⛅ मास - ज्येष्ठ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - वैशाख)
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ तिथि - सप्तमी रात्रि 12:46 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅ नक्षत्र - धनिष्ठा शाम 04:06 तत्पश्चात शतभिषा
⛅ योग - वैधृति 02 जून रात्रि 03:02 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅ राहुकाल - शाम 03:57 से शाम 05:37 तक
⛅ सूर्योदय - 05:57
⛅ सूर्यास्त - 19:15
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ *व्रत पर्व विवरण - 01 जून 2021 मंगलवार ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष सूर्योदय सप्तमी तिथि रात 12:46 तक उसके उपरांत अष्टमी तिथि ।
द्विपुष्कर योग :- आज प्रातः 5:24 से 4:08 शाम तक द्विपुष्कर योग रहेगा इस योग में अच्छा या बुरा जो भी कार्य आज होगा उसका दोगुना फल मिलेगा।
पंचक प्रारंभ :- आज से पञ्चक शुरू।
पंचक समाप्ति:- 5 जून शनिवार रात 11:28 तक पंचक रहेंगे उसके उपरांत पंचक समाप्ति।
भद्रा:- आज प्रातः 5:24 से 12:49 दोपहर तक भद्रा रहेगी।
नक्षत्र - धनिष्ठा नक्षत्र शाम 04:08 तक उसके उपरांत शतभिषा नक्षत्र।
राशि - कुंभ राशि पूर्ण रात्रि तक।
👉 भवन बनाने के पूर्व भूमि का शोधन करना आवश्यक होता है।
👉 भूखण्ड में हड्डी तो नहीं है, यह देखने के लिए लोमश संहिता में इसका विस्तृत वर्णन है।
👉 जिस स्थान पर मिट्टी उसर भूमि जैसी हो, सियार आदि जानवरों से युक्त हो, जहां वृक्ष स्वयं सूख जाते हों, जिस स्थान पर तेल से भरा दीपक जलाने पर बार-बार बुझ जाता हो, जहां रहने पर चित्त में उद्वेग हो, जहां अनेक प्रकार के प्राकृतिक उपद्रव होते हों, वहां उस भूमि के नीचे मृत प्राणी की हड्डी अवश्य रहती है।
👉 प्रात:काल देव मन्दिरों का द्वार खोलने से पूर्व और रात्रि में देवशयन करने से पूर्व तीन - तीन बार शंख ध्वनि करना चाहिए।
👉 शंख ध्वनि से मंदिर में स्थित विग्रह में चैतन्य वृद्धि प्राप्त होती है।
👉 सूर्य को प्रतिदिन अर्घ्य देने से विवेक बुद्धि का विस्तार होता है।
👉 मन्त्र, माला, आसन, लाठी, पगड़ी, कलम किसी अन्य को नहीं देना चाहिए।
💥 विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है था शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌷 बुधवारी अष्टमी 🌷
➡ 02 जून 2021 बुधवार को (सूर्योदय से रात्रि से 01:03 तक) बुधवारी अष्टमी है ।
👉🏻 मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि
🙏🏻 सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।
🙏🏻 इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है। (शिव पुराण, विद्यश्वर संहिताः अध्याय 10)
🌷 अहंकार, चिंता और व्यर्थ का चिंतन मिटाने का मंत्र 🌷
🙏🏻 अहंकार, चिंता और व्यर्थ का चिंतन साधक की शक्ति को निगल जाते हैं | इनको मिटाने के लिए एक सुंदर मंत्र योगी गोरखनाथजी ने बताया है | इसमें कोई विधि – विधान नहीं है | रात को सोते समय इस मंत्र का जप करो, संख्या का कोई आग्रह नहीं है | इस मंत्र से आपके चित्त की चिंता, तनाव, खिंचाव, दिक्कतें जल्दी शांत हो जायेगी और साधन – भजन में बरकत आयेगी | मंत्र उच्चारण में थोडा कठिन जैसा लगेगा लेकिन याद रह जाने पर आसान हो जायेगा | बाहर के रोग तो बाहर की औषधि से मिट सकते हैं लेकिन भीतर के रोग बाहर की औषधि से नहीं मिटेंगे और इस मंत्र से टिकेंगे नहीं |
🙏🏻 हमारी जो जीवनधारा है, जीवनीशक्ति है, चित्तशक्ति है उसीको उद्देश्य करके यह मंत्र है ।
🙏🏻 ‘हे चित्तात्मिका, महाचित्ति, चित्तस्वरूपिणी ! मैं तेरी आराधना करता हूँ | जगत – शक्तिदात्री भगवती ! मेरे चित्त के रोगों का तू शमन कर |’
🙏🏻 ‘ठं’ बीजमंत्र है, यह बड़ा प्रभाव करता है | किसीमें लोभ, किसीमें मोह, किसीमें शराब पीने का, किसीमें अहंकार का, किसीमें शेखी बधारने का दोष होता है | चित्त में दोष भरे है इसलिए तो चिंता, भय, क्रोध, अशांति है और जन्म – मरण होता है |
🙏🏻 इसके जप से आद्यशक्ति चेतना चित्त के दोषों को दूर कर देती है, चित्त को निर्मल कर देती है | सीधे लेट गये, यह जप किया | जब तक निद्रा न आये तब तक इसका प्रयोग करें | निद्रा आने पर अपने – आप ही छूट जायेगा | रात को जप करके सोने से सुबह तुम स्वस्थ, निर्भय, प्रसन्न होकर उठोगे |
🙏🏻 भगवान के मंत्र हों और भगवान को अपना मानकर प्रीतिपूर्वक जप करें तो चित्त भगवदाकार होकर भगवदरस से पावन हो जाता है | भगवदरस के बिना नीरसता नहीं जाती |