⛅ *मास - मार्गशीर्ष (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - कार्तिक)*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - चतुर्थी रात्रि 08:03 तक तत्पश्चात पंचमी*
⛅ *नक्षत्र - पुनर्वसु दोपहर 01:39 तक तत्पश्चात पुष्य*
⛅ *योग - शुक्ल सुबह 10:30 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
⛅ *राहुकाल - सुबह 11:07 से दोपहर 12:29 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:02*
⛅ *सूर्यास्त - 17:55*
⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण -
💥 *विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌷 *चार बातों को याद रखो* 🌷
➡ *१] ब्रह्मनिष्ठ महापुरुषों व ज्ञानवृद्ध बड़े-बुजुर्गों का आदर करना |*
➡ *२] छोटों की रक्षा करना और उन पर स्नेह करना |*
➡ *३] सत्संगी बुद्धिमानों से सलाह लेना और*
➡ *४] मूर्खों के साथ नहीं उलझना |*
🌷 *नम्रता के तीन लक्षण*
👉🏻 *१] कडवी बात का मीठा जवाब देना |*
👉🏻 *२] क्रोध के अवसर पर भी चुप्पी साधना और*
👉🏻 *३] किसीको दंड देना ही पड़े तो उस समय चित्त को कोमल रखना |*
कालभैरव अष्टमी
धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार लिया था। इसलिए इस पर्व को कालभैरव जयंती को रूप में मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 07 दिसम्बर,सोमवार को है।
🙏🏻 *भगवान कालभैरव को तंत्र का देवता माना गया है। तंत्र शास्त्र के अनुसार,किसी भी सिद्धि के लिए भैरव की पूजा अनिवार्य है। इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है। इनके 52 रूप माने जाते हैं। इनकी कृपा प्राप्त करके भक्त निर्भय और सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं। कालभैरव जयंती पर कुछ आसान ज्योतिष शास्त्र के उपाय कर आप भगवान कालभैरव को प्रसन्न कर सकते हैं।*
➡ *ये हैं कालभैरव को प्रसन्न करने के 11 उपाय, कोई भी 1 करें*
🙏🏻 *1. कालभैरव अष्टमी को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने भगवान कालभैरव की तस्वीर स्थापित करें व पंचोपचार से विधिवत पूजा करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा भैरव महाराज से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें।*
🙏🏻 *2. कालभैरव अष्टमी पर किसी ऐसे भैरव मंदिर में जाएं, जहां कम ही लोग जाते हों। वहां जाकर सिंदूर व तेल से भैरव प्रतिमा को चोला चढ़ाएं। इसके बाद नारियल, पुए, जलेबी आदि का भोग लगाएं। मन लगाकर पूजा करें। बाद में जलेबी आदि का प्रसाद बांट दें। याद रखिए अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं।*
🙏🏻 *3. कालभैरव अष्टमी को भगवान कालभैरव की विधि-विधान से पूजा करें और नीचे लिखे किसी भी एक मंत्र का जाप करें। कम से कम 11 माला जाप अवश्य करें।*