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चीन में करोना संक्रमण के बहाने उइगर मुसलमानों का किया जा रहा उत्पीड़न

Updated on 16-05-2020 05:21 PM

बीजिंग। उइगर मुसलमानों के हो रहे उत्पीड़न को लेकर चीन एक बार फिर निशाने पर है। इस बार अमेरिकी सीनेट ने एक प्रस्ताव पारित कर उइगर मुसलमानों पर हो रहे जुल्म पर चीन से जवाब मांगा है। अमेरिका की सीनेट में यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया है और अब इसे संसद के निचले सदन हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव में पेश किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण के चलते उइगर मुसलमानों पर जुल्म की कई ख़बरें चीन से आ रही हैं, कई रिपोर्ट्स में तो दावा किया गया है कि चीनी सरकार कैंप में बंद उइगर मुस्लिमों के अंग निकालकर कोरोना पीड़ितों का इलाज कर रही है। अमेरिकी सीनेट में पेश प्रस्ताव में कैंप में बंद उइगर मुस्लिमों के अलावा कई अन्य अल्पसंख्यकों समूहों पर चीन में हो रहे उत्पीड़न पर जिनपिंग सरकार से जवाब मांगा गया है।
कोरोना महामारी के लिए अमरीका चीन को ज़िम्मेदार मानता है और इस विधेयक को दोनों देशों के बीच शुरू हुए तकरार का ही हिस्सा माना जा रहा है। यह विधेयक चीन के शिनजियांग शहर में तुर्क मुसलमानों के मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा करता है और इन मुसलमानों के साथ चीन में हो रही मनमानी और उत्पीड़न को समाप्त करने का आह्वान करता है।
चीन का कहना है कि वहां चरमपंथियों के ख़िलाफ़ जारी जंग की वजह से ऐसा किया जा रहा है। पिछले वर्ष ऐसी कई रिपोर्टें आई थीं, जिनमें दावा किया गया था कि चीन ने आतंकवाद और धार्मिक चरमपंथ से लड़ने के बहाने दस लाख जातीय वीगर और अन्य तुर्क मुसलमानों को ‘शिविरों’ में रखा जहाँ कथित तौर पर उनका ब्रेन वॉश किया जाता है। इसके लिए चीन की काफ़ी आलोचना भी हुई थी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले मशहूर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट सीजे वर्लमैन ने दावा किया था कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें कोरोना वायरस पीड़ितों की जान बचाने के लिए किसी ओर्गेन की ज़रूरत पड़ी और वह बड़ी ही आसानी से उपलब्ध करा दिया गया। ऐसे कई केस सामने आए हैं जिसमें उइगर मुस्लिमों के अंग निकालकर कोरोना पीड़ितों का इलाज किया जा रहा है। हालांकि इन आरोपों का चीनी सरकार ने खंडन किया है।
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है जब चीन पर ऐसे इलज़ाम लगे हैं। इससे पहले भी सितंबर 2019 में ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई थीं जिनमें डिटेंशन सेंटर्स में मुस्लिमों केस साथ ज्यादती की ख़बरें आई थीं। रिपोर्ट के मुताबिक चीन के मुस्लिम बहुल गांव के नागरिकों को जबरन सरकार की नौकरी में भर्ती किया जा रहा है, भले ही उनकी इच्छा हो या नहीं। इसके लिए निर्धारित कोटा तय किए गए हैं और नौकरी नहीं करने पर परिवारों के लिए जुर्माना भी तय किया गया है। लेबर ब्यूरो ऑफ क्वापकाल की ओर से जारी किए आदेश में कहा गया है कि ऐसे लोगों को काम पर लगाया जाएगा जो अपने निहित स्वार्थ और विचार के कारण इससे दूर हैं। चीन ने उइगर मुस्लिम बिरादरी के सबसे बड़े इमाम को भी क़ैद कर लिया है। चीन ने उइगर मुसलमानों पर दाढ़ी बढ़ाने और नकाब पहनने पर भी रोक लगा दी है।


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