टाइटैनिक पनडुब्बी के धमाके ने अमेरिकी खुफिया हथियार का किया पर्दाफाश, दुश्मनों को पानी में सूंघ लेता है सिस्टम
Updated on
23-06-2023 06:55 PM
न्यूयॉर्क: टाइटैनिक देखने गई ओशनगेट की टाइटन पनडुब्बी डूब चुकी है। इस पनडुब्बी में समुद्र के अंदर ही विस्फोट हो गया था। अब अधिकारियों ने बताया है कि अमेरिकी नौसेना ने माइक्रोफोन ने कई दिन पहले टाइटन पनडुब्बी के विस्फोट का पता लगा लिया था। अमेरिकी रक्षा विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि रविवार को ओशनगेट एक्पपीडिशन समर्सिबल के लापता होने की सूचना मिलने के तुरंत बाद नौसेना ने इस इलाके में किसी भी भी संकेत को खोजने के लिए एक टॉप सीक्रेट साउंड डिटेक्ट सिस्टम का इस्तेमाल किया। इस सिस्टम ने कई दिन पहले ही उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक विस्फोट का पता लगाया था।
अमेरिकी नौसेना ने कई दिनों पहले सुनी थी विस्फोट की आवाज
द वॉल स्ट्रीट जर्नल और एसोसिएटेड प्रेस ने अमेरिकी रक्षा विभाग के अधिकारियों के हवाले से बताया है कि उन्हें टाइटन पनडुब्बी में विस्फोट की आवाज कई दिन पहले ही सुनाई दी थी। हालांकि, वह बिना सबूत के किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहते थे। गुरुवार को टाइटन पनडुब्बी का मलबा टाइटैनिक जहाज के मलबे से करीब 500 मीटर दूर मिला था। यह वही जगह थी, जहां पर अमेरिकी नौसेना ने विस्फोट की आवाज सुनी थी। अधिकारी ने बताया कि नौसेना ने यूएस कोस्ट गार्ड कमांड को इस विस्फोट की आवाज की सूचना दी।
अमेरिकी नौसेना ने सिस्टम को बताया सीक्रेट हथियार
जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी नौसेन के इस सिस्टम का उपयोग दुश्मन की पनडुब्बियों पर नजर रखने के लिए किया जाता है। अमेरिकी नौसेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के कारण इस सिस्टम इसकी पहचान जाहिर न करने को कहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी नौसेना ने आवाज की डेटा का विश्लेषण किया। इस दौरान टाइटन पनडुब्बी के आसाप का क्षेत्र में विस्फोट या विस्फोट के जैसे एक आवाज और पानी में कंपन को सुना गया। हालांकि, सिर्फ डेटा के आधार पर पनडुब्बी में विस्फोट की पुष्टि नहीं की जा सकती थी। ऐसे में यह जानकारी चल रहे खोज और बचाव अभियान में सहायता के लिए तुरंत इंसीडेंट कमांडर के साथ साझा की गई थी।
शीत युद्ध के दौरान से इस्तेमाल करती है अमेरिकी नौसेना
अमेरिकी नौसेना ने शीत युद्ध के दौरान सोवियत पनडुब्बियों की निगरानी के लिए एक निष्क्रिय सोनार प्रणाली का उपयोग किया था। इसे ध्वनि निगरानी प्रणाली के रूप में जाना जाता था। हालांकि, तब से लेकर आज तक इस सिस्टम में कई बड़े अपडेट किए जा चुके हैं। ऐसे में यह सिस्टम अब पानी के भीतर हल्के से हल्के कंपन को भी महसूस कर सकता है। इसके अलावा यह सिस्टम पानी के तापमान में अचानक आए बदलाव, पानी में ध्वनि की तरंगों को भी रिकॉर्ड कर सकता है। बाद में इससे मिले डेटा का विश्लेषण कर आवाज के प्रकार को जाना जा सकता है। यह एक डिफेंस सिस्टम है, जिसे कई देशों की नौसेनाएं इस्तेमाल करती हैं।
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