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शकुन शास्त्र के 12 सूत्र, अश्वगंधा: के गुण धर्म एवं लाभ

Updated on 03-05-2021 12:32 AM
घर में हर छोटी वस्तु का अपना महत्व होता है। कभी-कभी बेकार समझी जाने वाली वस्तु भी घर में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर देती है। गृहस्थी में रोजाना काम में आने वाली चीजों से भी शकुन-अपशकुन जुड़े होते हैं, जो जीवन में कई महत्वपूर्ण मोड़ लाते हैं। शकुन शुभ फल देते हैं, वहीं अपशकुन इंसान को आने वाले संकटों से सावधान करते हैं। हम आपको घर से जुड़ी वस्तुओं के शकुनों के बारे में बता रहे हैं।
1-दूध का शकुन
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सुबह-सुबह दूध को देखना शुभ कहा जाता है। दूध का उबलकर गिरना शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-शांति, संपत्ति, मान व वैभव की उन्नति होती है। दूध का बिखर जाना अपशकुन मानते हैं, जो किसी दुर्घटना का संकेत है। दूध को जान-बूझकर छलकाना अपशकुन माना जाता है , जो घर में कलह का कारण है।
2-दर्पण का शकुन
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हर घर में दर्पण का बहुत महत्व है। दर्पण से जुड़े कई शकुन-अपशकुन मनुष्य जीवन को कहीं न कहीं प्रभावित अवश्य करते हैं। दर्पण का हाथ से छूटकर टूट जाना अशुभ माना जाता है। एक वर्ष तक के बच्चे को दर्पण दिखाना अशुभ होता है। यदि कोई नव विवाहिता अपनी शादी का जोड़ा पहन कर श्रृंगार सहित खुद को टूटे दर्पण में देखती है तो भी अपशकुन होता है। तात्पर्य यह है कि दर्पण का टूटना हर दृष्टिकोण से अशुभ ही होता है। इसके लिए यदि दर्पण टूट जाए तो इसके टूटे हुए टुकड़ों को इकटठा करके बहते जल में डाल देने से संकट टल जाते हैं।
3-पैसे का शकुन
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आज के इस युग में पैसे को भगवान माना जाता है। जेब को खाली रखना अपशकुन मानते हैं। कहा जाता है कि पैसे को अपने कपड़ों की हर जेब में रखना चाहिए। कभी भी पर्स खाली नहीं रखना चाहिए।
4-चाकू का शकुन
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चाकू एक ऐसी वस्तु है, जिसके बिना किसी भी घर में काम नहीं चल सकता। इसकी जरूरत हर छोटे-छोटे कार्य में पड़ती है। इससे जुड़े भी अनेक शकुन-अपशकुन होते हैं। डाइनिंग टेबल पर छुरी-कांटे का क्रास करके रखना अशुभ मानते हैं, इसके कारण घर के सदस्यों में झगड़ा हो जाता है। मेज से चाकू का नीचे गिरना भी अशुभ होता है। नवजात शिशु के तकिए के नीचे चाकू रखना शुभ होता है तथा छोटे बच्चे के गले में छोटा सा चाकू डालना भी अच्छा होता है। इससे बच्चों की बुरी आत्माओं से रक्षा होती है व नींद में बच्चे रोते भी नहीं हैं। यदि कोई व्यक्ति आपको चाकू भेंट करे तो इसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए एक सिक्का अवश्य दें।
5-झाडू का शकुन
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घर के एक कोने में पड़े हुए झाडू को घर की लक्ष्मी मानते हैं, क्योंकि यह दरिद्रता को घर से बाहर निकालता है। इससे भी कई शकुन व अपशकुन जुड़े हैं। दीपावली के त्यौहार पर नया झाडू घर में लाना लक्ष्मी जी के आगमन का शुभ शकुन है। नए घर में गृह प्रवेश से पूर्व नए झाडू का घर में लाना शुभ होता है। झाडू के ऊपर पांव रखना गलत समझा जाता है। यह माना जाता है कि व्यक्ति घर आई लक्ष्मी को ठुकरा रहा है। कोई छोटा बच्चा अचानक घर में झाडू लगाने लगे तो समझ लीजिए कि घर में कोई अवांछित मेहमान के आने का संकेत है। सूर्यास्त के बाद घर में झाडू लगाना अपशकुन होता है, क्योंकि यह व्यक्ति के दुर्भाग्य को निमंत्रण देता है।
6-बाल्टी का शकुन
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सुबह के समय यदि पानी या दूध से भरी बाल्टी दिखाई दे तो शुभ होता है। इससे मन में सोचे कार्य पूरे होते हैं। खाली बाल्टी देखना अपशकुन समझा जाता है, जो बने-बनाए कार्यों को बिगाड़ देता है। रात को खाली बाल्टी को प्रायः उल्टा करके रखना चाहिए एवं घर में एक बाल्टी को अवश्य भरकर रखें, ताकि सुबह उठकर घर के सदस्य उसे देख सकें।
7-लोहे का शकुन
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घर में लोहे का होना शुभ कहा जाता है। लोहे में एक शक्ति होती है, जो बुरी आत्माओं को घर से भगा देती है। पुराने व जंग लगे लोहे को घर में रखना अशुभ है। घर में लोहे का सामान साफ करके रखें।
8-हेयरपिन का शकुन
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हेयरपिन एक बहुत ही मामूली सी चीज है, परंतु इसका प्रभाव बड़ा आश्चर्यजनक होता है। यदि किसी व्यक्ति को राह में कोई हेयरपिन पड़ा मिल जाये तो समझो कि उसे कोई नया मित्र मिलने वाला है। वहीं यदि हेयर पिन खो जाये तो व्यक्ति के नए दुश्मन पैदा होने वाले हैं। हेयरपिन को घर में कहीं लटका दिया जाए तो यह अच्छे भाग्य का प्रतीक है।
9-काले वस्त्र का शकुन
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काले वस्त्र बहुत अशुभ माने जाते हैं। किसी व्यक्ति के घर से बाहर जाते समय यदि कोई आदमी काले वस्त्र पहने हुए दिखाई दे तो अपशकुन माना जाता है, जिसके बुरे प्रभाव से जाने वाले व्यक्ति की दुर्घटना हो सकती है। अतः ऐसे व्यक्ति को अपना जाना कुछ मिनट के लिए स्थगित कर देना चाहिए।
10-रुई का शकुन
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रूई का कोई टुकड़ा किसी व्यक्ति के कपड़ों पर चिपका मिले तो यह शुभ शकुन है। यह किसी शुभ समाचार आने का संकेत है या किसी प्रिय व्यक्ति के आने का संकेत है। कहा जाता है कि रूई का यह टुकड़ा व्यक्ति को किसी एक अक्षर के रूप में नजर आता है व यह अक्षर उस व्यक्ति के नाम का प्रथम अक्षर होता है, जहां से उस व्यक्ति के लिए शुभ संदेश या पत्र आ रहा है।
11-चाबियों का शकुन
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चाबियों का गुच्छा गृहिणी की संपूर्णता का प्रतीक है। यदि गृहिणी के पास चाबियों का कोई ऐसा गुच्छा है, जिस पर बार-बार साफ करने के बाद भी जंग चढ़ जाए तो यह एक अच्छा शकुन है। इसके फलस्वरूप घर का कोई रिश्तेदार अपनी जायदाद में से आपको कुछ देना चाहता है या आपके नाम से कुछ धन छोड़कर जाना चाहता है। चाबियों को बच्चे के तकिए के नीचे रखना भी अच्छा होता है, इससे बुरे स्वप्नों एवंबुंरी आत्माओं से बच्चे का बचाव होता है।
12-बटन का शकुन
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कभी-कभी कमीज़, कोट या अन्य कोई कपड़े का बटन गलत लग जाए तो अपशकुन होता है, जिसके अनुसार सीधे काम भी उल्टे पड़ जाएंगे। इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए कपड़े को उतारकर सही बटन लगाने के बाद पहनें। यदि रास्ते चलते आपको कोई बटन पड़ा मिल जाए तो यह आपको किसी नए मित्र से मिलवाएगा।

