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12 दिसम्बर 2022

Updated on 12-12-2022 08:52 AM
दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमंत*
*⛅मास - पौष (गुजरात, महाराष्ट्र में मार्गशीर्ष)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - चतुर्थी शाम 06:48 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - पुष्य रात्रि 11:26 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*⛅योग - इन्द्र 13 दिसम्बर सुबह 06:07 तक तत्पश्चात वैधृति*
*⛅राहु काल - सुबह 08:32 से 09:52 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:12*
*⛅सूर्यास्त - 05:56*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:25 से 06:18 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:07 से 01:00 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹तुलसी माला महिमा (भाग-२)🔹*

*🔸गले में तुलसी माला धारण करने से आवाज सुरीली होती है । हृदय पर झूलने वाली तुलसी माला हृदय व फेफड़े को रोगों से बचाती है । इसे धारण करने वाले के स्वभाव में सात्त्विकता का संचार होता है ।*

*🔸तुलसी की माला धारक के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाती है । कलाई में तुलसी का गजरा पहनने से नाड़ी संबंधी समस्याओं से रक्षा होती है, हाथ सुन्न नहीं होता, भुजाओं का बल बढ़ता है ।*

*🔸तुलसी की जड़ें अथवा जड़ों के मनके कमर में बाँधने से स्त्रियों को विशेषतः गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है । प्रसव वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है । कमर में तुलसी की करधनी पहनने से पक्षाघात (लकवा) नहीं होता एवं कमर, जिगर, तिल्ली, आमाशय और यौनांग के विकार नहीं होते हैं ।*

*🔹यदि तुलसी की लकड़ी से बनी हुई मालाओं से अलंकृत होकर मनुष्य देवताओं और पितरों के पूजनादि कार्य करे तो वे कोटि गुना फल देने वाले होते हैं । जो मनुष्य तुलसी लकड़ी से बनी माला भगवान विष्णु को अर्पित करके पुनः प्रसादरूप से उसे भक्तिपूर्वक धारण करता है, उसके पातक नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔹सौभाग्य-रक्षा और सुख-शांति व समृद्धि बढ़ाने हेतु🔹*

*🔹माताएँ-बहनें रोज स्नान के बाद पार्वती माता का स्मरण करते-करते उत्तर दिशा की ओर मुख करके तिलक करें और पार्वती माता को इस मंत्र से वंदन करें : “ॐ ह्रीं गौर्यै नम: ।”*

*🔹इससे माताओं –बहनों के सौभाग्य की रक्षा होगी तथा घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ेगी ।*

*🔸खतरनाक है यह लत🔹*

*🔸शक्कर या मिठाइयाँ खाने की लत बच्चों के स्वास्थ्य को बहुत हानि पहुँचाती है । इससे चिड़चिड़ापन, मोटापा, दाँतों में दर्द व सडन होना आदि अनेक समस्याएँ पैदा होती हैं ।*

*🔸इनके बदले बच्चों को ऐसे खाद्य पदार्थ दिये जायें जिनसे उन्हें प्राकृतिक शर्करा पाप्त हो । जैसे – किसमिस, खजूर, शुद्ध शहद, अंजीर आदि । इससे जिन बच्चों की ज्यादा शक्कर खाने की आदत हो उनकी वह आदत भी छूटेगी और स्वास्थ्य-रक्षा भी होगी ।*

*🔸नमक का सेवन भी अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए ।*

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