कोरोना से दिसंबर 2023 में 10 हजार लोगों की मौत हुई। ये जानकारी बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने दी। WHO ने कहा कि पिछले महीने क्रिसमस और नए साल के सेलिब्रेशन की वजह से कोरोना को फैलने का मौका मिला। फिलहाल कोरोना का JN.1 वैरिएंट पूरी दुनिया में फैल रहा है।
हालांकि, कोरोना अभी ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी नहीं है इसके बावजूद ये रूप बदलकर लोगों की जान ले रहा है। 10 हजार लोगों की मौत के अलावा कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की तादाद नवंबर की तुलना में 42% तक बढ़ी। जबकि ICU में भर्ती होने वाले लोगों की तादाद में 62% की बढ़ोतरी हुई है। ये आंकड़ा अमेरिका और यूरोप के 50 देशों से जुटाया गया है।
सरकारों को सावधानी बरतने की जरूरत
WHO चीफ टेड्रोस ने कहा कि सरकारों को कोरोना को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है। वायरस पर निगरानी रखने की जरूरत है। सरकारों को टेस्ट, ट्रीटमेंट और टीके के लिए सही व्यवस्था करनी चाहिए। टेड्रोस के मुताबिक सिर्फ सरकारों को ही नहीं लोगों को भी सचेत रहना होगा। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनने होंगे।
भारत में RT-PCR जांच का प्लान नहीं
11 जनवरी तक भारत में कोरोना के 3,422 एक्टिव मामले हैं। पिछले महीने तक देश में कोविड के सब-वैरिएंट JN.1 के 21 मामले सामने चुके थे। ये 6 जनवरी तक बढ़कर 682 हो चुके हैं। 1 इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया था कि एयरपोर्ट्स पर लोगों का RT-PCR टेस्ट अनिवार्य करने का सरकार का कोई प्लान नहीं है।
भारत में कहां से आया JN.1 वैरिएंट ?
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल के मुताबिक 8 दिसंबर को केरल के तिरुवनंतपुरम में सबसे पहला JN.1 वैरिएंट सामने आया था। 79 साल की एक महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। महिला में इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी के हल्के लक्षण थे। हालांकि, बाद में वह ठीक हो गई।
कोविड के सब-वैरिएंट JN.1 की पहचान पहली बार यूरोपीय देश लक्जमबर्ग में हुई। यहां से यह तमाम देशों में फैलना शुरू हो गया। यह सब-वैरिएंट पिरोलो वैरिएंट (बीए.2.86) से जुड़ा हुआ है। इसे इंसानी शरीर की इम्यूनिटी के खिलाफ खतरनाक बताया जा रहा है। यही वजह है कि नए सब-वैरिएंट को लेकर अलर्ट जारी किया गया है।
अमेरिका में 8 दिसंबर को मिला था पहला JN.1 का मरीज
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने कहा था कि 8 दिसंबर तक अमेरिका में सब वैरिएंट JN.1 अनुमानित 15% से 29% कोविड केस के लिए जिम्मेदार है। सितंबर में पहली बार JN.1 का मरीज सामने आया था।