मास - पौष (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - मार्गशीर्ष)
तिथि - अमावस्या सुबह 10:29 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र - उत्तराषाढा 14 जनवरी प्रातः 05:28 तक तत्पश्चात श्रवण
योग - हर्षण रात्रि 12:16 तक तत्पश्चात वज्र
राहुकाल - दोपहर 12:48 से दोपहर 02:10 तक
सूर्योदय - 07:19 सूर्यास्त - 18:15
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
स्वास्थ्य सुरक्षा की सुव्यवस्था
14 जनवरी 2021 गुरुवार को (पुण्यकाल सुबह 08:16 से शाम 04:16 तक) मकर संक्रान्ति (उत्तरायण) है।
मकर संक्रान्ति के दिन तिल गुड़ के व्यंजन और चावल में मूंग की दाल मिलाकर बनाई गई खिचड़ी का सेवन ऋतु-परिवर्तनजन्य रोगों से रक्षा करता है । इनका दान करने का भी विधान है । मकर संक्रान्ति पर्व पर तिल के उपयोग की महिमा पर शास्त्रीय दृष्टि से प्रकाश डालते हुए पूज्य बापूजी कहते हैं : ‘’जो मकर संक्रांति में इन छह प्रकारों से तिलों का उपयोग करता है वह इहलोक और परलोक में वांछित फल पाता है – तिल का उबटन, तिलमिश्रित जल से स्नान, तिल-जल से अर्घ, तिल का होम, तिल का दान और तिलयुक्त भोजन । किंतु ध्यान रखें – रात्रि को तिल व उसके तेल से बनी वस्तुएं खाना वर्जित है ।‘’
मकर संक्रांति पर्व पुण्यकाल
साल 2021 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जा रही है। इस दिन पर्व का का पुण्य काल 8 घंटे का रहेगा।
यह सुबह 8 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक होगा। शास्त्रों के अनुसार आपको बता दें कि इस दौरान स्नान-दान से कई गुना फल प्राप्त होता है। मकर संक्रांति पर मकर राशि में कई महत्वपूर्ण ग्रह एक साथ गोचर करेंगे। इस दिन सूर्य, शनि, गुरु, बुध और चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे। जो एक शुभ योग का निर्माण करते हैं। इसीलिए इस दिन किया गया दान और स्नान जीवन में बहुत ही पुण्य फल प्रदान करता है और सुख समृद्धि लाता है।
इस वर्ष मकर संक्रांति पर सूर्य, शनि, गुरु, बुध और चंद्रमा मकर राशि में होंगे। इस स्थिति को मकर संक्रांति के लिए बेहद शुभ फलदायी माना गया है। इस दिन सूर्यदेव के साथ इन सब ग्रहों का पूजन करें। सूर्यदेव के साथ नवग्रहों का विधि-विधान से पूजा करने पर व्यक्ति को मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।" मकर संक्रांति के दिन अगर दान किया जाए तो इसका महत्व बेहद विशेष होता है। इस दिन व्यक्ति को अपने सामर्थ्यनुसार दान देना चाहिए। साथ ही पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। इस दिन खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना जाता है। साथ ही गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक गर्म कपड़े आदि असहाय व।गरीबों को बांटा जाता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर चलता है, इस दौरान सूर्य की किरणों को अशुभ माना गया है, लेकिन जब सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगता है, तब उसकी किरणें शुभता, सेहत और शांति को बढ़ाती हैं। जो आध्यात्मिक क्रियाओं से जुड़े हैं उन्हें शांति और सिद्धि प्राप्त होती है। अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो पूर्व के कड़वे अनुभवों को भुलकर मनुष्य आगे की ओर बढ़ता है। स्वयं भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि, उत्तरायण के 6 माह के शुभ काल में, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं, तब पृथ्वी प्रकाशमय होती है, अत: इस प्रकाश में शरीर का त्याग करने से मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है और वह ब्रह्मा को प्राप्त होता है। महाभारत काल के दौरान भीष्म पितामह जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। उन्होंने भी मकर संक्रांति के दिन शरीर का त्याग किया था।
पुण्य काल मुहूर्त :08:03:07 से 12:30:00 तक
अवधि :4 घंटे 26 मिनट
महापुण्य काल मुहूर्त :08:03:07 से 08:27:07 तक
अवधि :0 घंटे 24 मिनट
संक्रांति पल :08:03:07
उत्तरायण विशेष
जिनके जीवन में अर्थ का अभाव... पैसों की तंगी बहुत देखनी पड़ती है जिनको कोई बहुत परेशान कर रहा है जिनके शरीर में रोग रहते हैं ..मिटते नहीं हैं उन सभी के लिए ये योग बहुत सुन्दर है क्या करें ?
तपस्या कर सकें तो बहुत अच्छा है .. नमक -मिर्च नहीं खाना उस दिन आदित्यह्रदय स्त्रोत्र का पाठ भी जरुर करें ..जितना हो सके १/२/३ बार... जो आप चाहते हैं ...सुबह स्नान आदि करके श्वास गहरा लेके रोकना ...गायत्री मंत्र बोलना ...संकल्प करना ..."हम ये चाहते हैं प्रभु !...ऐसा हो .." फिर श्वास छोड़ना ... ऐसा ३ बार जरुर करें फिर अपना गुरु मंत्र का जप करें और सूर्य भगवन को अर्घ दें तो ये २१ मंत्र बोलें
ॐ सूर्याय नमः
ॐ रवये नमः
ॐ भानवे नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ मार्तण्डाय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ दिनकराय नमः
ॐ दिवाकराय नमः
ॐ मरिचये नमः
ॐ हिरणगर्भाय नमः
ॐ गभस्तिभीः नमः
ॐ तेजस्विनाय नमः
ॐ सहस्त्रकिरणाय नमः
ॐ सहस्त्ररश्मिभिः नमः
ॐ मित्राय नमः
ॐ खगाय नमः
ॐ पूष्णे नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ प्रभाकराय नमः
ॐ कश्यपाय नमः
ॐ श्री सवितृ सूर्य नारायणाय नमः
पौराणिक सूर्य भगवान की स्तुति का मंत्र अर्घ देने से पहले बोले :-