⛅ मास - वैशाख (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - चैत्र)
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ तिथि - सप्तमी दोपहर 01:39 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढा सुबह 08:22 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅ योग - शुभ रात्रि 09:37 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅ राहुकाल - सुबह 07:44 से सुबह 09:21तक
⛅ सूर्योदय - 06:08
⛅ सूर्यास्त - 19:03
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ *व्रत पर्व विवरण - आज वैशाख कृष्ण सप्तमी तिथि है
👉 अक्षय तृतीया के दिन लक्ष्मी सहित भगवान विष्णु की अक्षत से पूजा की जाती है। भगवान विष्णु की मूर्ति पर अक्षत चढ़ाना चाहिए।
👉 सामान्यतः अक्षत द्वारा भगवान विष्णु का पूजन निषिद्ध है। सिर्फ अक्षय तृतीया के दिन ही अक्षत से भगवान विष्णु की पूजा का विधान है।
👉 अन्य दिनों में भगवान विष्णु का अक्षत के स्थान पर सफेद तिल से पूजा करने का विधान है।
👉 अक्षय तृतीया व्रत की विस्तृत विधि भविष्य पुराण एवं व्रत कल्पद्रुम में है।
👉 किसी अन्य कल्प में अक्षय तृतीया के दिन सतयुग का भी आरम्भ हुआ था।
👉 अक्षय तृतीया के दिन अक्षत युक्त जल से स्नान करना चाहिए।
👉 अक्षय तृतीया के दिन अक्षत के साथ ही शुद्ध सत्तू ब्राह्मणों एवं जरूरतमंदों को दान देना चाहिए।
👉 अक्षय तृतीया के दिन "गोदान" का अत्यधिक महत्त्व है।
💥 विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है था शरीर का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌷 गर्मियों में स्वास्थ्य-सुरक्षा हेतु 🌷
✅ क्या करें ?
👉🏻 १] गर्मी के कारण जिनको सिरदर्द व कमजोरी होती है वे लोग सूखा धनियां पानी में भिगा दें और घिसके माथे पर लगायें | इससे सिरदर्द और कमजोरी दूर होगी |
👉🏻 २] नाक से खून गिरता हो तो हरे धनिये अथवा ताजी कोमल दूब (दूर्वा) का २ – २ बूँद रस नाक में डालें | इससे नकसीर फूटना बंद हो जायेगा |
👉🏻 ३] सत्तू में शीतल जल, मिश्री और थोडा घी मिलाकर घोल बनाके पियें | यह बड़ा पुष्टिा दायी प्रयोग है | भोजन थोडा कम करें |
👉🏻 ४] भोजन के बीच में २५ – ३५ मि. ली. आँवले का रस पियें | ऐसा २१ दिन करें तो ह्रदय व मस्तिष्क की दुर्बलता दूर होगी | ( शुक्रवार व रविवार को आँवले का सेवन वर्जित है | )
👉🏻 ५] २० मि. ली. आँवला रस, १० ग्राम शहद, ५ ग्राम घी – सबका मिश्रण करके पियें तो बल, बुद्धि, ओज व आयु बढ़ाने में मदद मिलती है |
👉🏻 ६] मुँह में छाले पड गये हों तो त्रिफला चूर्ण को पानी में डाल के कुल्ले करें तथा मिश्री चूसें | इससे छाले शांत हो जायेंगे |
❌ क्या न करें ?
👉🏻 १] अति परिश्रम, अति कसरत, अति रात्रि-जागरण, अति भोजन व भारी भोजन नहीं करें | भोजन में लाल मिर्च व गर्म मसालों का प्रयोग न करें |
👉🏻 २] गर्मियों में दही भूल के भी नहीं खाना चाहिए | इससे आगे चल के नस-नाड़ियों में अवरोध उत्पन्न होता है और कई बीमारियाँ होती हैं | दही खाना हो तो सीधा नहीं खायें, पहले उसे मथ के मक्खन निकाल लें और बचे हुए भाग को लस्सी या छाछ बना के मिश्री मिला के या छौंक लगा के सेवन करें | ध्यान रहे, दही खट्टा न हो |
👉🏻 ३] बाजारू शीतल पेयों से बचें | फ्रिज का पानी न पियें | धूप में से आकर तुरंत पानी न पियें |
👉🏻 ४ ] अति मैथुन से बुढापा जल्दी आयेगा, कमजोरी जल्दी आयेगी | अत: इससे दूर रहें | ग्रीष्म ऋतू में विशेषरूप से संयम रखें |
🌷 मोटापा हो तो 🌷
🍋 मोटापा हो तो गर्म पानी में १ पके बड़े नींबू का रस और शहद मिलाकर भोजन के तुरंत बाद पियें l
🌿 छाछ में तुलसी के पत्ते लेने से भी मोटापे में आराम होता है l
🌷 फोड़े-फुंसियाँ 🌷
👉🏻 फोड़ा-फुंसी है तो पालक+गाजर+ककड़ी तीनों को मिला कर उसका रस ले लें अथवा नारियल का पानी पियें तो फोड़ा फुंसी में आराम होता है ।