*⛅नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी शाम 04:36 तक तत्पश्चात हस्त*
*⛅योग - शोभन दोपहर 12:46 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*⛅राहु काल - सुबह 11:27 से 12:48 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:23*
*⛅सूर्यास्त - 06:14*
*⛅चंद्रोदय - रात्रि 11:42*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:15 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - लोहड़ी पर्व (पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मु-कश्मीर)*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 मकर संक्रांति - 15 जनवरी 2023 🌹*
*पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त तक*
*🌹 जिस दिन भगवान सूर्यनारायण उत्तर दिशा की तरफ प्रयाण करते हैं, उस दिन उतरायण (मकर संक्रांति) का पर्व मनाया जाता है । इस दिन से अंधकारमयी रात्रि कम होती जाती है और प्रकाशमय दिवस बढ़ता जाता है ।*
*🌹 सम्यक क्रांति... ऐसे तो हर महिने संक्रांति आती है लेकिन मकर संक्रांति साल में एक बार आती है । उसीका इंतजार किया था भीष्म पितामह ने । उन्होंने उत्तरायण काल शुरू होने के बाद ही देह त्यागी थी ।*
*🌹 पुण्यपुंज व आरोग्यता अर्जन का दिन 🌹*
*🌞 मकर संक्राति के दिन सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से धन धान्य की वृद्धि होगी और सुख शांति बढ़ेगी*
*🌞 जो संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता वह ७ जन्मों तक निर्धन और रोगी रहता है और जो संक्रांति का स्नान कर लेता है वह तेजस्वी और पुण्यात्मा हो जाता है । संक्रांति के दिन उबटन लगाये, जिसमे काले तिल का उपयोग हो ।*
*🌞 भगवान सूर्य को भी तिलमिश्रित जल से अर्घ्य दें । इस दिन तिल का दान पापनाश करता है, तिल का भोजन आरोग्य देता है, तिल का हवन पुण्य देता है । पानी में भी थोड़े तिल डाल के पियें तो स्वास्थ्यलाभ होता है । तिल का उबटन भी आरोग्यप्रद होता है ।*
*🌞 इस दिन सुर्योद्रय से पूर्व स्नान करने से १० हजार गौदान करने का फल होता है । जो भी पुण्यकर्म उत्तरायण के दिन करते हैं वे अक्षय पुण्यदायी होते हैं । तिल और गुड़ के व्यंजन, चावल और चने की दाल की खिचड़ी आदि ऋतु-परिवर्तनजन्य रोगों से रक्षा करती है । तिलमिश्रित जल से स्नान आदि से भी ऋतु-परिवर्तन के प्रभाव से जो भी रोग-शोक होते हैं, उनसे आदमी भिड़ने में सफल होता है ।*
*🌞 सूर्यदेव की विशेष प्रसन्नता हेतु मंत्र 🌞*
*🌞 ‘पद्म पुराण’ में सूर्यदेवता का मूल मंत्र है : ॐ ह्रां ह्रीं स: सूर्याय नम: । अगर इस सूर्य मंत्र का ‘आत्मप्रीति व आत्मानंद की प्राप्ति हो’ – इस हेतु से भगवान भास्कर का प्रीतिपूर्वक चिंतन करते हुए जप करते हैं तो खूब प्रभु-प्यार बढ़ेगा, आनंद बढ़ेगा ।*
*🌞 आरोग्य व पुष्टि वर्धक : सूर्यस्नान 🌞*
*🌞 सूर्य की धूप में जो खाद्य पदार्थ, जैसे-घी, तेल आदि २ – ४ घंटे रखा रहे तो अधिक सुपाच्य हो जाता है । धूप में रखे हुए पानी से कभी –कभी स्नान कर सकते हैं । इससे सूखा रोग (Rickets) नहीं होता और रोगनाशिनी शक्ति बरकरार रहती है ।*
*🌞 सूर्य की किरणों से रोग दूर करने की प्रशंसा ‘अथर्ववेद’ में भी आती है । कांड – १, सूक्त २२ के श्लोकों में सूर्य की किरणों का वर्णन आता है ।*
*मैं १५-२० मिनट सूर्यस्नान करता हूँ । लेटे–लेटे सूर्यस्नान करना और भी हितकारी होता है लेकिन सूर्य की कोमल धूप हो, सूर्योदय से एक-डेढ़ घंटे के अंदर-अंदर सूर्यस्नान कर लें । इससे मांसपेशियाँ तंदुरस्त होती हैं, स्नायुओं का दौर्बल्य दूर होता है । सूर्यस्नान का यह प्रसाद मुझे अनुभव होता है । मुझे स्नायुओं में दौर्बल्य नहीं है । स्नायु की दुर्बलता, शरीर में दुर्बलता, थकान व कमजोरी हो तो प्रतिदिन सूर्यस्नान करना चाहिए ।*
*🌞 सूर्यस्नान से त्वचा के रोग भी दूर होते हैं, हड्डियाँ मजबूत होती हैं । रक्त में कैल्शियम, फॉस्फोरस व लोहें की मात्राएँ बढ़ती हैं, ग्रंथियों के स्त्रोतों में संतुलन होता है । सूर्यकिरणों से खून का दौरा तेज, नियमित व नियंत्रित चलता है । लाल रक्त कोशिकाएँ जाग्रत होती हैं, रक्त की वृद्धि होती है । गठिया, लकवा और आर्थराइटिस के रोग में भी लाभ होता है । रोगाणुओं का नाश होता है, मस्तिष्क के रोग, आलस्य, प्रमाद, अवसाद, ईर्ष्या-द्वेष आदि शांत होते हैं । मन स्थिर होने में भी सूर्य की किरणों का योगदान है । नियमित सूर्यस्नान से मन पर नियंत्रण, हार्मोन्स पर नियंत्रण और त्वचा व स्नायुओं में क्षमता, सहनशीलता की वृद्धि होती है ।*
*🌞 नियमित सूर्यस्नान से दाँतों के रोग दूर होने लगते हैं । विटामिन ‘डी’ की कमी से होनेवाले सूखा रोग, संक्रामक रोग आदि भी सूर्यकिरणों से भगाये जा सकते हैं ।*
*🌞 अत: आप भी खाद्य अन्नों को व स्नान के पानी को धूप में रखों तथा सूर्यस्नान का खूब लाभ लो ।*