*⛅विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹हवन-यज्ञ क्यों ?🔹*
*🔹वैश्विक समस्याओं में जाति, मत, पंथ, देश के दायरों से परे होकर देखें तो जो विकराल समस्याएँ हैं उनमें से एक है वातावरण और वैचारिक प्रदूषण की समस्या । विभिन्न देशों द्वारा करोड़ों-अरबों डॉलर खर्च करके उपाय खोजे व किये जा रहे हैं परंतु यह समस्या वैसी ही बनी हुई है । इसके निवारण हेतु विश्व अब भारत की प्राचीन धरोहर यज्ञ-हवन की ओर एक आशाभरी नजर से देख रहा है। यह हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा चलायी गयी परम्परा है और समय-समय पर महापुरुषों द्वारा इसे सुविकसित व लोकसुगम्य बनाया गया है ।*
*🔹कारखानों व गाड़ियों आदि के धुएँ से वातावरण दूषित होता है, जिससे फेफड़ों व श्वास के विभिन्न रोग होते हैं । यज्ञ-हवन दूषित वायुमंडल को तो शुद्ध करता ही है, साथ ही इससे मानसिक कुविचारों पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है ।*
*🔹प्रज्वलित खाँड (अपरिष्कृत शक्कर) में वायु को शुद्ध करने की अत्यधिक शक्ति होती है । घी की आहुति से वातावरण शुद्धि तथा विभिन्न रोगों के कीटाणुओं का नाश होता है । अतः जिन स्थानों पर हवन होता है वहाँ फसल अच्छी होती है ।*
*🔹श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ पूज्य बापूजी यज्ञ की उपयोगिता समझाते हुए कहते हैं : "तुम्हारे जीवन में यज्ञ के लिए भी स्थान होना चाहिए । श्रीकृष्ण बताते हैं : यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि... 'सब प्रकार के यज्ञों में जपयज्ञ मैं हूँ।' (गीता : १०.२५)*
*परंतु आहुति देकर जो यज्ञ होते हैं, वे भी अच्छे हैं, उनका भी अपना महत्त्व है ।*
*🔹आपको गीत, भजन या जो कुछ भी याद करना हो तो पहले उसे देख लो फिर थोड़ा गुनगुनाओ या दोहराओ । फिर जीभ तालू में लगा के उसको थोड़ा पक्का हो जाने दो (save कर लो), बस ! बीसों बार रटने से जो याद रहता होगा उसे जीभ तालू में लगा के २-४ बार अथवा थोड़ा समय मन में स्मरण कर लोगे तो याद रह जायेगा, परीक्षा में अंक अच्छे आयेंगे ।*
*🔹यदि स्मृति नाड़ी जागृत करनी है तो प्रथम उँगली (तर्जनी) को अँगूठे के ऊपरी भाग पर स्पर्श करायें, शेष तीनों उँगलियाँ सीधी रखें । सुखासन में बैठ के लम्बा श्वास लें और २ मिनट या ५-१० मिनट 'हरि ॐ' का प्लुत (खूब लम्बा व लयबद्ध) उच्चारण करके बाद में तालू में जीभ लगाकर श्वासों को गिनने की साधना करें तो बहुत सारी योग्यताएँ जो छुपी हैं वे विकसित होती हैं ।*
*🔹तुलसी हमारी रक्षक और पोषक है🔹*
*👉 तुलसी आयु, आरोग्य, पुष्टि देती है ।*
*👉 तुलसी दर्शनमात्र से पाप समुदाय का नाश करती है ।*
*👉 तुलसी स्पर्श करने मात्र से यह शरीर को पवित्र बनाती है ।*
*👉 तुलसी को जल देकर प्रणाम करने से रोग निवृत्त करती है तथा नरकों से रक्षा करती है ।*
*👉 तुलसी सेवन से स्मृति व रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है ।*
*👉 जिसके गले में तुलसी लकड़ी की माला हो या तुलसी का पौधा निकट हो तो उसे यमदूत नहीं छू सकते। तुलसी माला धारण करने से जीवन में ओज तेज बना रहता है ।*
*👉 वैज्ञानिक बोलते हैं कि जो तुलसी का सेवन करता है उसका मलेरिया मिट जाता है अथवा होता नहीं है, कैंसर नहीं होता । लेकिन हम कहते हैं कि यह तुम्हारा नजरिया बहुत छोटा है, 'तुलसी भगवान की प्रसादी है, यह भगवत्प्रिया है । हमारे हृदय में भगवत्प्रेम देने वाली तुलसी माँ हमारी रक्षक और पोषक है ।' ऐसा विचार करके तुलसी खाओ, बाकी मलेरिया आदि तो मिटना ही है । हम लोगों का नजरिया केवल रोग मिटाना नहीं है बल्कि मन प्रसन्न करना है, जन्म मरण का रोग मिटाकर जीते जी भगवद रस जगाना है ।"*