने से सम्पत्तिनाशक होता है ।*

*👉 दीपक अपने से उत्तर दिशा की तरफ रखने से स्वास्थ्य व धन प्रदायक होता है ।*

*👉 दीपक अपने से ईशान कोण दिशा की तरफ रखने से कल्याणकारक होता है ।*

*🔹बुद्धि बढ़ाने के ढेर सारे उपाय🔹*
 
*१] दिव्य प्रेरणा-प्रकाश पुस्तक में (पृष्ठ २ पर ) एक मंत्र लिखा है, उसको पढ़कर दूध में देखोगे और वह दूध पियोगे तो बुद्धि बढ़ेगी, बल बढ़ेगा ।*

*मंत्र :*
*ॐ नमो भगवते महाबले पराक्रमाय मनोभिलाषितं मनः स्तंभ कुरु कुरु स्वाहा ।*

*२] मंत्रजप और अनुष्ठान से बुद्धि विकसित होती है ।*

*३] भगवच्चिंतन करके ॐकार का गुंजन करके शांत होओगे तो बुद्धि बढ़ेगी ।*

*४] श्वासोच्छवास में भगवान् सूर्यनारायण का ध्यान करने से भी फायदा होगा ।*

*५] श्रद्धा, भक्ति और गुरुजनों के सत्संग से भी बुद्धि उन्नत होती है ।*

*७] भगवद-ध्यान से तो बुद्धि को बढ़ना ही है ।*

*८] स्मृतिशक्ति बढ़ानी है तो कानों में अँगूठे के पासवाली पहली उँगलियाँ डालकर लम्बा श्वास लो फिर होंठ बंद रख के कंठ से ‘ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ... ’ ऐसा उच्चारण करो । इस प्रकार १० बार करो । इस भ्रामरी प्राणायाम से स्मृति बढ़ेगी, बुद्धू विद्यार्थी भी अच्छे अंक लायेंगे ।*
  

*🌹 पंचमहाभूतों के तन्मात्रों की रचना 🌹*

*🌹 पंचमहाभूतों के सात्त्विक तन्मात्र से मन और ज्ञानेन्द्रियाँ बनती हैं, राजस तन्मात्र से कर्मेन्द्रियाँ और प्राण बनते हैं तथा तामस तन्मात्र से विषय और बाह्य पदार्थ बनते हैं ।*

*🌹 मन चार प्रसिद्ध हैं : मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार । इसीको अंत:करण-चतुष्टय कहते हैं ।*

*🌹 ज्ञानेन्द्रियाँ पाँच है : श्रोत (कान), त्वक (त्वचा), चक्षु (नेत्र), रसना (जिव्हा) और घ्राण (नासिका) ।*

*🌹 कर्मेन्द्रियाँ पाँच है : वाक्, पाणि (हाथ), पाद (पैर), उपस्थ (जननेंद्रिय) और पायु (गुदा) ।*

*🌹 प्राण दस है : इनमें पाँच मुख्य प्राण है – प्राण, अपान, समान, उदान और व्यान ।*   

*🌹 पाँच उपप्राण हैं  - नाग, कूर्म, कृकल, देवदत्त और धनंजय ।

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