*⛅तिथि - चतुर्दशी सुबह 08:01 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*⛅नक्षत्र - कृतिका सुबह 10:25 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - सिद्ध रात्रि 02:55 तक तत्पश्चात साध्य*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:31 से 01:52 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:06*
*⛅सूर्यास्त - 05:54*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:22 से 06:15 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:05 से 12:58 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - भगवान दत्तात्रेय जयंती*
*⛅विशेष - चतुर्दशी और पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🌹 धन-सम्पदा प्रदायिनी एवं दरिद्रतानाशक तुलसी 🌹*
*🔹ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने तथा पूजा के स्थान में गंगाजल रखने से बरकत होती है ।*
*🔹तुलसी को रोज जल चढ़ाने तथा गाय के घी का दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है ।*
*🔹जो दरिद्रता मिटाना व सुख-सम्पदा पाना चाहता है, उसे तुलसी पूजन दिवस के अवसर पर शुद्ध भाव व भक्ति से तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमा करनी चाहिए । -पूज्य बापूजी*
*🔹1. श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा । इस दशाक्षर मंत्र के द्वारा विधिसहित तुलसी का पूजन करने से मनुष्य को समस्त सिद्धि प्राप्त होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण प्र. खं. 22.10.11)*
*🔹2. जिस घर में तुलसी का पौधा हो उस घर में दरिद्रता नहीं रहती । जहाँ तुलसी विराजमान होती हैं, वहाँ दुःख, भय और रोग नहीं ठहरते । (पद्म पुराण, उत्तर खण्ड)*
*🔹3. सोमवती अमावस्या को तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है । (हिन्दुओं के रीति रिवाज तथा मान्यताएँ)*
*🔹शीत ऋतु में आरोग्यवर्धक तुलसी पेय🔹*
*🔹सामग्री : ५ ग्राम सूखे तुलसी- पत्तों का चूर्ण या २५ ग्राम ताजे तुलसी पत्ते, १.५ ग्राम सोंठ - चूर्ण या ५ ग्राम ताजा अदरक, १.५ ग्राम अजवायन, ०.५ ग्राम काली मिर्च, १.५ ग्राम हल्दी चूर्ण ।*
*🔹विधि : १ लीटर पानी में उपरोक्त सभी चीजें अच्छी तरह उबालें । ८-१० व्यक्तियों के लिए यह पर्याप्त है। यह आरोग्यप्रदायक सात्त्विक पेय सर्दियों में चाय का बेहतर विकल्प है । यह सर्दी-जुकाम एवं बुखार में बहुत लाभकारी है ।*
*आप यह पेय बनायें अथवा आश्रमों एवं समितियों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध १४ गुणकारी औषधियों के संयोग से बनी 'ओजस्वी चाय' का लाभ लें ।*