*⛅नक्षत्र - विशाखा सुबह 08:21 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - हर्षण शाम 05:11 तक तत्पश्चात वज्र*
*⛅राहु काल - सुबह 08:20 से 09:50 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:51*
*⛅सूर्यास्त - 06:48*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:14 से 06:03 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:13 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - संत एकनाथजी षष्ठी*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔸सफलता प्राप्त करने के लिए...🔸*
*🔹किसी कार्य की सिद्धि के लिए जाते समय घर से निकलने से पूर्व ही अपने हाथ में रोटी ले लें । मार्ग में जहाँ भी गाय दिखे उसे खिला दें । इससे सफलता प्राप्त होती है ।*
*🔹अमृतफल बिल्व के औषधि प्रयोगः🔹*
*🌹 उलटीः बेलफल के छिलके का 30 से 50 मि.ली. काढ़ा शहद मिलाकर पीने से त्रिदोषजन्य उलटी में आराम मिलता है ।*
*गर्भवती स्त्रियों को उलटी व अतिसार होने पर कच्चे बेलफल के 20 से 50 मि.ली. काढ़े में सत्तू का आटा मिलाकर देने से भी राहत मिलती है ।*
*बार-बार उलटियाँ होने पर और अन्य किसी भी चिकित्सा से राहत न मिलने पर बेलफल के गूदे का 5 ग्राम चूर्ण चावल की धोवन के साथ लेने से आराम मिलता है ।*
*🌹 संग्रहणीः इस व्याधि में पाचनशक्ति अत्यंत कमजोर हो जाती है । बार-बार दुर्गन्धयुक्त चिकने दस्त होते हैं । इसके लिए 2 बेलफल का गूदा 400 मि.ली. पानी में उबालकर छान लें । फिर ठंडी कर उसमें 20 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करें ।*
*🌹 पुरानी जीर्ण संग्रहणीः बेल का 100 ग्राम गूदा प्रतिदिन 250 ग्राम छाछ में मसलकर पियें ।*
*🌹 पेचिश(Dysentery)- बेलफल आँतों को ताकत देता है । एक बेल के गूदे से बीज निकालकर सुबह शाम सेवन करने से पेट में मरोड़ नहीं आती ।*
*🌹 जलनः 200 मि.ली. पानी में 25 ग्राम बेल का गूदा, 25 ग्राम मिश्री मिलाकर शरबत पीने से छाती, पेट, आँख या पाँव की जलन में राहत मिलती है ।*
*🌹 मुँह के छालेः एक बेल का गूदा 100 ग्राम पानी में उबालें, ठंडा हो जाने पर उस पानी से कुल्ले करें । छाले मिट जायेंगे ।*
*🌹 मधुमेहः बेल एवं बकुल की छाल का 2 ग्राम चूर्ण दूध के साथ लें अथवा 15 बिल्वपत्र और 5 काली मिर्च पीसकर चटनी बना लें । उसे एक कप पानी में घोलकर पीने से मधुमेह ठीक हो जाता है । इसे लम्बे समय, एक दो साल तक लेने से मधुमेह स्थायी रूप से ठीक होता है ।*
*🌹 दिमागी थकावटः एक पके बेल का गूदा रात्रि के समय पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रखें । सुबह छानकर इसमें मिश्री मिला लें और प्रतिदिन पियें । इससे दिमाग तरोताजा हो जाता है ।*
*🌹 कान का दर्द, बहरापनः बेलफल को गोमूत्र में पीसकर उसे 100 मि.ली. दूध, 300 मि.ली. पानी तथा 100 मि.ली. तिल के तेल में मिलाकर धीमी आँच पर उबालें । यह बिल्वसिद्ध तेल प्रतिदिन 4-4 बूँद कान में डालने से कान के दर्द तथा बहरेपन में लाभ होता है ।*
*🌹 पाचनः पके हुए बेलफल का गूदा निकालकर उसे खूब सुखा लें । फिर पीसकर चूर्ण बनायें । इसमें पाचक तत्त्व पूर्ण रूप से समाविष्ट होता है । आवश्यकता पड़ने पर 2 से 5 ग्राम चूर्ण पानी में मिलाकर सेवन करने से पाचन ठीक होता है । इस चूर्ण को 6 महीने तक ही प्रयोग में लाया जा सकता है ।*
*🔹घर में सुख-सम्पति लाने के लिए🔹*
*🔸गाय के दूध के दही में थोड़ा जौ और तिल मिला दें । फिर उससे रगड़-रगड़कर ॐ लक्ष्मीनारायणाय नम: ॐ लक्ष्मीनारायणाय नम: । जप करके स्नान करें ।*