*⛅नक्षत्र - चित्रा रात्रि 01:40 तक तत्पश्चात स्वाती*
*⛅योग - शूल शाम 04:45 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल - सुबह 10:04 से 11:29 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:15*
*⛅सूर्यास्त - 06:33*
*⛅चंद्रोदय - रात्रि 11:23*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:33 से 06:24 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:19 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹इस दिन किया गया जप-ध्यान का लाख गुना फल होता है ।*
*🌹रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे, तो घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं ।*
*🔹अपने हाथ में ही अपना आरोग्य :(भाग -१)🔹*
*🔸(१) नाक को रोगरहित रखने के लिए हमेशा नाक में सरसों आदि तेल की बूंदें डालने का अभ्यास रखना । कफ की वृद्धि हो या सुबह में पित्त की वृद्धि हो, या दोपहर को वायु की वृद्धि हो तब शाम को बूंदें डालनी । नाक में तेल की बूंदें डालनेवाले आदतियों का मुख सुगन्धित रहता है, शरीर पर झुर्रियाँ नहीं पड़ती । आवाज स्निग्ध निकलती है। इन्द्रियाँ निर्मल रहती हैं । सफेद बाल जल्दी नहीं आते तथा फुन्सियाँ नहीं होती ।*
*🔸(२) दिन में सोना नहीं चाहिये कारण कि दिन में सोने से कफ होता है । ग्रीष्म ऋतु के अलावा बाकी के सभी दिनों में दिन में सोना वर्जित है ।*
*🔸(३) दस वर्ष के बाद बचपन समाप्त होता है, बीस वर्ष के बाद वृद्धि रुक जाती है, तीस वर्ष के बाद कान्ति कम होती है । चालीस वर्ष के बाद स्मरण शक्ति कम होती है । पचास वर्ष के बाद चमड़ी की स्निग्धता कम होती है, साठ वर्ष के बाद नेत्र की शक्ति कम होती है, सत्तर वर्ष के बाद वीर्य कम होता है, अस्सी वर्ष के बाद पराक्रम में कमी होती है । नव्वे वर्ष के बाद बुद्धि कम होती है, सौ वर्ष होने पर कर्मेन्द्रियों की शक्ति कम होती है । एक सौ दस वर्ष के बाद चेतना कम होती है और एक सौ बीस वर्ष के बाद जीवन कम होता है ।*
*🔸(४) अंगों को दबवाना यह माँस, खून और चमड़ी को खूब साफ करता है, प्रीतिकारक होने से निद्रा लाता है, वीर्य बढ़ाता है तथा कफ, वायु एवं परिश्रम का नाश करता है ।*
*🔸(५) भोजन के बाद बैठे रहनेवाले के शरीर में आलस भर जाती है । सौ कदम चलनेवाले की उम्र बढ़ती है तथा दौड़नेवाले की मृत्यु उसके पीछे ही दौड़ती है ।*
*🔸(६) जीवों की नाभि के ऊपर बाईं ओर अग्नि रहता है अतः खाया हुआ पचाने के लिए बाई करवट सोना चाहिये ।*
*🔸(७) स्वादिष्ट अन्न मन को प्रसन्न करता है, बल बढ़ाता है, पुष्ट करता है, उत्साह बढ़ाता है तथा आयुष्य की वृद्धि करता है जबकि स्वादहीन अन्न ऊपर के कथन से विपरीत असर करता है ।*
*🔸(८) भोजन के प्रारंभ में नमक तथा अदरक का भक्षण करना यह सर्वकाल में लाभकारी है, अग्नि को प्रज्ज्वलित करनेवाला है, रुचि उत्पन्न करनेवाला है । तथा जीभ और कंठ को साफ करनेवाला है ।*
*🔸(९) भोजन करते समय माता, पिता, मित्र, वैद्य, रसोइया, हंस, मोर, सारस या चकोर पक्षी की निगाह उत्तम गिनी जाती है; किन्तु गरीब, हल्के, भूखे, पापी, पाखंडी या रोगी मनुष्य एवं मुर्गे तथा कुत्ते की दृष्टि अच्छी नहीं गिनी जाती ।*
*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*
*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*
*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*
*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*