हैदराबाद । तेलंगाना पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम ने माओवादी से गैंगस्टर बने नईम के साथ राजनेताओं और पुलिस की सांठगांठ की जांच करते हुए उन सभी 25 पुलिस अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी है। नगी रेड्डी ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एक जवाब में आरटीआई कार्यकर्ता को बताया कि किसी भी मामले में किसी भी पुलिस अधिकारी को आरोपी नहीं बताया गया है। फोरम फॉर गुड गवर्नेंस सेक्रेटरी एम. पद्मनाभ रेड्डी को सूचित किया गया कि 173 मामलों पर चार्जशीट में दायर की गई थी, लेकिन कोर्ट का अंतिम आदेश आना अभी बाकी है। आरटीआई जवाब में यह भी कहा गया है कि एसआईटी के दायरे से आठ मामलों को हटा दिया गया है।
आरटीआई के प्रश्न के मिले जवाब में लिखा कि "किसी भी पुलिस अधिकारी को किसी भी मामले में आरोपी नहीं बताया गया है। 139 मामलों में आठ राजनेता शामिल हैं।" इस मामले में नईम और उसके सहयोगियों के साथ कथित संबंधों को लेकर दो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सात पुलिस उपाधीक्षक, 13 निरीक्षक, दो हेड कांस्टेबल और एक कांस्टेबल के नाम सामने आए थे। बता दें कि नईम उर्फ मोहम्मद नईमुद्दीन 8 अगस्त 2016 को शादनगर शहर में पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारा गया था। मोस्ट वांटेड गैंगस्टर जमीन हथियाने, अपहरण और जबरन वसूली जैसे मामलों में शामिल था और कथित तौर पर उसके राजनेताओं और पुलिस अधिकारियों के साथ संबंध थे। नईम, उसके सहयोगियों और अधिकारियों के साथ उसके कथित संबंधों की अवैध गतिविधियों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। आरटीआई का जवाब सामने आने के बाद फोरम फॉर गुड गवर्नेंस ने इस मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के लिए राज्यपाल डॉ. तमिलिसै सौंदरराजन से अपील की है। इसने एसआईटी जांच को हल्का करने के प्रयास का आरोप लगाया है। पद्मनाभ रेड्डी ने कहा कि "नईम की मुठभेड़ में मौत के बाद लगभग 240 मामले दर्ज किए गए थे। यह कहा गया कि 173 मामलों में चार्जशीट दायर किए गए थे, लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी एक भी मामला तर्क निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका।" उन्होंने आगे कहा, "यह पुलिस, राजनेताओं और गैंगस्टर के एक खतरनाक गुटबाजी का मामला है, जो एक साथ निर्दोष लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं, उनकी जमीनों को हड़प लिया गया है और किसी की भी प्रतिशोधवश हत्या कर दी गई है।"