रूस से तेल पर अमेरिका ने क्यों की भारत की तारीफ? कहा- डिस्काउंट ने तोड़ दी पुतिन की कमर
Updated on
05-04-2024 01:08 PM
मॉस्को: रूस और यूक्रेन का युद्ध लगातार चल रहा है। युद्ध शुरू होने के बाद रूस पर अमेरिका ने सख्त प्रतिबंध लगाए थे, जिससे दुनिया ने उसका तेल खरीदना बंद कर दिया। अमेरिका ने रूस के तेल की कीमत पर मूल्य सीमा भी लागू कर दी थी। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग के आर्थिक नीति के सहायक सचिव एरिक वान नोस्ट्रैंड ने रूस के तेल पर मूल्य सीमा लागू करने के अमेरिकी फैसले की सराहना की है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस फैसले से भारत समेत अन्य देशों को फायदा हुआ है।
तेल पर मूल्य सीमा के दूसरे चरण पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि भारतीय आर्थव्यवस्था का रूसी तेल से व्यापार बहुत जरूरी है, और आपूर्ति व्यवधानों से इसका बहुत कुछ दांव पर है। इससे बचने के लिए मूल्य सीमा बनाई गई है। मूल्य सीमा का लक्ष्य पुतिन के राजस्व को सीमित करना और वैश्विक तेल आपूर्ति को बनाए रखना है। इसके साथ भारत और अन्य साझेदारों के लिए रियायती कीमतों पर रूसी तेल तक पहुंच के लिए एक तंत्र बना।'
मूल्य सीमा को सफल मान रहा अमेरिका
उन्होंने कहा कि मूल्य सीमा का पहला वर्ष सफल रहा। वैश्विक तेल बाजारों में सप्लाई बनी रही, जबकि रूस का तेल डिस्काउंट रेट पर बिक रहा था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्राइस कैप ने अन्य देशों को तेल बेचने के रूस के विकल्पों को बाधित किया है। उन्होंने कहा, 'पिछली गर्मियों और पतझड़ में हमने देखा कि मूल्य सीमा से ज्यादा कीमत पर तेल बेचने के लिए रूस कदम उठा रहा है। उसने इससे जुड़े बुनियादी ढांचे में निवेश किया है। इसका नतीजा ये है कि रूसी तेल पर डिस्काउंट कम हो गया है।' उन्होंने आगे कहा कि रूस को रोकने के लिए अमेरिका कदम उठा रहा है, जिसके बाद वह भारत और दूसरे देशों को बड़ी छूट पर तेल बेचने को मजबूर हुआ है।
भारत की कर रहा तारीफ
यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका ने भारत को रूसी तेल के आयात में कटौती करने को कहा है? इसे लेकर उन्होंने न में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत की रिफाइनरी के डिस्काउंट पर तेल खरीदने से उनके प्राइस कैप को फायदा हुआ है। अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी ने रूसी तेल में कारोबार के लिए किसी भी भारतीय इकाई पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। अमेरिका सहित जी-7 देशों और यूरोपीय यूनियन ने रूसी तेल पर 60 डॉलर का कैप लगाया है। 60 डॉलर से ऊपर की कीमत पर तेल खरीदने वाले जहाजों को अमेरिका इंश्योरेंस और अन्य सुविधाएं नहीं देता है। अमेरिका का मानना है कि भारत के तेल खरीदने के कारण रूस 'शेडो फ्लीट' पर निर्भर हो गया है।
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