मध्यप्रदेश के जलाशयों और सरोवरों में सोलर पावर जनरेशन के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने कवायद तेज कर दी है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 106 बांधों, जलाशयों को चिह्नित कर इसकी रिपोर्ट मांगी है कि इन जल भंडारण स्थलों में सामान्य दिनों में और बारिश में जल भराव के दौरान कितना जल भंडारित रहता है।
सोलर पावर की संभावनाओं पर फिट बैठने के बाद इनमें सोलर एनर्जी के लिए काम किया जाएगा। जल संसाधन विभाग को इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त सर्वे एजेंसी को आवश्यक जानकारी देने और सर्वे में सहयोग करने के लिए कहा गया है।
भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा देश के सभी राज्यों में सोलर पावर के डेवलपमेंट से संबंधित मुद्दों और संभावनाओं के लिए एक कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी को जलाशयों, जल निकायों पर फ्लोटिंग सोलर की संभावनाओं के सर्वे और जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मध्यप्रदेश के लिए यह जिम्मेदारी एनएचपीसी को सौंपी गई है। इसके लिए राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग से प्रदेश के 106 जलाशयों, वाटर बॉडीज की जानकारी देने के लिए कहा गया है। एनएचपीसी ने इसके लिए टाटा कंसल्टेंसी की सेवाएं हायर की हैं जो एमपी में सर्वे का काम करेगा।
20 साल के हिसाब से उपलब्ध स्टोरेज की जानकारी मांगी
केंद्र सरकार के निर्देश पर तैयार की जा रही रिपोर्ट में जल संसाधन विभाग से कहा गया है कि इन 106 डैम, रिजरवायर, जलाशयों में अधिकतम जल भंडारण क्षमता, रिजरवायर एरिया, फुल रिजरवायर लेवल, मिनिमम ड्रा डाउन लेवल, बीस साल के हिसाब से रोज का वाटर लेवल, फ्लड इंवेंट्स की जानकारी देना है। साथ ही करेंट स्टोरेज कैपेसिटी, प्लांड एरिया, डेली, मंथली और एनुअल इन फ्लो की रिपोर्ट भी मांगी गई है।