अश्वगंधा: के गुण धर्म एवं लाभ
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नाम -- अंग्रेजी-- विंटर चेरी
              
संस्कृत-- अश्वगंधा,, वराहकर्णी,, पलासपर्णी,, पिवरी,, पुष्टिदा,, बाजीकरी,, तुरगी
                
हिंदी-- असगंध,, नागौरी असगंध
                गुजराती-- आसोद,, घोड़ा आहन,, आसुन
                बंगाली-- अश्वगंधा
                 तमिल-- बाजीगंधा
                  तेलुगू-- पनेरू

जानकारी👉 यह बहुधा समशीतोष्ण प्रदेशों,, पश्चिमोत्तर​ भाग महाराष्ट्र,, गुजरात,, राजस्थान,, मध्यप्रदेश,, उत्तर प्रदेश,, पंजाब,, तथा जम्मू कश्मीर और हिमाचल में ५००० फुट की ऊंचाई पर पाया जाता है।। इसके अलावा पाकिस्तान,, अफगानिस्तान,, इजरायल,, मिस्र ,, जार्डन,, स्पेन तथा दक्षिण अफ्रीका में पाया जाता है।। बंगाल,, असम,, बर्मा आदि शुष्क प्रदेशों मे नागौरी असगंध पैदा होती है।। 

