अंतरिक्ष में छतरी क्यों लगाना चाहते हैं इजरायली वैज्ञानिक? बड़े मिशन की है तैयारी, जानें कितना आएगा खर्च
Updated on
01-08-2024 01:44 PM
वॉशिंगटन: ग्लोबल वार्मिंग दुनिया की समस्या है। इससे निपटने के लिए इजरायल के वैज्ञानिक एक अनोखा तरीका लाए हैं। वैज्ञानिक प्रो. योरम रोजेन एक क्रांतिकारी अंतरिक्ष सनशेड का प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए 1.5 करोड़ डॉलर जुटा रहे हैं। इस अत्याधुनिक प्रोजेक्ट का लक्ष्य बड़े पैमाने पर इस 'अंतरिक्ष छतरी' के जरिए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना है। इजरायल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एशर स्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक शोधकर्ता रोजेन ने पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर 25 लाख टन का सनशेड स्पेस में तैनात करने की कल्पना की है।
इस सनशेड को कुछ इस तरह डिजाइन किया जाएगा जो 2 फीसदी सूर्य के रेडिएशन को ब्लॉक कर सके। यह सनशेड 12 से 18 महीने के भीतर वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक कम कर सकता है। पूरे मानव इतिहास में आम तौर पर सूर्य की ओर से पृथ्वी को गर्म करने और ग्रह की ओर से अंतरिक्ष में गर्मी को भेजने के बीच संतुलन रही है। हालांकि औद्योगिक क्रांति के बाद से मानव जाति की ओर से ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन ने पृथ्वी की खुद को ठंडा रखने की क्षमता को सीमित कर दिया है।
कैसे करेगा काम?
प्रोफेसर योरम रोजेन और उनकी टीम ने एक ऐसी बड़ी छतरी की कल्पना की है, जो पृथ्वी के गर्म होने की गति धीमी कर दे। यह अवधारणा एक परावर्तक, अपारदर्शी छतरी को एक स्थिर कक्षा में लॉन्च करने पर निर्भर करती है। यह सूर्य की परिक्रमा करते समय पृथ्वी के साथ लॉक रहेगा। यह सनशेल पतली, परावर्तक सामग्री से बना होगा और इसके स्थान का उद्देश्य गुरुत्वाकर्षण और सौर हवा के प्रभावों को कम करना है। परियोजना के महत्वाकांक्षी पैमाने के बावजूद रोजेन इस बात पर जोर देते हैं कि शुरुआती लक्ष्य ब्लैकबोर्ड के आकार का एक प्रोटेटाइप बनाना और परीक्षण है।
कितना आएगा खर्च?
यह प्रोटोटाइप पूर्ण पैमाने पर कार्यान्वयन से पहले टेक्नोलॉजी को मान्य करने में मदद करेगा। इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह बनाने में 30 ट्रिलियन डॉलर तक खर्च आ सकता है। जो कि अमेरिका की जीडीपी से भी ज्यादा है। लेकिन सदी के मध्य तक ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले अनुमानित आर्थिक नुकसान से कम है। प्रोटोटाइप बनाने में पर्याप्त धन की जरूरत होती है। उन्होंने कहा, 'यह उस तरह नहीं होगा जैसा सूर्य और आपके बीच बादल आ जाता है। बल्कि यह दोपहर 12 बजे और 2 बजे का अंतर होगा।'
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