नई दिल्ली। करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी के मामले में आरोपी किंगफिशर के मालिक विजय माल्या को भारत में प्रत्यर्पण से ब्रिटेन में एक गोपनीय कानूनी मामला बचा रहा है। इसके समाधान के बाद ही उसे स्वदेश लाया जा सकेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यहां नियमित ब्रीफिंग में बताया कि विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए लंदन की अदालत से 10 दिसंबर 2018 को आदेश हो गया था। उसने इस फैसले को ब्रिटिश उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जिसे उच्च न्यायालय ने 20 अप्रैल 2020 को खारिज कर दिया था। इसके बाद उसने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी और उच्चतम न्यायालय ने 14 मई 2020 को याचिका को ठुकरा दिया था। श्रीवास्तव ने कहा कि इस प्रकार से माल्या ने अपने बचाव के हर उपाय का इस्तेमाल कर लिया है और सरकार उसके प्रत्पर्पण के लिए ब्रिटिश सरकार के निरंतर संपर्क में है। पता चला है कि माल्या ब्रिटेन में एक गोपनीय कानूनी मामले में फंसा हुआ है जिसमें भारत पक्षकार नहीं है। बताया गया है कि इसके समाधान के बाद ही उसका प्रत्यर्पण संभव होगा। इससे पहले, गृह मंत्रालय ने अवमानना मामले में दायर हलफनामे में कहा है कि यह कानूनी मुद्दा 'प्रत्यर्पण प्रक्रिया' से इतर है और यह 'गोपनीय' है और इसका खुलासा नहीं किया जा सकता। अवमानना मामले में न्यायालय माल्या को पहले ही दोषी ठहरा चुका है। गौरतलब है कि विजय माल्या पर अब बंद हो चुकी किंग्सफिशर एयरलाइंस से संबंधित नौ हजार करोड़ रुपए से अधिक का बैंक कर्ज अदा नहीं करने का आरोप है। माल्या मई 2016 से ब्रिटेन में है और वह स्काटलैंड यार्ड द्वारा 18 अप्रैल, 2017 को प्रत्यर्पण वारंट की तामील के बाद से जमानत पर है।