🌤️ *तिथि - पूर्णिमा सुबह 10:04 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
🌤️ *नक्षत्र - हस्त दोपहर 12:42 तक तत्पश्चात चित्रा*
*🌤️योग -व्याघात 07अप्रैल रात्रि 02:32 तक तत्पश्चात हर्षण*
🌤️ *राहुकाल- दोपहर 02:15 से शाम 03:48 तक*
🌞 *सूर्योदय-06:28*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:53*
👉 *दिशाशूल- दक्षिण दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - चैत्री पूर्णिमा,श्री हनुमान जयंती,वैशाख स्नानारंभ*
🔥 *विशेष - पूर्णिमा और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
🌷 *आरती में कपूर का उपयोग* 🌷
🔥 *कपूर – दहन में बाह्य वातावरण को शुद्ध करने की अदभुत क्षमता है | इसमें जीवाणुओं, विषाणुओं तथा सूक्ष्मतर हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने की शक्ति है | घर में नित्य कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है, शरीर पर बीमारियों का आक्रमण आसानी से नहीं होता, दु:स्वप्न नहीं आते और देवदोष तथा पितृदोषों का शमन होता है |*
🌷 *वैशाख मास माहात्म्य* 🌷
🙏🏻 *वैशाख मास सुख से साध्य, पापरूपी ईंधन को अग्नि की भाँति जलानेवाला, अतिशय पुण्य प्रदान करनेवाला तथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष - चारों पुरुषार्थों को देनेवाला है ।*
🙏🏻 *देवर्षि नारदजी राजा अम्बरीष से कहते हैं : ‘‘राजन् ! जो वैशाख में सूर्योदय से पहले भगवत्-चिंतन करते हुए पुण्यस्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरंतर प्रीति करते हैं ।*
🙏🏻 *पाप तभी तक गरजते हैं जब तक जीव यह पुण्यस्नान नहीं करता ।*
🙏🏻 *वैशाख मास में सब तीर्थ आदि देवता बाहर के जल (तीर्थ के अतिरिक्त) में भी सदैव स्थित रहते हैं । सब दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल होता है, उसीको मनुष्य वैशाख में केवल जलदान करके पा लेता है । यह सब दानों से बढकर हितकारी है ।*
🌷 *वैशाख मास* 🌷
🙏🏻 *(इस मास में भक्तिपूर्वक किये गये दान, जप, हवन, स्नान आदि शुभ कर्मों का पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है। - पद्म पुराण)*