स्वरूप👉 इसका पौधा ३-४ फुट का होता है और ३-४ वर्ष तक जीवित रहता है।। टेढ़ी शाखाओं वाला यह पौधा वर्षाकाल में पैदा होता है।। पेड़ों तथा तालाब के पास १२ महीने हरा रहता है।। कच्चे जड़ या पत्तों को मसलने से अश्व के मूत्र की गंध आती है इसीलिए इसका नाम अश्वगंधा पड़ा है।। 

गुण धर्म👉  लघु,, स्निग्ध,, कसैली,, कड़वी,, मधुर,, उष्ण,, शुक्रल होती है।। प्रभाव में रसायन,, कांतिजनक पुष्टिकारक है और जलव्याधि,, वात,, कफघ्न,, श्वास हर,, क्षय,, शोथहर,, विषशामक,, कृमि नाशक,, कण्डू, ब्रण,, प्रामवातनाशक,, वेदनास्थापन, मस्तिष्कशामक,, रक्तशोधक,, शूलप्रशमन,, बाजीकरण,, गर्भाशयशोध हर तथा योनिशूलहर है।।यह मूत्रल,, बल्य,, बृहंण रसायन है।। एक वर्ष तक यथाविधि सेवन करने से शरीर निर्विकार हो जाता है।। जड़ का सेवन करते हैं।।

औषधीय​प्रयोग👉  अश्वगंधा का प्रयोग ल्यूकोडर्मा,, ब्राकायटिस और अस्थमा में बहुत फायदेमंद है। यह एक टानिक है जिससे शुक्राणु बढ़ते हैं,, कामोत्तेजक है।। इसकी सब्जी क्षय रोगियों को दी जाती है,, खून में लौह तत्व को बढ़ाता है,, एंटी ट्युमर है,, इसमें पाई जाने वाली बायदाफेमिन नामक ​रसायन कैंसर के विषाणुओं​ को मारने में सक्षम है।

बच्चों की कमजोरी👉 चूर्ण को दूध,, घी के साथ सेवन कराने से बच्चों​ और बड़े की कमजोरी​दूर होती है,, वृद्धावस्था में सुधार आता है।।

निद्रा नाश व क्षय उन्मूलन👉 अश्वगंधा का चूर्ण गोघृत के साथ चाटने से निद्रा नाश व कटिशूल में लाभ होता है।। इसके क्वाथ से क्षय रोग में लाभ होता है।। पत्तों के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।।

कमर दर्द👉  चूर्ण को घी और मिश्री के साथ सेवन करने से लाभ होता है।।

अंधापन👉 अश्वगंधा और मुलेठी का चूर्ण आंवले के रस के साथ सेवन करने से लाभ होता है।।

हृदय वात पीड़ा👉 अश्वगंधा और बहेड़ा चूर्ण गुड़ के साथ सेवन करने से लाभ होता है।।

सर्व रोग👉 अश्वगंधा चूर्ण, गिलोय चूर्ण और शहद मिलाकर सेवन करने से सब रोगों में लाभ होता है।।

वात रोग👉 अश्वगंधा चूर्ण,, शतावरी घृत व शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।।

प्रमेह👉 अश्वगंधा चूर्ण व आंवला का सेवन करने से प्रमेह में लाभ होता है।।

कब्ज👉 अश्वगंधा चूर्ण गर्म दूध के साथ सेवन करने से कब्ज दूर होती है।।

नपुंसकता👉 अश्वगंधा चूर्ण व चीनी समान मात्रा में रोजाना ३-६ ग्राम गाय के दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता दूर होती है।।

बल वीर्य वृद्धि👉 अश्वगंधा चूर्ण चौथाई भाग घी मिलाकर दूध या गुनगुने पानी के साथ एक मास तक सेवन करने से बल वीर्य में वृद्धि होती है।। सब प्रकार के दर्द आदि वायु विकार शांत होते हैं।।

स्वप्नदोष👉 अश्वगंधा,, विधारा,, जायफल,, छोटी इलायची,, नागरमोथा,, क्रौंच बीज,, गोखरू,, शतावरी, त्रिफला,, लाजवंती,, खस और वंशलोचन समभाग ले कर पीसकर छान लें।। समान मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम ६ ग्राम गाय के दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष दूर होता है ।

माताओं में दूध की कमी👉 अश्वगंधा,, विदारीकंद और मुलेठी मिलाकर क्वाथ सिद्ध करके गोगुग्ध के साथ सेवन करने से दूध की कमी दूर होती है।।

गठिया👉 अश्वगंधा के पंचांग (जड़,, छाल,, पत्ते, फूल,, फल) को कूट कर रस निकाल कर २.५-५ ग्राम सेवन करने से गठिया वात दूर होती है।।

संधिवात👉 अश्वगंधा चूर्ण ३ ग्राम समभाग घी और मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।।

👉रक्त विकार👉 अश्वगंधा और चोपचीनी समान मात्रा में ४ ग्राम शहद के साथ सेवन करने से रक्त विकारों​में लाभ होता है।


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