*⛅तिथि - पूर्णिमा शाम 06:09 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 02:22 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*⛅योग - धृति रात्रि 09:15 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅राहु काल - शाम 03:48 से 05:17 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:56*
*⛅सूर्यास्त - 06:45*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:19 से 06:08 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:26 से 01:15 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - फाल्गुनी पूर्णिमा, धुलेंडी, धूलिवंदन, श्री चैतन्य महाप्रभु जयंती (ति.अ.)*
*⛅विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔸होलिका दहन शुभमुहूर्त🔸*
*6 मार्च को शाम 6.38 से 9.06 बजे के बीच तक*
*7 मार्च के शाम - 6.24 से रात्रि 8.51 बजे के बीच तक*
*🌹 आरोग्य प्रदायक प्राकृतिक रंग बनाने की सरल विधियाँ 🌹*
*🌹 केसरिया रंगः पलाश के फूलों से यह रंग सरलता से तैयार किया जा सकता है । पलाश के फूलों को रात को पानी में भिगो दें । सुबह इस केसरिया रंग को ऐसे ही प्रयोग में लायें या उबालकर होली का आनंद उठायें । यह रंग होली खेलने के लिए सबसे बढ़िया है। शास्त्रों में भी पलाश के फूलों से होली खेलने का वर्णन आता है । इसमें औषधिय गुण होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, मूत्रकृच्छ, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है । रक्तसंचार को नियमित व मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ ही यह मानसिक शक्ति तथा इच्छाशक्ति में भी वृद्धि करता है ।*
*🌹सूखा हरा रंगः मेंहदी या हिना का पाउडर तथा गेहूँ या अन्य अनाज के आटे को समान मात्रा में मिलाकर सूखा हरा रंग बनायें । आँवला चूर्ण व मेंहदी को मिलाने से भूरा रंग बनता है, जो त्वचा व बालों के लिए लाभदायी है ।*
*सूखा पीला रंगः हल्दी व बेसन मिला के अथवा अमलतास व गेंदे के फूलों को छाया में सुखाकर पीस के पीला रंग प्राप्त कर सकते हैं ।*
*🌹गीला पीला रंगः एक चम्मच हल्दी दो लीटर पानी में उबालें या मिठाइयों में पड़ने वाले रंग जो खाने के काम आते हैं, उनका भी उपयोग कर सकते हैं । अमलतास या गेंदे के फूलों को रात को पानी भिगोकर रखें, सुबह उबालें ।*
*🌹 लाल रंगः लाल चंदन (रक्त चंदन) पाउडर को सूखे लाल रंग के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। यह त्वचा के लिए लाभदायक व सौंदर्यवर्धक है । दो चम्मच लाल चंदन एक लीटर पानी में डालकर उबालने से लाल रंग प्राप्त होता है, जिसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलायें ।*
*🌹 पीला गुलाल : (१) ४ चम्मच बेसन में २ चम्मच हल्दी चूर्ण मिलायें । (२) अमलतास या गेंदा के फूलों के चूर्ण के साथ कोई भी आटा या मुलतानी मिट्टी मिला लें ।*
*🌹पीला रंग : (१) २ चम्मच हल्दी चूर्ण २ लीटर पानी में उबालें । (२) अमलतास, गेंदा के फूलों को रातभर भिगोकर उबाल लें ।*
*🌹 जामुनी रंग : चुकंदर उबालकर पीस के पानी में मिला लें ।*
*🌹काला रंग : आँवला चूर्ण लोहे के बर्तन में रातभर भिगोयें ।*
*🌹 लाल रंग : (१) आधे कप पानी में दो चम्मच हल्दी चूर्ण व चुटकीभर चुना मिलाकर १० लीटर पानी में डाल दे । (२) २ चम्मच लाल चंदन चूर्ण १ लीटर पानी में उबाले ।*
*🌹 लाल गुलाल : सूखे लाल गुडहल के फूलों का चूर्ण उपयोग करें ।*
*🌹 हरा रंग : (१) पालक, धनिया या पुदीने की पत्तियों के पेस्ट को पानी भिगोकर उपयोग करें । (२) गेहूँ की हरी बालियों को पीस लें ।*
*🌹 हरा गुलाल : गुलमोहर अथवा रातरानी की पत्तियों को सुखाकर पीस लें ।*
*भूरा हरा गुलाल : मेहँदी चूर्ण के साथ आँवला चूर्ण मिला लें ।*
*🔸कालसर्प योग से मुक्ति पाने के लिए🔸*
*🌹 ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जिनके ऊपर केसुड़े (पलाश ) के रंग होली के रंग का फुवारा लग जाता है । फिर कालसर्प योग से मुक्ति हो गई । कालसर्प योग के भय से पैसा खर्चना नहीं है और अपने को ग्रह दोष है, कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं अपने को दुखी करना नहीं है । - पूज्य बापूजी*
*🔸पूरे साल स्वस्थ्य रहने के लिए क्या करें होली पर..?🔸*
*🔹1- होली के बाद 15-20 दिन तक बिना नमक का अथवा कम नमकवाला भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।*
*🔹2- इन दिनों में भुने हुए चने - ‘होला का सेवन शरीर से वात, कफ आदि दोषों का शमन करता है ।*
*🔹3- एक महीना इन दिनों सुबह नीम के 20-25 कोमल पत्ते और एक काली मिर्च चबा के खाने से व्यक्ति वर्षभर निरोग रहता है ।*
*🔹4- होली के दिन चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य हुआ था । इन दिनों में हरिनाम कीर्तन करना-कराना चाहिए । नाचना, कूदना-फाँदना चाहिए जिससे जमे हुए कफ की छोटी-मोटी गाँठें भी पिघल जायें और वे ट्यूमर कैंसर का रूप न ले पाएं और कोई दिमाग या कमर का ट्यूमर भी न हो । होली पर नाचने, कूदने-फाँदने से मनुष्य स्वस्थ रहता है।*
*🔹5 - लट्ठी-खेंच कार्यक्रम करना चाहिए, यह बलवर्धक है ।*
*🔹6 - होली जले उसकी गर्मी का भी थोड़ा फायदा लेना, लावा का फायदा लेना ।*
*🔹7 - मंत्र सिद्धि के लिए होली की रात्रि को (इसबार 06 मार्च की रात्रि को) भगवान नाम का जप अवश्य करें ।*