9वें रायसीना डायलॉग का आज दूसरा दिन है। यह सम्मेलन 23 फरवरी तक चलेगा। बुधवार को ग्रीस के PM किरियाकोस मित्सोटाकिस ने बतौर चीफ गेस्ट भाषण दिया। वो दो दिन के भारत दौरे पर हैं। आज इसका आखिरी दिन है।
रायसीना डायलॉग 2024 की थीम चतुरंग है। यानी कॉनफ्लिक्ट (संघर्ष), कॉन्टेस्ट (प्रतियोगिता), को-ऑपरेट (सहयोग) और क्रिएट (निर्माण)। चतुरंग असल में भारत में शुरू हुआ एक खेल है, जिसे शतरंज और मकरक जैसे खेलों का पुराना स्वरूप कहा जाता है। इसमें चार सेनाएं होती हैं। इनमें हाथी सेना, रथ सेना, घुड़सवार और पैदल सेना शामिल होती है।
पहले दिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रायसीना डायलॉग में जुड़ने के लिए ग्रीस के PM को धन्यवाद कहा। भूमध्यसागर के क्षेत्र में भारत की बढ़ती रुचि हमारे निरंतर विकास का एक अहम पहलू है। इसमें भारत-ग्रीस साझेदारी निश्चित तौर पर एक आधार के रूप में काम कर सकती है।
तीसरी दुनिया के किसी देश में होने वाली इकलौती कॉन्फ्रेंस
रायसीना डायलॉग किसी थर्ड वर्ल्ड देश में इतने बड़े पैमाने पर होने वाला इकलौता सम्मेलन है। वरिष्ठ पत्रकार और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार सत्येंद्र रंजन ने बताया कि रायसीना डायलॉग भारत में किसी थिंक टैंक की तरफ से आयोजित की जाने वाली एकमात्र कॉन्फ्रेंस है। यह कॉन्फ्रेंस सरकार के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी स्थिति बताने के लिए एक अहम मंच है।
इस पर दुनियाभर के पॉलिसी मेकर्स और जियोपॉलिटिक्स में अहम भूमिका निभाने वाले लोगों की नजर रहती है। इस कॉन्फ्रेंस के जरिए दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों को आने वाले समय में भारत सरकार की प्राथमिकताओं को लेकर जानकारी मिलती है।
शांगरी-ला डायलॉग की तर्ज पर शुरू हुआ
रायसीना डायलॉग को सिंगापुर में होने वाले शांगरी-ला डायलॉग की तर्ज पर आयोजित किया जाता है। शांगरी-ला रक्षा मंत्रियों के लिए होने वाला सम्मेलन है, जबकि रायसीना में विदेश मंत्रियों की बैठक होती है। ग्रीक PM के अलावा कई देशों के विदेश मंत्री, रिसर्चर्स, थिंक टैंक इस सम्मेलन में शामिल होंगे। इसमें यूक्रेन की उप-विदेश मंत्री इरिना बोरोवेट्स भी शामिल हैं।
रायसीना डायलॉग का आयोजन विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) मिलकर करते हैं। इस बार के रायसीना डायलॉग में 115 देशों के 2500 से ज्यादा डेलीगेट शामिल होंगे। इस दौरान रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास जंग के अलावा कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। इसमें UNSC का विस्तार, दुनिया में ग्लोबल साउथ देशों की बढ़ती भागीदारी, इंडो-पेसिफिक में शांति, AI और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दे शामिल हैं।