उपायों का दिखा असर
खरीफ सीजन में कम उत्पादन के बाद रबी सीजन में दलहन का बुआई रकबा घटने से चिंता बढ़ी थी। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, रबी सीजन में दलहन का रकबा 162 लाख 66 हजार हेक्टेयर से घटकर 155 लाख 13 हजार हेक्टेयर पर आ गया। मौजूदा क्रॉप ईयर में 121 लाख टन उत्पादन का सरकारी अनुमान है।सरकार ने सप्लाई बढ़ाने के लिए पीली मटर के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट की अवधि अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी थी। पिछले साल दिसंबर से मिली इस छूट के बाद 15 लाख टन से अधिक पीली मटर का आयात हुआ है। उपभोक्ताओं को कम कीमत पर दाल उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार पहले ही 60 रुपये किलो पर भारत दाल ब्रैंड के तहत चना दाल बेच रही है। पिछले दिनों उसने चने पर 66% की इंपोर्ट ड्यूटी भी अगले साल मार्च तक के लिए हटा दी थी ताकि इसकी सप्लाई बढ़ सके।
कन्ज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि दीर्घकालिक उपायों पर फोकस करने की रणनीति के तहत 'धान जैसी ज्यादा पानी की खपत वाली फसलों की जगह पर चना, मसूर, उड़द और अरहर की खेती करने वाले किसानों से एग्रीमेंट करने को कहा जा रहा था। उनकी ऐसी पूरी फसल अगले 5 साल तक एमएसपी पर खरीदने की गारंटी भी दी गई।' अधिकारी ने कहा कि इस प्री-रजिस्ट्रेशन का अच्छा नतीजा दिखा है और खरीफ सीजन में किसानों ने दलहन का रकबा रिकॉर्ड लेवल पर बढ़ाया है।