*⛅तिथि - तृतीया 09 फरवरी सुबह 06:23 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 08:15 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*⛅योग - अतिगण्ड शाम 04:31 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:54 से 02:18 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:16*
*⛅सूर्यास्त - 06:31*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:34 से 06:25 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:19 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹सुखमय जीवन की अनमोल कुंजियाँ🔹*
*🔸शत्रुओं की बदनीयत विफल करने हेतु🔸*
*🔹जो शत्रुओं से घिरा है वह सद्गुरु के द्वार पर जब आरती होती हो तो उसका दर्शन करे, उसके सामने शत्रुओं की दाल नहीं गलेगी ।*
*🔹नजर दोष निवारण के लिए🔹*
*🔸घर में किसीको नजर लगी हो तो घर के आँगन में तुलसी का पौधा (गमले में या जैसी व्यवस्था हो) लगाकर उसके सामने रोज सायंकाल में दीपक प्रज्वलित करें ।*
*🔸लक्ष्मीप्राप्ति हेतु करें यह प्रयोग🔸*
*धन का लाभ नहीं हो रहा हो तो, शुक्रवार से गोधूलि वेला में पूजाघर में या तुलसी के पौधे के सामने नित्य देशी गाय के घी का दीपक जलायें ।*
*🔹विवाह की बाधा दूर करने का उपाय🔹*
*🔸यदि किसी कन्या का विवाह न हो पा रहा हो तो पूर्णिमा को वटवृक्ष की १०८ परिक्रमा करने से विवाह की बाधा दूर हो जाती है । गुरुवार को बड़ या पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करने से भी विवाह की बाधा दूर होती है ।*
*🔹पुण्यदायी तिथियाँ व योग🔹*
*१७ फरवरी : विजया एकादशी (व्रत से इस लोक में विजयप्राप्ति होती है और परलोक भी अक्षय बना रहता है ।)*
*१८ फरवरी : महाशिवरात्रि व्रत, रात्रि- जागरण, शिव-पूजन (निशीथकाल : रात्रि १२- २८ से १-१९ तक)*
*१९ फरवरी : द्वापर युगादि तिथि (स्नान, दान- पुण्य, जप, हवन से अनंत फल की प्राप्ति)*
*२० फरवरी : सोमवती अमावस्या (सूर्योदय से दोपहर १२-३५ तक) (तुलसी की १०८ परिक्रमा करने से दरिद्रता - नाश)*
*२६ फरवरी : रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से रात्रि १२-५८ तक)*
*३ मार्च : आमलकी एकादशी (व्रत करके आँवले के वृक्ष के पास रात्रि-जागरण, उसकी १०८ या २८ परिक्रमा करनेवाला सब पापों से छूट जाता है और १००० गोदान का फल प्राप्त करता है ।)*
*६ मार्च: होलिका दहन (होली की रात्रि का जागरण, जप, मौन, ध्यान बहुत फलदायी होता है* ।)
*१५ मार्च : षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर १२-४९ तक) (षडशीति संक्रांति में किये गये ध्यान, जप व पुण्यकर्म का फल ८६,००० गुना होता है । पद्म पुराण), बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से शाम ६-४५ तक)*
*🔸दर्द- निवारण हेतु अनुभूत रामबाण प्रयोग🔸*
*🔹शरीर में जितनी जगह दर्द हो रहा है उसके अनुरूप प्याज लेकर कुचल लें । सोने से पहले सरसों का तेल और आवश्यकतानुसार हल्दी मिलाकर प्याज को भून लें । फिर सहने योग्य गरम रहते हुए इसे दर्द के स्थान पर कपड़े से बाँध लें । बिस्तर, कपड़े आदि खराब न हों इसलिए ऊपर से पॉलीथीन बाँध सकते हैं । इस अनुभूत रामबाण प्रयोग को कुछ दिन करने से दर्द में लाभ होता है ।*