22 साल में पहली बार हुआ ऐसा... रियल एस्टेट और स्टॉक मार्केट डूबने के बाद चीन पर आई नई आफत
Updated on
04-07-2024 11:35 AM
नई दिल्ली: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश चीन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। रियल एस्टेट और स्टॉक मार्केट के डूबने से इनवेस्टर्स की हालत पहले से ही खराब थी और अब चीन सरकार के बॉन्ड्स पर यील्ड भी रेकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। समस्या यह है कि निवेशक चीन के सरकारी बॉन्ड्स पर पैसा लगा रहे हैं जिससे इनकी कीमत बहुत ज्यादा बढ़ गई है। कीमत बढ़ने से यील्ड में भारी गिरावट आई है। चीन के 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर यील्ड सोमवार को 2.18% रह गई जो इसका अब तक का सबसे न्यूनतम स्तर है। इन बॉन्ड्स की शुरुआत 2002 में हुई थी। इसे चीन में कई तरह के इंटरेस्ट रेट्स के लिए बेंचमार्क माना जाता है।
20 साल और 30 साल के बॉन्ड्स पर यील्ड भी ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर है। कीमत बढ़ने से इनवेस्टर्स को मिलने वाला रिटर्न यानी बॉन्ड यील्ड में गिरावट आई है। रियल एस्टेट संकट, कंज्यूमर स्पेंडिंग में सुस्ती और बिजनस कॉन्फिडेंस में गिरावट से उबरने की कोशिश कर रही चीन की इकॉनमी के लिए बोरोइंग कॉस्ट में कमी आना अच्छी बात है। लेकिन बॉन्ड यील्ड में भारी बदलाव से चीन के नीति निर्माताओं के हाथ-पैर फूल गए हैं। उन्हें आशंका है कि इससे सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। पिछले साल अमेरिका में यह बैंक डूब गया था।
सेंट्रल बैंक की चेतावनी
चीन का पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) अप्रैल से दस बार चेतावनी जारी कर चुका है। बैंक ने आशंका जताई है कि बॉन्ड का बुलबुला कभी भी फूट सकता है। इससे चीन के वित्तीय बाजारों में अस्थिरता आ सकती है और इकॉनमी की रिकवरी पटरी से उतर सकती है। बैंक अब एक अनोखा काम करने में लगा है। वह बॉन्ड्स को बोरो करके उन्हें बेच रहा है ताकि कीमतों पर अंकुश लगाया जा सके। बैंक के गवर्नर पैन गोंगशेंग ने पिछले महीने शंघाई में एक फाइनेंशियल फोरम में कहा था कि अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक ने हमें सिखाया है कि सेंट्रल बैंक को फाइनेंशियल मार्केट पर बारीकी नजर रखनी चाहिए। चीन में कुछ नॉन-बैंकिंग एंटिटीज के पास बड़ी संख्या में सरकारी बॉन्ड हैं। इनमें इंश्योरेंस कंपनियां, इनवेस्टमेंट फंड्स और दूसरी फाइनेंशियल कंपनियां शामिल हैं। सिलिकॉन वैली बैंक पिछले साल डूब गया था। यह 2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद डूबने वाला सबसे बड़ा बैंक है। इस बैंक के पास अरबों डॉलर के सरकारी बॉन्ड थे। फेडरल रिजर्व ने महंगाई पर काबू करने के लिए इंटरेस्ट रेट में इजाफा किया। इससे बॉन्ड्स की कीमत में गिरावट आई और सिलिकॉन वैली बैंक की हालत खराब हो गई। चीन की पॉलिसीमेकर्स को आशंका है कि अगर बॉन्ड मार्केट पर नजर नहीं रखी गई तो देश में भी इसी तरह का संकट पैदा हो सकता है।
बुलबुला फूटा तो...
चीन के सरकारी बॉन्ड्स की कीमत में इस साल काफी तेजी आई है। इसकी वजह यह है कि निवेशक देश की इकॉनमी को लेकर निश्चिंत नहीं है। ऐसी स्थिति में वे बॉन्ड खरीद रहे हैं। कंपनियां भी कम उधार ले रही हैं जिससे बैंकों के पास बहुत कैश जमा हो गया है। इसे खपाने के लिए वे बॉन्ड खरीद रहे हैं। सिलिकॉन वैली बैंक की तरह चीन की वित्तीय संस्थाओं ने देश के लॉन्ग-टर्म गवर्नमेंट बॉन्ड्स में जमकर निवेश किया है। सरकार को आशंका है कि अगर बॉन्ड बाजार का बुलबुला फूटा और कीमतों में गिरावट आई और यील्ड बढ़ा तो बैंकों को भारी नुकसान हो सकता है।
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