⛅ *व्रत पर्व विवरण - आज गुरुवार, वैशाख शुक्ल द्वितीया तिथि है आज रोहिणी नक्षत्र, "आनन्द" नाम संवत् 2078 है I
💥 विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कल 14 मई शुक्रवार को अक्षय तृतीया एवं परशुराम प्रकटोत्सव है।
👉 स्कन्द पुराण के अनुसार श्रद्धा से दान करने का फल-
👉 भूमि दान से मण्डलेश्वर पद मिलता है।
👉 अन्नदान से सर्वत्र सुखी रहता है।
👉 जल दान से सुन्दर रूप मिलता है।
👉 भोजन दान से हष्ट पुष्ट होता है।
👉 दीपदान से निर्मल नेत्र युक्त होता है।
👉 गोदान करने वाला सूर्य लोक जाता है।
👉 स्वर्ण दान से दीर्घायु होता है।
👉 तिल दान से उत्तम प्रजा से युक्त होता है।
👉 घर दान से ऊंचे महलों का स्वामी बनता है।
👉 वस्त्र दान देने से चन्द्र लोक जाता है।
👉 घोड़ा दान से दिव्य शरीर मिलता है।
👉 बेल दान से लक्ष्मीवान होता है।
👉 अश्रद्धा से किए गए दान से अध: पतन होता है।
समस्याओं के समाधान का बढिया उपाय
👉🏻 कोई भी समस्या आये तो बड़ी ऊँगली (मध्यमा) और अँगूठा मिलाकर भ्रूमध्य के नीचे और तर्जनी ( अँगूठे के पासवाली पहली ऊँगली) ललाट पर लगा के शांत हो जायें | श्वास अंदर जाय तो ‘ॐ’ , बाहर आये तो ‘शांति’ – ऐसा कुछ समय तक करें | आपको समस्याओं का समाधान बढिया मिलेगा |
ससुराल मे कोई तकलीफ
👩🏻 किसी सुहागन बहन को ससुराल में कोई तकलीफ हो तो शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें …उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें..भोजन में दाल चावल सब्जी रोटी नहीं खाए, दूध रोटी खा लें..शुक्ल पक्ष की तृतीया को..अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है उसको ऐसा उपवास रखें …नमक बिना का भोजन(दूध रोटी) , एक बार खाए बस……अगर किसी बहन से वो भी नहीं हो सकता पूरे साल का तो केवल
🙏🏻 माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया,
🙏🏻 वैशाख शुक्ल तृतीया और
🙏🏻 भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया
जरुर ऐसे ३ तृतीया का उपवास जरुर करें …नमक बिना का भोजन करें ….जरुर लाभ होगा…
🙏🏻 ..ऐसा व्रत वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधती ने किया था…. ऐसा आहार नमक बिना का भोजन…. वशिष्ठ और अरुंधती का वैवाहिक जीवन इतना सुंदर था कि आज भी सप्त ऋषियों में से वशिष्ठ जी का तारा होता है , उनके साथ अरुंधती का तारा होता है…आज भी आकाश में रात को हम उन का दर्शन करते हैं …
🙏🏻 .शास्त्रों के अनुसार शादी होती तो उनका दर्शन करते हैं ….. जो जानकार पंडित होता है वो बोलता है…शादी के समय वर-वधु को अरुंधती का तारा दिखाया जाता है और प्रार्थना करते हैं कि , “जैसा वशिष्ठ जी और अरुंधती का साथ रहा ऐसा हम दोनों पति पत्नी का साथ रहेगा..” ऐसा नियम है….
चन्द्रमा की पत्नी ने इस व्रत के द्वारा चन्द्रमा की यानी २७ पत्नियों में से प्रधान हुई….चन्द्रमा की पत्नी ने तृतीया के व्रत के द्वारा ही वो स्थान प्राप्त किया था…तो अगर किसी सुहागन बहन को कोई तकलीफ है तो ये व्रत करें ….उस दिन गाय को चंदन से तिलक करें … कुम-कुम का तिलक ख़ुद को भी करें उत्तर दिशा में मुख करके …. उस दिन गाय को भी रोटी गुड़ खिलाये॥