पाकिस्तान में एक बड़े आर्मी ऑफिसर को आतंकियों ने डेरा इस्माइल खान में उनके घर के पास से अगवा कर लिया। पाकिस्तानी वेबसाइट मशाल रेडियो के मुताबिक अगवा किए गए सैन्य अधिकारी का नाम लेफ्टिनेंट कर्नल खालिद है।
उनके साथ दो भाई आसिफ और फहद और एक भतीजे अब्राहम को भी आतंकवादी ले गए। ऑफिसर अपने पिता की मौत के बाद जनाजे में मिट्टी देने पहुंचे थे।
खालिद और उनके भाई एक मस्जिद में थे और लोगों से मिल रहे थे। तभी आतंकवादी आए और हथियार की नोक पर उन्हें अपने अगवा कर लिया।
रिपोर्ट के मुताबिक ऑफिसर के जिन भाइयों जिनका अपहरण हुआ, उनमें से एक रावलपिंडी कैंटोनमेंट बोर्ड ऑफिस में अधिकारी हैं और दूसरा नेशनल डाटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी में ऑफिसर हैं। तीनों अधिकारी भाई मंगलवार को ही कुलाची तहसील आए थे।
TTP ने ली जिम्मेदारी डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक कुलाची पुलिस ने घटना की पुष्टि की है। हालांकि पाकिस्तान आर्मी ने न तो इसकी पुष्टि की है और न इसका खंडन किया है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने पाकिस्तानी ऑफिसर और उनके भाई-भतीजे के अपहरण की जिम्मेदारी ली है।
TTP ने मशाल रेडियो को भेजे मैसेज में बताया कि अपहरण किए गए लोगों को सुरक्षित जगहों पर रखा गया है। उन्होंने आर्मी ऑफिसर के किडनैप करने की वजह नहीं बताई। आतंकी संगठन ने कहा कि वे जल्द ही इस बारे में और ज्यादा जानकारी देंगे।
पाकिस्तानी सेना ने बीते हफ्ते खैबर पख्तून ख्वा में TTP के खिलाफ अभियान शुरू किया था। इसमें एक टॉप आतंकी कमांडर समेत 25 आतंकी मारे गए। इसमें पाकिस्तानी सेना के 4 सैनिक भी मारे गए। कुछ रिपोर्ट्स में आशंका जताई गई है कि TTP ने इसका बदला लेने के लिए ही आर्मी ऑफिसर का अपहरण किया है।
क्या है TTP
2007 में कई सारे आतंकी गुट एक साथ आए और इनसे मिलकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान बना। TTP को पाकिस्तान तालिबान भी कहते हैं। अगस्त 2008 में पाकिस्तानी सरकार ने TTP को बैन कर दिया था।
जब अमेरिकी सेना ने अक्टूबर 2001 में अफगानिस्तान की सत्ता से तालिबान को बेदखल किया तो कई आतंकी भागकर पाकिस्तान में बस गए थे। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने इन आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू किया।
इसी दौरान पाकिस्तान की सेना इस्लामाबाद की लाल मस्जिद को एक कट्टरपंथी प्रचारक आतंकी के कब्जे से मुक्त कराया। इस घटना के बाद स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की खिलाफत होने लगी। इससे कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे।
इसके बाद दिसंबर 2007 को बेतुल्लाह मेहसूद की अगुआई में 13 गुटों ने एक तहरीक यानी अभियान में शामिल होने का फैसला किया। संगठन का नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान रखा गया।
मलाला युसुफजई पर TTP ने ही हमला किया था
2009 से अब तक पाकिस्तान तालिबान कई सारे खतरनाक हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है। इनमें 2008 में इस्लामाबाद में मैरियट होटल और 2009 में आर्मी हेडक्वार्टर पर हमला भी शामिल है।
2012 में TTP ने ही मलाला युसुफजई पर भी हमला किया था। TTP ने मलाला के सिर में गोली मार दी थी। TTP ने मलाला युसुफजई को 'वेस्टर्न माइंडेड लड़की' कहा था। इसके बाद TTP ने 2014 में भी पेशावर के एक आर्मी स्कूल में गोलीबारी की थी। इस हमले में कम से कम 150 लोग मारे गए थे, जिनमें 131 बच्चे थे।
आतंकवाद की फैक्ट्री कहे जाने वाले पाकिस्तान में अब तक जितने भी आतंकी संगठन अस्तित्व में आए हैं, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान सबसे खतरनाक माना जाता है। खास बात यह है कि इस संगठन के पाकिस्तान फौज में हजारों समर्थक हैं और यही पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा है।