विधानसभा चुनाव के नजदीक आते-आते तेज होंगी यात्राएं
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29-08-2023 07:29 AM
इस वर्ष के अन्त में होने वाले चार विधानसभाओं के चुनावों की बयार अब धीरे-धीरे बहने लगी है और वह जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आयेंगे तेज होती जायेगी। आरोप-प्रत्यारोपों की जो अभी रिमझिम बारिश आरंभ हुई है वह घटाटोप होती जायेगी और इसमें शाब्दिक मर्यादायें कितनी तार-तार होंगी, इसकी अभी केवल कल्पना ही की जा सकती है क्योंकि जब आगाज का अंदाज यह है तो चरम पर पहुंचने पर क्या होगा, इसका केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है। कहां-कहां केंद्रीय जांच एजेंसियों की धमक होगी और कौन-कौन इसके घेरे में आयेगा यह तो शीघ्र ही पता चल जायेगा। फिलहाल तो चुनाव वाले राज्यों में से छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नजदीकी लोगों और अधिकारियों के यहां छापेमारी चल रही है। छत्तीसगढ़ में जहां पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने शाब्दिक तोपों के गोले एक-दूसरे पर दागना चालू कर दिया है तो मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ आमने-सामने हैं, जबकि केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आपस में शाब्दिक गोला-बारुद छोड़ते नजर आ रहे हैं।
भाजपा ने मध्यप्रदेश में 12000 किमी की रथयात्राएं 230 विधानसभा क्षेत्रों में 2 सितम्बर से आरंभ करने का एक ब्राह्मास्त्र कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को धूल-धूसरित करने के लिए चलाने का ऐलान कर दिया है। इन ‘जन आशीर्वाद ‘ यात्राओं के लिए भाजपा ने सात रथ तैयार कर लिए हैं। इन हाईटेक रथों में वीवीआईपी सुविधाएं होंगी। इनमें से पांच रथों को यात्राओं में शामिल किया जायेगा और दो रथों को सुरक्षित रखा जायेगा ताकि यदि किसी वाहन में कोई खराबी आती है तो यात्रा के पहिए थमे नहीं। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रस्तावित जन आशीर्वाद यात्रा को ‘जन-सौदा यात्रा‘ निरुपित किया है। अब यह तो चुनाव नतीजों से ही पता चलेगा कि मतदाता के गले किसकी बात उतरती है। जन आशीर्वाद यात्रा प्रदेश के पांच प्रमुख स्थानों से आरंभ होगी। इसके लिए पार्टी ने स्थलों का चयन कर लिया है और इसका आधार यह है कि यह यात्राएं प्रसिद्ध स्थल, आदिवासी वीरों की भूमि, धार्मिक स्थान और किसी शहीद की जन्मस्थली आदि से निकाली जायें और इसे आधार मानकर रानी दुर्गावती की वीर स्थली जबलपुर के बरेला, भगवान श्रीराम की वनवास स्थली चित्रकूट, चन्द्रशेखर आजाद की जन्मभूमि भांवरा- जिला झाबुआ तथा खंडवा में टंट्या मामा भील की जन्म स्थली तथा मॉ नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से ये यात्राएं आरंभ होंगी। 24 सितम्बर को सभी रथ वापस भोपाल आ जायेंगे और भोपाल में 25 सितम्बर को कार्यकर्ता महाकुंभ आयोजित किया जायेगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यकर्ताओं को चुनाव जीतने का मंत्र देते हुए उनमें हिमालयीन जोश भरेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा चार अन्य बड़े नेताओं के हाथ में जन-आशीर्वाद यात्राओं की कमान रहेगी।
नौजवानों को रेत का रोजगार
मध्यप्रदेश में चार महीने बाद अपने नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनाने के प्रति कमलनाथ पूरी तरह आश्वस्त नजर आते हैं। रेत का अवैध कारोबार एक बड़ा मुद्दा लम्बे समय से प्रदेश में चल रहा है जो 2018 के विधानसभा चुनाव के समय भी था और अब भी है। मुरैना जिले के अम्बाह में कमलनाथ ने बेरोजगार युवाओं को भरोसा दिलाया है कि चार महीने बाद जब कांग्रेस की सरकार बनेगी तब जिले के नौजवानों को रेत के कारोबार का अधिकार दिया जायेगा। भाजपा-राज में बेरोजगारी के कारण प्रदेश में एक करोड़ युवा नौकरी के लिए परेशान हैं और कांग्रेस की सरकार उद्यमियों को निवेश के लिए यहां लेकर आयेगी। यहां एक आमसभा में उन्होंने अनेक वायदे किए। उन्होंने इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवराज ने 10 महीने में एक लाख युवाओं को रोजगार देने की घोषणा की है और हमारा कहना है कि सरकारी विभागों में रिक्त पदों को ही भर दो तो यह संख्या पूरी हो जायेगी। वहीं कांग्रेस पार्टी पर तंज करते हुए केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश में भाजपा चुनाव प्रबंधन के प्रमुख नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस पर तीखा शाब्दिक हमला बोलते हुए कहा कि अब कांग्रेस की सिर्फ उम्र बढ़ रही है बुद्धि का विकास नहीं हो रहा है। नव-मतदाता सम्मेलन में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने मतदाताओं से कहा कि भाजपा से जुड़कर आपने खुद को राष्ट्रवाद से जोड़ने का काम किया है। इस अवसर पर तोमर और शर्मा ने भाजपा के थीम सॉग ‘‘मोदी के मन में बसा एमपी‘‘ को लांच किया। इसी दौरान मिस्ड-काल के जरिए 600 नव-मतदाताओं को भाजपा की सदस्यता दिलाई गई।
आदिवासी महिलायें संभालेंगी कांग्रेस का मोर्चा
आदिवासी महिलाओं के बीच बढ़ी हुई गैस की कीमतों और कुछ स्थानों पर आदिवासियों के साथ हुए कथित अत्याचार को लेकर इसकी कहानी सुनाने का मोर्चा कांग्रेस से जु़ड़ी आदिवासी महिलाएं भी संभालेंगी। कांग्रेस आदिवासी विभाग की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। विभाग की महिला शाखा नारी सम्मान योजना, सस्ता रसोई गैस सिलेंडर और महिलाओं के हित में कांग्रेस सरकार बनने पर क्या-क्या सुविधाएं दी जायेंगी, इसकी जानकारी देगी। आदिवासी महिलाओं की टीम प्रदेश के सभी आदिवासी क्षेत्रों में जाकर जागरुकता अभियान चलायेगी। इस बैठक में आदिवासी स्वाभिमान यात्रा में सहयोग करने वाली आदिवासी महिलाओं और संगठन के माध्यम से सामाजिक कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित भी किया गया। मध्यप्रदेश में सत्ता की राह आदिवासियों के बीच से होकर गुजरती है इसलिए कांग्रेस का फोकस इन वर्गों पर है। भाजपा भी इस मामले में किसी से कम नहीं है। अब यह तो चुनाव नतीजों से ही पता चलेगा कि किसकी बात पर आदिवासियों ने अधिक भरोसा किया।
और यह भी
छिंदवाड़ा जिले के जामसांवली के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में श्री हनुमान लोक की आधारशिला रखते हुए धार्मिक नजरिए से जनता का दिल जीतने का पूरा-पूरा प्रयास मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किया। मुख्यमंत्री का यह प्रयास राज्य में कांग्रेस के भीतर साफ्ट हिंदुत्व के पक्षधर कमलनाथ की हनुमान भक्त वाली छवि को कमजोर करने का माना जा रहा है। एक प्रकार से चार दशक से कमलनाथ के कांग्रेसी गढ़ में घुसकर वहां की जनता को यह बताने की शिवराज ने कोशिश की है कि वे धार्मिक व सामाजिक मामलों में राजनीति से ऊपर उठकर सोचते हैं। मौजूदा समय में छिंदवाड़ा जिले की राजनीति में कांग्रेस की मजबूत पकड़ है और भाजपा को यहां पर नये सिरे से अपनी जमीन उर्वरा बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी। फिलहाल छिंदवाड़ा और उसके आसपास के जिलों में कांग्रेस की मजबूत पकड़ है। छिंदवाड़ा की सातों विधानसभा सीटें कांग्रेस के कब्जे में हैं तो वहीं पड़ोसी जिले बैतूल की पांच में से चार और सिवनी जिले की चार में से दो विधानसभा सीटों पर भी कांग्रेस काबिज है। कांग्रेस पार्टी कमलनाथ को हनुमान भक्त बताते हुए समय-समय पर इसे प्रचारित करती रही है और कर्नाटक में हनुमानजी के नाम पर जबसे कांग्रेस को सफलता मिली है तबसे मध्यप्रदेश में कांग्रेसी पूरी ताकत से हनुमान भक्ति में जुट गये हैं और हनुमानजी की गदा घुमाने से भी परहेज नहीं करते हैं। जहां तक विधानसभा चुनाव का सवाल है कांग्रेस अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कसर बाकी नहीं रखना चाहती और इसके लिए उसने कांटे से कांटा निकालने की रणनीति बनाई है तथा भाजपा नेताओं को पूरे जोश-खरोश के साथ कांग्रेस में प्रवेश कराया जा रहा है।
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