चीन क्यों अपने युवाओं को बड़े सपने देखने से रोक रहा? 10 वर्षों तक भी खत्म नहीं होगी यह आफत
Updated on
09-08-2023 02:58 PM
नई दिल्ली : जीरो कोविड पॉलिसी (Zero Covid Policy) के चलते लंबे समय से इकॉनमी में सुस्ती के बाद अब चीन को बेरोजगारी (Unemployment in China) की समस्या खा रही है। चीन में नए ग्रेजुएट युवाओं को जॉब्स (Jobs) नहीं मिल रही है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगले 10 वर्षों तक चीन में बेरोजगारी की समस्या कम नहीं होने वाली है। लेकिन क्या चीन इस समस्या को दबाना चाहता है? लगता तो ऐसा ही है। चीन के कॉलेजों में अब नए ग्रेजुएट युवाओं से कहा जा रहा है कि वे बड़े सपने नहीं देखें। ना ही उच्च वेतन वाली जॉब्स के पीछे भागें। दक्षिण-पश्चिमी चीन में चोंगकिंग मेट्रोपॉलिटन कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के इस साल के समारोह में नए ग्रेजुएट्स को अपने सपने पूरे करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया गया। इसके बजाए उन्हें कड़वी वास्तविकता के बारे में बताया गया। कॉलेज के चेयरमैन हुआंग जोंगमिंग ने 9000 से अधिक ग्रेजुएट्स से कहा, 'आपको अधिक बड़े सपने नहीं देखने चाहिए या काम को लेकर नकचढ़ा नहीं बनना चाहिए। मौके बहुत कम हैं।'
रिकॉर्ड संख्या नए ग्रेजुएट्स आ रहे
रिकॉर्ड संख्या में चीनी कॉलेज ग्रेजुएट्स जॉब मार्केट में प्रवेश कर रहे हैं। इससे बेरोजगारी काफी अधिक बढ़ जाएगी, जो पहले से ही ज्यादा है। जून में 16 से 24 साल की उम्र वाले युवाओं के लिए चीन की बेरोजगारी दर रिकॉर्ड 21.3 फीसदी पर जा पहुंची थी। जॉब मार्केट में नए कॉलेज ग्रेजुएट्स के आने के बाद जुलाई में यह काफी बढ़ गई होगी। इस समस्या के समाधान के लिए संघर्ष कर रहे सरकारी पॉलिसीमेकर्स चाहते हैं कि कॉलेज ही ग्रेजुएट्स को जॉब दिलाने के लिए अधिक प्रयास करें। स्कूल के टॉप अधिकारियों को मौकों का पता लगाने के लिए कंपनियों का दौरा करने को कहा जा रहा है। कई मामलों में स्टूडेंट्स को नौकरी के मनगढंत ऑफर्स लेने पड़ रहे हैं।
तेजी से बढ़ी कॉलेज जाने वालों की संख्या
पिछले 3 दशकों में जैसे-जैसे चीन की इकॉनमी तेजी से बढ़ी, अधिकाधिक लोग कॉलेज गए। इसे बेहतर करियर पाने के एक माध्यम के रूप में देखा गया। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में जाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 1992 के 7,54,000 से बढ़कर 2022 में 1.1 करोड़ हो गई। इस साल 1.16 करोड़ स्टूडेंट्स के चीन के कॉलेजों में जाने का अनुमान है। यह संख्या अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। आने वाले समय में इस संख्या के और बढ़ने का अनुमान है। वहीं, इकॉनमी पहले की तरह नहीं बढ़ रही है।
4 साल में दोगुनी हो गई बेरोजगारी दर
चीन में युवा बेरोजगारी दर पिछले 4 वर्षों में दोगुनी हो गई है। यह वह समय था जब जीरो कोविड पॉलिसी के चलते आर्थिक अस्थिरता पैदा हुई, जिससे कंपनियां नई भर्तियां करने में हिचकिचाईं। इसके अलावा सरकार की सख्ती ने ऑनलाइन एजुकेशन, टेक्नोलॉजी और रियल एस्टेट जैसी किसी समय एक्टिव रहने वाली इंडस्ट्रीज को कम कर दिया है। चीन की इकॉनमी ने भी उच्च वेतन वाली वाइट कॉलर जॉब्स पैदा नहीं की हैं। इससे नौकरियों में कंपटीशन तेजी से बढ़ा है।
10 वर्षों तक भी कम नहीं होगी यह समस्या
रेनमिन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना के थिंकटैंक चाइना मैक्रोइकॉनमिक फोरम की जून रिपोर्ट में कहा गया कि बेरोजगारी की समस्या एक दशक तक कम नहीं हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया, 'अगर इस समस्या को ठीक से नहीं हेंडल नहीं किया गया तो इससे इकॉनमी के अलावा भी दूसरी सोशल प्रॉब्लम्स पैदा होंगी। साथ ही राजनीतिक समस्याएं भी पैदा होंगी।'
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