आज रविवार, ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी/द्वादशी तिथि है I आज अश्विनी नक्षत्र, "आनन्द" नाम संवत् 2078 है I
विक्रमी संवत २०७८
शक संवत १९४३
मेष राशि मे चन्द्रमा
सूर्य उत्तरायण
उत्तरगोल
ग्रीष्म ऋतु
ज्येष्ठ मास
कृष्ण पक्ष
एकादशी तिथि ०६:२० तक फिर द्वादशी तिथि
अश्विनी नक्षत्र २६:२७ तक फिर भरणी नक्षत्र
शोभन योग २८:३४ तक फिर अतिगण्ड योग
👉 आज अपरा एकादशी व्रत (ककड़ी) है।
👉 गङ्गोत्री के जल की विशेषता - गङ्गोत्री के जल में अग्नि में तप्त करके छोड़ी जाने वाली कोई भी धातु ठण्डी पड़ जाएगी। जल नहीं सूख सकता, तौल भी कम नहीं होगा।
👉 जबकि साधारण जल में गर्म धातु छोड़ने से अवश्य ही जल सूख जाता है या कम हो जाता है।
👉 औषधि के लिए वनस्पति तोड़ते समय नक्षत्रों का बहुत ध्यान रखना चाहिए।
👉 चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है तब उस नक्षत्र से सम्बंधित वनस्पति में सोम तत्व का सृजन होता है।
👉 सोम औषधियां मुख्य रूप से सोमकूट पर्वत पर उगती हैं।
👉 सोमकूट पर्वत केदार क्षेत्र में स्थित है।
👉 पर्वतों से भिन्न स्थानों पर उत्पन्न होने वाली औषधियां कम लाभप्रद होती हैं।
👉 हिमालय में अत्यधिक प्रभाव कारी औषधियां उत्पन्न होती हैं।
👉 जिनसे कुष्ठ रोग जैसी असाध्य बीमारियां भी दूर हो जाती हैं।
👉 औषधि युक्त जल ही सोमरस है।
👉 ऐसा अमृतोपम जल ही सोमरस है। यह दिव्य प्रभावों वाला भी है।
👉 पर्वतों की औषधियों से नि:सृत होकर जो रस आता है, वह सोमरस ही गङ्गाजल है।
👉 देवता भी औषधि युक्त इस दिव्य रस को जल की भांति पीते हैं।
👉 वेद में सोम को औषधियों का राजा कहा गया है। सोम का पर्यायवाची चन्द्रमा है।
👉 अमृत रूपी चन्द्रमा से ही वनस्पतियों में सोमत्व का सृजन हुआ है।
जन्मकुंडली में बच्चों को जिद्दी और आक्रामक प्रवृति बनाने वाले ग्रहो के योग
1. जिन बच्चों की कुंडली में लग्न में मंगल स्थित होता है वे भी जिद्दी स्वभाव और अपनी मनमानी करने वाले होते हैं।
2. कुंडली में सूर्य और मंगल का योग भी बच्चे को क्रोधी और जिद्दी स्वाभाव बनाता है।
3. यदि बच्चे की कुंडली में मंगल और राहु एक साथ हों तो ऐसे में बच्चा बहुत आक्रामक स्वाभाव का होता है तथा छोटी छोटी बातों पर जल्दी ही गुस्सा करने लगता है और जिद्द पर अड़ने पर किसी की बात नहीं सुनता। ऐसे में अच्छे संस्कार दें तथा हनुमान चालीसा का पाठ सुनाये ध्यान रखें की बच्चा घर में इंडोर गेम्स की बजाय बाहर खेले |
4. कुंडली में चन्द्रमाँ और राहु का योग होने पर बच्चा भावुक व डरपोक बनाता है। राहु बच्चे को हठी और उद्धण्ड बनाता है || इसके लिये बच्चे को चांदी के गिलास में दूध /पानी पिलायें | .
5. यदि बच्चे की कुंडली में मंगल और बुध एक साथ हों तो ऐसे में बच्चा बहुत जल्दी गुस्सा करने वाला और जिद्दी स्वभाव का होता है।
6. कुंडली में बना मंगल केतु का योग तथा शनि मंगल का योग हो तो भी बच्चे को क्रोधी और जिद्दी स्वभाव बनाकर अपनी बात पर अड़े रहने की प्रवृति देता है।
7. यदि कुंडली के प्रथम भाव या पंचम भाव में कोई दुर्योग बना हो जैसे गुरुचण्डाल योग, ग्रहण योग, अंगारक योग या मंगल राहु का योग आदि ऐसे में भी बच्चे की प्रकृति अधिक गुस्सा और जिद्दी स्वाभाव की होती है।
8. यदि बच्चे की कुंडली में बृहस्पति और राहु एक साथ होने से गुरुचाण्डाल योग बना हो तो ऐसे में भी बच्चा नकारात्मक व्यवहार करने वाला होता है और बहुत बार अपशब्द भी बोलने लगता है।
9. बच्चे की कुंडली में लग्न में सूर्य की अशुभ स्थिति की बच्चे को डोमिनेटिंग बनाता है। सूर्य जिद्दी व क्रोधी बनाता है। बचपन से ही बच्चों को गायत्री मंत्र बुलवाना चाहिए इससे बच्चा कभी गलत सांगत में नहीं पड़ेगा न ही पथभ्रष्ट होगा
10. बुध की अशुभ स्थिति होने पर बेवजह बड़बड़ाना, पलटकर जवाब देना, बदतमीजी करना सीखने लगता है। | ऐसे बच्चो को गणेशजी की पूजा करवाये तथा बुधवार को हरी वस्तु का दान करवाएँ| बच्चे को हरी सब्जियां खिलायें, खली पेट ताम्बे के बर्तन में रखा पानी पिलाये | बच्चे को अपनी बात खुलकर बताने के लिए प्रोत्साहित करें | इससे बच्चे का बुध मजबूत होगा १ बच्चे में तर्कशक्ति विकसित होगी |