मास - मार्गशीर्ष (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - कार्तिक)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - एकादशी सुबह 10:04 तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र - चित्रा सुबह 08:48 तक तत्पश्चात स्वाती
योग - शोभन शाम 03:52 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
राहुकाल - सुबह 11:11 से दोपहर 12:32 तक
सूर्योदय - 07:07 सूर्यास्त - 17:56
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण - त्रिस्पृशा-उत्पत्ति एकादशी (भागवत), द्वादशी क्षय तिथि
विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है lराम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
उत्पत्ति एकादशी
10 दिसम्बर 2020 गुरुवार को दोपहर 12:52 से 11 दिसम्बर, शुक्रवार को सुबह 10:04 तक एकादशी है ।
विशेष - 11 दिसम्बर, शुक्रवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।
उत्पत्ति एकादशी ( व्रत करने से धन, धर्म और मोक्ष की प्राप्ति होती है | - पद्म पुराण )
स्नान के साथ पायें अन्य लाभ
गोमय से ( देशी गौ-गोबर को पानी में मिलाकर उससे ) स्नान करने पर लक्ष्मीप्राप्ति होती है तथा गोमूत्र से स्नान करने पर पाप-नाश होता है गोदुग्ध से स्नान करने पर बलवृद्धि एवं दही से स्नान करने पर लक्ष्मी की वृद्धि होती है | ( अग्निपुराण : २६७.४-५)
पौष्टिक खजूर
132 प्रकार की बीमारियों को जड़ से उखाडनेवाला, त्रिदोषनाशक खजूर तुरंत शक्ति – स्फूर्ति देनेवाला, रक्त – मांस व वीर्य की वृद्धि करनेवाला, कब्जनाशक, कान्तिवर्धक, ह्रदय व मस्तिष्क का टॉनिक है |
सेवन - विधि : बच्चों के लिए 2 से 4 और बड़ों के लिए 4 से 7 |