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भारत को अंग्रोजों का गुलाम बनाने में अहम रोल अदा करने वाले रॉबर्ट क्लाइव की मूर्ति हटाने की मांग उठी

Updated on 10-06-2020 08:31 PM
लंदन। अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद नस्लवाद के खिलाफ अश्वेतों के समर्थन में पूरी दुनिया में आवाज उठने के बाद इंग्लैंड की राजधानी लंदन स्थित रॉबर्ट क्लाइव की मूर्ति को हटाने की मांग तेज हो गई है। रॉबर्ट क्लाइव ने ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत को गुलाम बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। क्लाइव की मूर्ति लंदन के श्र्यूसबेरी में है। मूर्ति हटाने के लिए सोमवार को एक ऑनलाइन पिटीशन पर 1700 लोगों ने हस्ताक्षर किए, जिसे दक्षिण इंग्लैंड के श्रोपशायर काउंटी काउंसिल को भेजी गई। दरअसल अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद नस्लवाद के खिलाफ अश्वेतों के समर्थन में मुहिम चलाई जा रही है। याचिका के अनुसार क्लाइव भारत समेत दक्षिण पूर्व एशिया में ब्रिटिश हुकूमत का विस्तार करने वाले शुरुआती लोगों में था। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान इन देशों में लाखों निर्दोष लोगों की हत्या हुई और उन पर जुल्म ढहाए गए। ऐसे में ब्रिटिश राष्ट्रवाद का जश्न मनाने के लिए उनकी मूर्ति लगाना गलत है। याचिका में ब्रिटिश हुकूमत के समय बंगाल और भारत के संसाधनों को लूटने में क्लाइव की अहम भूमिका बताई गई है।
इस मुद्दे पर श्र्यूसबेरी के सांसद डेनियल कॉजिंस्की ने कहा कि मैं हाउस ऑफ कॉमन्स के जरिए क्लाइव के जीवन पर रिसर्च करूंगा और जब तक रिसर्च पेपर तैयार नहीं हो जाता, मैं उन पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। हम ब्रिटिश शासन स्थापित करने में मदद करने वालों का सम्मान करते हैं। वे हमारे इतिहास का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि मैं यह जानता हूं कुछ लोग ब्रिटिश शासन के इतिहास से जुड़ी चीजों को मिटाना चाहते हैं। लेकिन, मैंने दुनिया भर में इसके हक में हुए बहुत सारे काम भी देखे हैं।
ब्रिटेन में कुछ दिनों से अश्वेतों के समर्थन में लगातार प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि रविवार को प्रदर्शनकारियों ने दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल की मूर्ति को नुकसान पहुंचाया था। लंदन के पार्लियामेंट स्क्वेयर पर लगी उनकी मूर्ति पर 'वे नस्लभेदी थे' भी लिख दिया था। इसके साथ ही विरोध करने वालों ने 17वीं सदी के ब्रिटिश इंसान को दास बनाने के लिए बेचने-खरीदने वाले एडवर्ड कॉल्स्टन की मूर्ति तोड़ दी। प्रदर्शनकारियों ने कॉल्स्टन की मूर्ति को पैरों से ठोकर मार-मारक नदी में गिरा दी थी। कॉल्स्टन 17वीं शताब्दी में अफ्रीकी लोगों को अमेरिका और दूसरे देशों में बेचता था।
रॉबर्ट क्लाइव ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी थे और 1757 में प्लासी और 1764 में बक्सर की लड़ाई जीतने में उनकी अहम भूमिका थी। इन दोनों जीत के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत में अपना आधिपत्य जमाना शुरू कर दिया। अब वे कारोबारी से शासक हो गए थे। रॉबर्ट क्लाइव बंगाल प्रेसिडेंसी के पहले गवर्नर थे। क्लाइव की मौत 22 नवंबर 1774 को हुई। मृत्यु के समय क्लाइव की आयु केवल 28 वर्ष थी।

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