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02 दिसम्बर 2022

Updated on 03-12-2022 02:32 AM
दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमंत*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी 03 दिसम्बर प्रातः 05:39 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - उत्तरभाद्रपद प्रातः 05:45 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - वज्र सुबह 07:30 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल - सुबह 11:08 से 12:29 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:04*
*⛅सूर्यास्त - 05:54*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:19 से 06:12 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:03 से 12:56 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - दशमी को कलम्बिका शाक खाना सर्वथा त्याज्य है ।  (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 कैसे मनायी जाती है 'गीता जयंती' ? 🌹*

*🌹 श्रीमद्भगवद्गीता को सुंदर, ऊँचे आसन पर स्थापित करके पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजन करें ।*
*🌹 गीता-माहात्म्य पढ़ने के बाद पाठ करें ।*

*🌹 प्रतिदिन कम-से-कम एक श्लोक पढ़ने का संकल्प अवश्य करें तथा करायें ।*

*🌹 श्रीमद् भगवद् गीता - महिमा 🌹*

*👉 गीता के श्लोक के पाठ से, भगवान के स्मरण और कीर्तन से तथा आत्मतत्त्व में विश्रांतिप्राप्त संत के दर्शनमात्र से करोड़ों तीर्थ करने का फल प्राप्त होता है ।*

*👉 जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए गीता एक अद्भुत ग्रंथ है । भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं : गीता मे हृदयं पार्थ… गीता मेरा हृदय है अर्जुन ।*

*👉 सम्पूर्ण विश्व में ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ ही एक ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनायी जाती है ।*

*👉 गीता जयंती ‘मोक्षदा एकादशी’ के दिन मनायी जाती है । इसी दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को निमित्त बनाकर मनुष्यमात्र को ‘गीता-ज्ञान’ देकर परम सुख, परम शांति प्राप्त करने का मार्ग दिखाया ।*

*👉 ‘गीता’ का ज्ञान जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति देने वाला है ।*

*👉 गीता के प्रत्येक अध्याय एवं मात्र एक श्लोक के पाठ का भी बड़ा माहात्म्य है ।*

*👉 जिस मनुष्य के जीवन में ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ का ज्ञान है, वह संसार की तमाम विघ्न -बाधाओं के बीच भी आनंद से रहता है और अपने परमात्म-पद को पाने में सफल हो जाता है ।*

*🔹आंत्रपुच्छशोथ (अपेन्डिसायटिस) : आपरेशन की आवश्यकता नहीं - पूज्य बापूजी*

*🔹अपेन्डिसायटिस के कारण पेट में असहनीय दर्द उठ रहा हो व शीघ्र आपरेशन कराने की सलाह दी गयी हो, ऐसी अवस्था में भी आपरेशन कराने की आवश्यकता नहीं है । निम्न प्रयोग से एक सप्ताह में ही संपूर्ण राहत मिलती है ।*

*🔹७ दिन तक केवल गाय के दूध का सेवन करें । रात को ५ ग्राम त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें।  दूध व त्रिफला के सेवन में २ घंटे का अंतर रखें व प्रतिदिन पादपश्चिमोत्तानासन करें । यह एक अनुभूत प्रयोग है । कई पीड़ितों को इस प्रयोग से पूर्णतः आराम मिला है । गर्मी के दिन न हों या गर्म न ता हो तो २५-३० ग्राम गौझरण में थोड़ा पानी मिलाकर खाली पेट लेने से अपेन्डिसायटिस में आराम मिलता है ।*

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