अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को डोनाल्ड ट्रम्प के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि ट्रम्प के राष्ट्रपति रहते हुए लिए गए कई फैसलों पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है। ट्रम्प पर आरोप था कि उन्होंने अमेरिका का राष्ट्रपति रहते हुए नवंबर 2020 के चुनाव के नतीजों को पलटने की साजिश रची थी और उनके समर्थकों ने संसद पर चढ़ाई कर दी थी।
इसे लेकर कोर्ट में उन पर केस चल रहा था। इसके खिलाफ ट्रम्प ने वॉशिंगटन की निचली अदालत में अपील की थी कि उन पर आपराधिक मामले न चलाएं जाएं, पूर्व राष्ट्रपति होने के नाते उन्हें छूट मिले। इस अपील को लोअर कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने वॉशिंगटन की निचली कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। अमेरिका के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के पावर में रहते हुए किए कामों पर आपराधिक मामला नहीं चलाया जा सकता है। डोनाल्ड ट्रम्प ने अदालत के फैसले को संविधान और लोकतंत्र की बड़ी जीत बताया है।
'ट्रम्प को राजा बनाया'
सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्णय 6-3 के बहुमत से दिया है। यानी 6 जजों ने ट्रम्प के पक्ष में वोट किया और 3 ने उनके खिलाफ अपना पक्ष रखा। जिन तीन जजों ने ट्रम्प के खिलाफ वोट किया है उन्हें बाइडेन प्रशासन के दौरान नियुक्त किया गया था। उन्होंने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके साथियों ने ट्रम्प को कानून से ऊपर राजा बना दिया है।
चुनाव से पहले बाइडेन को झटका
कोर्ट के फैसले को ट्रम्प की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि चुनाव से ठीक पहले मीडिया का सारा ध्यान ट्रम्प की तरफ जा सकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का फैसला बाइडेन और उनकी पार्टी के लिए बड़ा झटका है।
सुप्रीम कोर्ट ने केस को वापस ट्रायल कोर्ट भेज दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सीधे ट्रम्प को राहत देने के बजाय मामले को ट्रायल कोर्ट को सौंप दिया है। माना जा रहा कि ट्रायल कोर्ट इस मामले में अब सुनवाई राष्ट्रपति चुनाव के बाद ही करेगा।
इसका मतलब है कि अगर ट्रम्प जीतते हैं तो वो इस मामले को अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए खारिज भी कर सकते हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद उन्हें राहत मिलना लगभग तय है।
11 जुलाई को होनी है ट्रम्प को सजा
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला उस वक्त आया है जब डोनाल्ड ट्रम्प को 11 जुलाई को पोर्न स्टार को पैसे देकर चुप कराने के मामले में सजा सुनाई जानी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि ट्रम्प को आपराधिक केस में छूट उसी मामले में मिलेगी जिन पर उन्होंने राष्ट्रपति पद पर रहते हुए निर्णय लिए।
साथ ही उन्हें निजी आपराधिक मामलों में छूट नहीं मिलेगी। ट्रम्प ने पोर्न स्टार को 2016 में पैसे उस वक्त दिए थे जब वे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर 11 जुलाई की सुनवाई पर नहीं होगा।
भारतवंशी सांसद प्रमिला जयपाल ने इस फैसले को ‘विनाशकारी’ बताया है। उन्होंने इसे ‘राइट विंग कोर्ट’ का फैसला बताया। उन्होंने कहा कि इस फैसले से राष्ट्रपति को आपराधिक काम करने का लाइसेंस मिल जाएगा और वो इसके लिए जवाबदेह नहीं होगा।
चुनावी फैसला पलटने का मामला 3 पॉइंट्स में समझें ...
1. अमेरिका में 6 जनवरी 2021 को कैपिटल हिल यानी कि अमेरिकी संसद में ट्रम्प के समर्थकों ने हिंसा की थी। 3 नवंबर 2020 को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग में बाइडेन को 306 और ट्रम्प को 232 इलेक्टोरल वोट मिले। नतीजे सामने आते ही ट्रम्प और उनके समर्थकों ने चुनाव में धांधली के आरोप लगाए।
2. वोटिंग के 64 दिन बाद जब अमेरिकी संसद बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने में जुटी तो ट्रम्प के समर्थक संसद में घुस गए। वहां तोड़फोड़ और हिंसा की। इसमें एक पुलिस अफसर समेत 5 लोगों की मौत हो गई थी। हिंसा के बाद ट्रम्प पर अपने समर्थकों को भड़काने का आरोप लगा था।
3. 18 महीने तक मामले की जांच चली। पिछले साल दिसंबर में जांच कमेटी ने एक 845 पेज की रिपोर्ट तैयार की। इसमें ट्रम्प को दोषी ठहराया गया। उनके खिलाफ क्रिमिनल केस चलाने की सिफारिश की गई। इसके लिए 1000 चश्मदीदों के बयान दर्ज किए गए थे। इसके अलावा 940 से ज्यादा लोगों पर भी आरोप लगाए गए। इनमें से 500 लोग अब तक अपना जुर्म कबूल कर चुके हैं।
ट्रम्प ने बाइडेन को प्रेसिडेंशियल डिबेट में हराया
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला प्रेसिडेंशियल डिबेट के 2 दिन बाद आया है। डिबेट में भी ट्रम्प ने बाइडेन को मंचूरियन कैंडिडेट कहा था। कई मीडिया घरानों ने ट्रम्प को बहस का विजेता घोषित किया था। इसके बाद से डेमोक्रेटिक पार्टी में मांग उठने लगी थी कि बाइडेन को उम्मीदवार न बनाया जाए।