*⛅तिथि - प्रतिपदा सुबह 11:34 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा दोपहर 02:59 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - शुभ 10 दिसम्बर प्रातः 03:44 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅राहु काल - सुबह 11:11 से 12:32 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:09*
*⛅सूर्यास्त - 05:55*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:23 से 06:16 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:06 से 12:59 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹गुणों की खानः तुलसी🔹*
*🔹तुलसी बड़ी पवित्र एवं अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है । यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है । हिन्दुओं के प्रत्येक शुभ कार्य में, भगवान के प्रसाद में तुलसी-दल का प्रयोग होता है । जहाँ तुलसी के पौधे होते हैं, वहाँ की शुद्ध और पवित्र रहती है । तुलसी के पत्तों में एक विशिष्ट तेल होता है जो कीटाणुयुक्त वायु को शुद्ध करता है । तुलसी की गंधयुक्त वायु से मलेरिया के कीटाणुओं का नाश होता है । तुलसी में एक विशिष्ट क्षार होता है जो दुर्गन्ध को दूर करता है । जिसके मुँह से दुर्गन्ध आती है वो रोज तुलसी के पत्ते खाये तो मुँह की दुर्गन्ध दूर होती है ।*
*🔹सात प्रकार की पत्नियाँ🔹*
*🔸इसमें ३ प्रकार की स्त्रियाँ बुरी और अवांछनीय होती हैं ।*
*🔸इसमें से पहले प्रकार की स्त्रियाँ परेशान करनेवाली होती हैं । वे दुष्ट स्वभाववाली, क्रोधी व दयारहित होती हैं और साथ ही पति के प्रति वफादार नहीं होतीं, परपुरुषों में प्रीति रखती हैं ।*
*🔸दूसरी चोर की तरह होती हैं । वे अपने पति की सम्पदा को नष्ट करती रहती हैं या उसमें से अपने लिए चुराकर रखा करती हैं ।*
*🔸तीसरी क्रूर मालिक की तरह होती हैं । वे करुणारहित, आलसी व स्वार्थी होती हैं । वे हमेशा अपने पति व औरों को डॉटती रहती हैं ।*
*🔹अन्य ४ प्रकार की स्त्रियाँ अच्छी और प्रशंनीय होती हैं । वे अपने अच्छे आचरण से आसपास के लोगों को सुख पहुँचाने का प्रयास करती हैं ।*
*🔹इनमें से पहले प्रकार की माँ की तरह होती हैं । वे दयालु होती हैं और अपने पति के प्रति ऐसा स्नेहभाव रखती हैं जैसे एक माँ का एक पुत्र के प्रति होता है । पति की कमाई, घर की सम्पदा व लोगों की समय-शक्ति का व्यर्थ व्यय न हो इसकी वे सावधानी रखती हैं ।*
*🔸दूसरी बहन की तरह होती हैं । वे अपने पति के प्रति ऐसा आदरभाव रखती हैं जैसा एक बहन अपने बड़े भाई के प्रति रखती हैं । वे विनम्र और अपने की इच्छाओं के प्रति आज्ञाकारी होती हैं ।*
*🔸तीसरी मित्र की तरह होती हैं । वे पति को देख उसी तरह आनंदित होती हैं जैसे कोई अपने उस सखा को देखकर आनंदित होता है जिसे उसने बहुत समय से देखा नही था । वे जन्म से कुलीन, सदाचारी और विश्वसनीय होती हैं ।*
*🔸चौथी दासी की तरह होती हैं । जब उनकी कमियों को इंगित किया जाता है तब वे एक समझदार पत्नी की रूप में व्यवहार करती हैं । वे शांत रहती हैं और उनका पति कभी कुछ कठोर शब्दों का उपयोग कर देता है तो भी वे उसको सकारात्मक लेती हैं । वे अपने पति की इच्छाओं के प्रति आज्ञाकारी होती हैं ।*