👉 जो पूरे कार्तिक मास में स्नान करता है, वह इन्हीं तीन तिथियों *त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा* में स्नान कर पूर्ण फल का भागी हो जाता है।
👉 कार्तिक के अंतिम 3 दिनों में जो *गीता पाठ* करता है उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
👉 इन तीन दिनों में *विष्णु सहस्रनाम* का पाठ करना चाहिए।
👉 सूर्य ग्रहण के 12 घण्टे और *चन्द्रग्रहण के 9 घण्टे पहले* वेध यानि सूतक प्रारम्भ होता है।
👉 गर्भिणी स्त्री यदि ग्रहण की ओर देखती है तो गर्भस्थ शिशु के *अङ्ग विकृत* हो जाते हैं। यह प्रभाव सगर्भा पशु जातियों पर भी पड़ता है।
👉 ग्रहण के समय *स्त्री सहवास* से दोनों की नेत्र ज्योति क्षीण हो जाती है। अन्धे होने का भी भय रहता है।
👉 ग्रहण काल में *उच्छृङ्खल आचार* से मानसिक अव्यवस्था और बुद्धि विकार तो होता ही है, शारीरिक स्वास्थ्य की भी बड़ी हानि होती है। अतः इस सम्बन्ध में सबको सावधान रहना चाहिए।
👉 ग्रहण का *प्रभाव* तर्क एवं परीक्षण से भी सिद्ध हो चुका है।