मास - पौष (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - मार्गशीर्ष)
तिथि - षष्ठी 05 जनवरी प्रातः 05:46 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 07:17 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग - आयुष्मान् सुबह 08:02 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहुकाल - सुबह 08:39 से सुबह 10:00 तक
सूर्योदय - 07:18 सूर्यास्त - 18:09
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
सर्दियों में उठायें मेथीदानों से भरपूर लाभ
➡ मेथीदाना उष्ण, वात व कफनाशक, पित्तवर्धक, पाचनशक्ति व बल वर्धक एवं ह्रदय के लिए हितकर है | यह पुष्टिकारक, शक्ति - स्फूर्तिदायक टॉनिक की तरह कार्य करता है | सुबह – शाम इसे पानी के साथ निगलने से पेट को निरोग बनाता है, कब्ज व गैस को दूर करता है | इसकी मूँग के साथ सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं | यह मधुमेह के रोगियों के लिए खूब लाभदायी हैं |
➡ अपनी आयु के जितने वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, उतनी संख्या में मेथीदाने रोज धीरे – धीरे चबाना या चूसने से वृद्धावस्था में पैदा होनेवाली व्याधियों, जैसे – घुटनों व जोड़ों का दर्द, भूख न लगना, हाथों का सुन्न पड़ जाना, सायटिका, मांसपेशियों का खिंचाव, बार – बार मूत्र आना, चक्कर आना आदि में लाभ होता है | गर्भवती व स्तनपान करानेवाली महिलाओं को भुने मेथीदानों का चूर्ण आटे के साथ मिला के लड्डू बना के खाना लाभकारी है |
शक्तिवर्धक पेय
दो चम्मच मेथीदाने एक गिलास पानी में4-5 घंटे भिगोकर रखें फिर इतना उबालें कि पानी चौथाई हिस्सा रह जाए | इसे छानकर 2 चम्मच शहद मिला के पियें |
औषधीय प्रयोग
कब्ज : 20 ग्राम मेथीदाने को 200 ग्राम ताजे पानी में भिगो दें | 5 – 6 घंटे बाद मसल के पीने से मल साफ़ आने लगता है| भूख अच्छी लगने लगती है और पाचन भी ठीक होने लगता है |
जोड़ों का दर्द : 100 ग्राम मेथीदाने अधकच्चे भून के दरदरा कूट लें | इसमें 25 ग्राम काला नमक मिलाकर रख लें | 2 चम्मच यह मिश्रण सुबह – शाम गुनगुने पानी से फाँकने से जोड़ों, कमर व घुटनों का दर्द, आमवात ( गठिया ) का दर्द आदि में लाभ होता है | इससे पेट में गैस भी नहीं बनेगी |
पेट के रोगों में : 1 से 3 ग्राम मेथीदानों का चूर्ण सुबह, दोपहर व शाम को पानी के साथ लेने से अपच, दस्त, भूख न लगना, अफरा, दर्द आदि तकलीफों में बहुत लाभ होता है |
दुर्बलता : 1 चम्मच मेथीदानों को घी में भूनके सुबह – शाम लेने से रोगजन्य शारीरिक एवं तंत्रिका दुर्बलता दूर होती है |
मासिक धर्म में रुकावट : 4 चम्मच मेथीदाने १ गिलास पानी में उबालें | आधा पानी रह जाने पर छानकर गर्म – गर्म ही लेने से मासिक धर्म खुल के होने लगता है |
अंगों की जकड़न : भुनी मेथी आटे में गुड़ की चाशनी मिला के लड्डू बना लें | 1 लड्डू रोज सुबह खाने से वायु के कारण जकड़े हुए अंग 1 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं तथा हाथ – पैरों में होनेवाला दर्द भी दूर होता है |
विशेष : सर्दियों में मेथीपाक, मेथी के लड्डू, मेथीदानों व मूँग – दाल की सब्जी आदि के रूप में इसका सेवन खूब लाभदायी है|
सावधानी : मेथीदाने का सेवन शरद व ग्रीष्म ऋतुओं में, पित्तजन्य रोगों में तथा उष्ण प्रकृतिवालों को नही करना चाहिए |