हमेशा के लिए खामोश हो जाएगी यह सरकारी कंपनी! कभी दिल्ली और मुंबई में बोलती थी तूती
Updated on
10-07-2024 02:01 PM
नई दिल्ली: सरकारी टेलिकॉम कंपनी महानगर टेलीफोन निगम (MTNL) अब कुछ दिन की मेहमान रह गई है। सरकार 30,000 करोड़ रुपये के ऋण पुनर्गठन को अंतिम रूप देने के करीब है। इसके बाद एमटीएनएल के पूरा कामकाज भारत संचार निगम (BSNL) को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक कंपनी को आधिकारिक रूप से बंद करने का निर्णय अभी नहीं लिया गया है, लेकिन इतना तय है कि इसका स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होगा। अभी राजधानी दिल्ली और मुंबई में अपनी सेवाएं दे रही हैं जबकि बाकी देश में बीएसएनएल सेवा दे रही है। 4जी और 5जी सेवाओं की कमी के कारण बीएसएनएल और एमटीएनएल निजी टेलिकॉम कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में नहीं हैं।
एक सूत्र ने बताया कि एमएनटीएल का पूरा कामकाज बीएसएनएल के हाथों में चला जाएगा। बीएसएनएल पहले से ही वायरलेस ऑपरेशन को मैनेज कर रहा है। ऋण पुनर्गठन पूरा हो जाने के बाद एमटीएनएल का सारा काम बीएसएनएल करेगा। एक अन्य सूत्र ने बताया कि सरकार यह तय करने में लगी है कि एमटीएनएल के करीब 3,000 कर्मचारियों को वीआरएस की पेशकश की जाए या उन्हें बीएसएनएल में ट्रांसफर किया जाए। सरकार का मानना है कि बीएसएनएल देश में पूरे काम को मैनेज करना शुरू कर देगा, तो बेहतर परिणाम सामने आएंगे। मूल रूप से, सरकार ने दोनों सरकारी कंपनियों के विलय की योजना बनाई थी, लेकिन खासकर एमटीएनएल पर भारी कर्ज के कारण मर्जर नहीं हो पाया।
निजी कंपनियों से पिछड़ीं
2022 में, कैबिनेट ने दोनों दूरसंचार कंपनियों के ऋण का पुनर्गठन करने का फैसला किया। योजना यह थी कि इन कंपनियों को दीर्घकालिक ऋण जुटाने और अपने ऋण का पुनर्गठन करने की अनुमति देने के लिए सॉवरेन गारंटी प्रदान की जाए। दोनों सरकारी कंपनियां 4जी और 5जी की होड़ में पिछड़ गई हैं। इस कारण वे रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी प्राइवेट कंपनियों से मुकाबला नहीं कर पा रही हैं। लेटेस्ट टेलिकॉम टेक्नीक की कमी के कारण दोनों कंपनियां हर महीने ग्राहक खो रही हैं। अप्रैल के अंत में बीएसएनएल के पास 7.46% ग्राहक बाजार हिस्सेदारी थी, जबकि एमटीएनएल की हिस्सेदारी मात्र 0.16% थी। इसकी तुलना में, बाजार की अग्रणी कंपनी रिलायंस जियो की वायरलेस ग्राहक हिस्सेदारी 40.48% थी। भारती एयरटेल (33.12%) दूसरे और वोडाफोन आइडिया (18.77%) तीसरे स्थान पर थी। बीएसएनएल ने 2023-24 के लिए 5,378.78 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया जबकि एमटीएनएल का शुद्ध घाटा 3,267.5 करोड़ रुपये रहा। सरकार 2019 से ही इन दोनों कंपनियों को सहायता दे रही है।
कैसे होगा रिवाइवल
अब जब यह स्पष्ट हो गया कि एमटीएनएल अपने दम पर टिक नहीं पाएगी, तो उसका कामकाज बीएसएनएल को सौंपने का फैसला लिया गया है। सरकार ने 2019 से अब तक इन दोनों कंपनियों को कुल 3.22 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया है। 2019 में, दोनों कंपनियों के 92,000 से अधिक कर्मचारियों ने रिवाइवल पैकेज के हिस्से के रूप में वीआरएस लिया। इससे कंपनियों को अपने सैलरी बिल को कम करने में मदद मिली, जो उनके रेवेन्यू का 75% से अधिक हुआ करता था। सरकार ने अब बीएसएनएल को और अधिक कुशल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है ताकि वह रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसी निजी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके।
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