पुलिस की ओर से सांसद-विधायकों को सलामी देने के डीजीपी के आदेश को लेकर प्रदेश में राजनीति गर्म हो गई है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने रविवार को डीजीपी कैलाश मकवाना को पत्र लिखकर आदेश वापस लेने का आग्रह किया। पत्र में पटवारी ने लिखा है कि मप्र में भाजपा के 29 में से 9 सांसद और 163 में से 51 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
कुल मिलाकर भाजपा के 31% सांसद-विधायक आपराधिक प्रकरणों में लिप्त हैं। इनमें से 16 यानी 10% पर गंभीर प्रवृत्ति के अपराध, जैसे हत्या, बलात्कार, डकैती और अपहरण के केस चल रहे हैं। मोहन सरकार के 31 में से 12 मंत्री भी आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे हैं। यदि पुलिसकर्मी इन्हें सलामी देंगे तो उनकी निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर सवाल उठेंगे।
पुलिस का मूल काम अपराध रोकना और अपराधों की जांच करना है। ऐसे में आपराधिक पृष्ठभूमि के नेता को पुलिस द्वारा सलामी देने से न केवल जांच प्रभावित होगी, बल्कि पुलिसकर्मी दबाव में भी आ सकते हैं। पुलिस द्वारा ऐसे नेताओं को सलामी देने से समाज में भी गलत संदेश जाएगा। इससे पुलिस की विश्वसनीयता और गरिमा कम होगी।
भाजपा का पलटवार...
लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि का सम्मान, जनता का सम्मान होता है। कांग्रेस के नेता राजशाही, सामंतवाद या परिवारवाद के सिद्धांतों पर विश्वास रखते हैं, इसलिए उनके लिए यह समझना कठिन हो सकता है। मप्र कांग्रेस के 66 विधायकों में से 38 (58%) पर आपराधिक केस हैं। इनमें से 17 विधायक (26%) गंभीर अपराधों में लिप्त हैं। कांग्रेस नेताओं द्वारा नैतिकता और संवैधानिक प्रक्रियाओं पर सवाल उठाना हास्यास्पद है। - आशीष अग्रवाल, प्रदेश मीडिया प्रभारी, भाजपा