2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस के तेजी से खिसकते जनाधार को लेकर उसका चिंतित होना स्वाभाविक है, क्योंकि यहां पर उसका मजबूत जनाधार रहा है और भाजपा व कांग्रेस के बीच मतों का अन्तर भी कुछ अपवादों को छोड़कर काफी कम रहता आया है। इस समय लोकसभा में कांग्रेस का मध्यप्रदेश से कोई सांसद नहीं है। दो चुनावी पराजयों ने उसे आत्मावलोकन के लिए संभवतः मजबूर कर दिया है और यही कारण है कि प्रदेश में प्रभारी में भी अचानक बदलाव कर दिया गया है और राजस्थान के कांग्रेस नेता हरीश चौधरी को अब यह जिम्मेदारी दी गयी है कि वह मध्यप्रदेश में सूखती कांग्रेस की जमीन को हरा-भरा व उर्वरा करें, हालांकि यह आसान काम नहीं है क्योंकि केन्द्र व राज्य दोनों में ही भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं और मध्यप्रदेश तथा देश में उसका मजबूत संगठन है। चूंकि यहां डेढ़ साल के अंतराल को छोड़कर 2003 से भाजपा की ही सरकार रही है इसलिए देखने वाली बात यही होगी कि क्या हरीश चौधरी यहां कुछ गुल खिला पायेंगे और कांग्रेसजनों को अनुशासित करने में वे कितने सफल होंगे।
बतौर प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठक में कहा है कि अनुशासन उनकी पहली प्राथमिकता होगी क्योंकि संगठन को मजबूत बनाना है, इसके लिए सभी को एकजुट होकर काम करना होगा। प्रदेश प्रभारी बनाये जाने के बाद अपने पहले राजधानी प्रवास में उन्होंने प्रदेश पदाधिकारियों और राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्यों से अलग-अलग चर्चा की, यह चर्चा लगभग चार घंटे तक चली। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे प्रदेश के लिए एक छात्र की तरह हैं, उन्हें यहां के बारे में कुछ भी पता नहीं, पार्टी प्रदेश के लिए जो भी तय करेगी उसका अनुसरण करेंगे। प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच सहयोगी की भूमिका में रहूंगा और मिशन मध्यप्रदेश के लिए काम करुंगा। उन्होंने अपने इस इरादे को भी साफ कर दिया कि वे पार्टी की मजबूती के लिए लगातार प्रदेश में प्रवास करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि मैं नेहरुवादी हूं, मेरे शब्द व मेरी समझ में कोई अन्तर नहीं है। भाजपा पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश रहती है कि कांग्रेस को खंड-खंड करें, लेकिन ऐसा नहीं हो पायेगा। उल्लेखनीय है कि इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री द्वय कमलनाथ और दिग्विजय सिंह तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे अरुण यादव नहीं आये, लेकिन नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे, कांतिलाल भूरिया, सज्जन सिंह वर्मा व पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने बैठक में हिस्सा लिया। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने की।
काम के पदाधिकरी बना पायेंगे हरीश ?
हरीश चौधरी ने अपने प्रवास में इस बात पर जोर दिया कि पदाधिकारी नाम के नहीं बल्कि काम के होने चाहिए। चुनाव और सत्ता में आने पर आगे-आगे जो लोग नजर आते हैं वे अक्सर संघर्ष के दिनों में गुम हो जाते हैं। अब ऐसे लोगों को चिन्हित किया जाये और आगे बढ़ाया जाये जो पार्टी की विचारधारा के प्रति समर्पित हैं और संगठन को मजबूत बनाने के लिए काम करना चाहते हैं। कहने और सुनने में यह बात बड़ी अच्छी लगती है लेकिन ऐसा करना आसान नहीं होगा, क्योंकि अनेक कांग्रेस नेताओं की अपनी-अपनी ढपली और अपना-अपना राग है, इन सभी को एक सुर में बांध पाना हरीश चौधरी के लिए कहां तक संभव होगा यह देखने वाली बात होगी, क्योंकि 18 साल से अधिक के सत्ता के सूखे ने अनेक कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अपनी सुविधानुसार नए रिश्ते बनाने का रास्ता दे दिया था। ऐसे लोगों को फिर से हरीश चौधरी कैसे राह पर लाते हैं यही उनकी नेतृत्व क्षमता की कसौटी होगी। उन्होंने संगठन को बूथ स्तर पर मजबूत करने पर जोर दिया है। चुनावी राजनीति में वही पार्टी और उम्मीदवार बाजी मार लेता है जिसकी बूथों पर मजबूत पकड़ होती है। जिले के प्रभारियों व जिला अध्यक्षों के साथ भी चौधरी ने चर्चा की और उनसे संगठन की गतिविधियों के बारे में जानकारी ली। हरीश चौधरी का इस बात पर विशेष जोर था कि सरकार की जन-विरोधी नीतियों के विरुद्ध जन-आंदोलन किया जाये और संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत बनाया जाये। यह भी निर्णय किया गया कि कांग्रेस कार्यकर्ता प्रत्येक जिले व विकासखंड स्तर पर आम जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को उठायेंगे और सरकार की असफलताओं को उजागर करेंगे। यह काम इतना आसान नहीं है क्योंकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जनता और मैदान से कटकर नेताओं के ड्राइंग रुम तक अपने को सीमिति कर लिया है। चौधरी का कहना था कि महंगाई, बेरोजगारी, किसान और आदिवासी हितों, महिला सुरक्षा और लोकतांत्रिक अधिकारों को लेकर आने वाले दिनों में आंदोलन किए जायेंगे। जनता के बीच कांग्रेस की नीतियों को मजबूती से रखा जायेगा। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का कहना था कि कांग्रेस जनता की आवाज बनकर उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ेगी।
और यह भी
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी जिलों मेे दौरा करके पार्टीजनों से सीधा संवाद करेंगे और हालात का जायजा लेंगे। प्रवास के दौरान बूथ स्तर पर बैठकें होगी, जिनमें कार्यकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर संगठन की नब्ज टटोली जायेगी। विधानसभा स्तरीय बैठकें भी होंगी जिनमें पार्टी के विधायक, पूर्व विधायक, जिला पदाधिकारी हिस्सा लेंगे जिनसे जिलों में संगठन की गतिविधि को लेकर फीडबैक लिया जायेगा। इसके निष्कर्ष ही जिला व ब्लाक इकाइयों में प्रस्तावित परिवर्तन का आधार बनेंगे। देखने वाली बात यही होगी कि क्या पूरी पारदर्शिता के साथ हरीश चौधरी अपने काम और इरादों को अंजाम दे पायेंगे।
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