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09 अप्रैल 2023

Updated on 09-04-2023 01:58 PM
दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - वैशाख (गुजरात, महाराष्ट्र में चैत्र)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - तृतीया सुबह 09:35 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - विशाखा दोपहर 02:00 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - सिद्धि रात्रि 10:14 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
*⛅राहु काल - शाम 05:24 से 06:58 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:25*
*⛅सूर्यास्त - 06:58*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से 05:39 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 से 01:04 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - संकष्टी चतुर्थी (चंद्रोदय रात्रि 10:08), व्यतिपात योग*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸संकष्टी चतुर्थी - 09 अप्रैल 2023🔸*

*🔸क्या है संकष्टी चतुर्थी ?*

*🔹संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।*

*🔹इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्टी चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।*

*🔸संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि🔸*

*🔹गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं ।*

*👉 इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ ।*

*👉 व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें । इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है ।*

*👉 स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें । गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ।*

*👉 सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें ।*

*👉 पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें ।*

*👉 ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है ।*

*👉 गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें ।*

*👉 संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं ।*

*👉 गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें ।*

*गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।*
*उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।*

*👉 पूजा के बाद आप फल फ्रूट्स आदि प्रसाद सेवन करें ।*

*👉 शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें ।*

*👉 पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें । रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है ।*

🌹 *व्यतिपात योग - 09 अप्रैल 2023* 🌹

*🌹 पुण्यकाल : 09 अप्रैल रात्रि 10:14 से 10 अप्रैल रात्रि 08:12 तक ।*

*🌹व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल 01 लाख गुना होता है ।*
  *वाराह पुराण*

 *🔹 रविवार विशेष🔹*

*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*

*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*

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